कोरोना, ओमिक्रॉन, सब-वैरिएंट, जी हां, ये नाम हैं जिनसे आप अब अनजान नहीं हैं....एक तरफ कोरोना की तीसरी लहर ने हमें राहत दी है, वहीं चौथी लहर की दस्तक आनी शुरू हो गई है.... आपको बता दें कि दो नए कोरोना सब-वैरिएंट्स के आने की खबर ने सबको चौंका दिया है। WHO इन पर बराबर नजर रख रहा है। हाल में दुनिया के कई देशों में कोरोना केसेज बढ़ने के साथ ही दो नए सब-वैरिएंट BA.4 और BA.5 मिलने से सबकी चिंता बढ़ गई है। ये दो नए सब-वैरिएंट ओमिक्रॉन से जुड़े हैं।
याद रहे कि ओमिक्रॉन की वजह से ही भारत में तीसरी लहर आई थी और इस वैरिएंट ने कोरोना केसेज के रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। अब इसके दो नए सब-वैरिएंट की खबर ने आशंका बढ़ा दी है कि कोरोना केसेज तेजी से फैल सकते हैं।
क्या हैं नए कोरोना सब-वैरिएंट?
कितने खतरनाक हैं?
कौन सा वैरिएंट है डॉमिनेंट?
भारत के लिए है कितना खतरा?
- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी WHO के अनुसार अत्यधिक संक्रामक कहे जाने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट के दो नए सब-वैरिएंट BA.4 और BA.5 के केसेस बढ़ते देखकर वह अब इन पर अपनी नजर बनाए हुए है।
- WHO पहले ही ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट्स BA.1 और BA.2 को ट्रैक कर रहा है, जो अभी दुनिया में दो सबसे डोमिनेंट वैरिएंट हैं।
- अब उसने ओमिक्रॉन के सिस्टर वैरिएंट्स माने गए BA.4 और BA.5 को भी जोड़ लिया है।
- ओमिक्रॉन के ही दो और सब-वैरिएंट्स BA.1.1 और BA.3 पर भी उसकी लगातार नजर है।
- साउथ अफ्रीका के सेंटर फॉर एपिडेमिक रेस्पॉन्स एंड इनोवेशन (CERI) के डायरेक्टर टुलियो डि ओलिवेरा का कहना है कि इन नए सब-वैरिएंट्स में पाए गए कुछ स्पाइक प्रोटीन कोरोना के डेल्टा, कप्पा और एपसिलन वैरिएंट्स में पाए गए स्पाइक प्रोटीन जैसे हैं।
कितनी तेजी से फैलते हैं नए सब-वैरिएंट्स?
-WHO ने कोरोना के नए सब-वैरिएंट्स पर नजर रखना इसलिए शुरू किया, क्योंकि इनमें अतिरिक्त म्यूटेशन का खतरा दिख रहा है।
-वायरस हर समय म्यूटेट करते हैं यानी खुद में बदलाव करते रहते हैं। लेकिन कुछ ही म्यूटेशन ऐसे होते हैं, जो उनकी फैलने की क्षमता या वैक्सीन से या पहले हो चुके इंफेक्शन से पैदा हुई इम्यूनिटी को चकमा देने में सक्षम होते हैं।
-इन वैरिएंट्स पर नजर रखने से ये भी पता चल जाता है कि वे कितने घातक हैं यानी उनसे कितनी गंभीर बीमारी होने का खतरा है।
दुनिया में नए सब-वैरिएंट्स के केस
-WHO ने जब वायरस पर नजर रखी तब ज्ञात हुआ कि ग्लोबल GISAID डेटाबेस में BA.4 और BA.5 के लगभग 20 से अधिक केस दर्ज हुए हैं।
- BA.4 के केस 10 जनवरी से 30 मार्च के बीच साउथ अफ्रीका, डेनमार्क, बोत्सवाना, स्कॉटलैंड और इंग्लैंड में पाए गए हैं। BA.5 के सभी केस साउथ अफ्रीका में पाए गए थे।
- उधर बोत्सवाना में पाए BA.4 और BA.5 के सभी केस 30 से 50 साल की उम्र के लोगों में पाए गए। जबकि ये सभी पूरी तरह वैक्सीनेटेड थे और उनमें बहुत हल्के लक्षण थे।
-इन दोनों सब-वैरिएंट्स के संक्रमितों में बेहद हल्के लक्षण मिले हैं। संक्रमित ज्यादातर लोग वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके थे।
- इन दोनों सब-वैरिएंट्स से अभी तक किसी की मौत की सूचना नहीं है।
-एक्सपर्ट्स के अनुसार इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स के कम से कम घातक होने की संभावना है, लेकिन बचाव के लिए हमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं भूलना चाहिए।
-हालांकि अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि इन दोनों नए सब-वैरिएंट्स के म्यूटेशन का कोरोना महामारी पर क्या असर होगा...
भारत को नए सब-वैरिएंट्स से कितना खतरा?
-अब चूंकि भारत में तीसरी लहर लगभग जा चुकी है, लेकिन देश के कई राज्यों के स्कूलों और अन्य संस्थानों से कोरोना केस बढ़ने की खबरें हैं। भारत में 13 अप्रैल को पिछले 24 घंटे के दौरान 1,088 नए केस दर्ज हुए। वहीं 12 अप्रैल को पिछले 24 घंटे के दौरान 796 केस दर्ज हुए थे।
चिंता की बात यह है कि एक्सपर्ट्स के अनुसार वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी ज्यादा से ज्यादा 6 महीने तक रहती है। यानी इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी नए वैरिएंट से संक्रमित होने का खतरा भारत में भी है। सावधानियां और सतर्कता ही हमारा बचाव कर सकती है।