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क्या आप भी कार चलाते समय थक जाते हैं? तो ड्राइविंग के वक्त अपनाएं ये 7 पॉश्चर टिप्स

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WD Feature Desk

, बुधवार, 7 मई 2025 (13:44 IST)
Correct sitting posture while driving: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कार ड्राइविंग एक आम जरूरत बन चुकी है। चाहे रोज ऑफिस जाना हो, बच्चों को स्कूल छोड़ना हो या वीकेंड ट्रिप पर जाना हो, हम में से ज्यादातर लोग हर दिन कई घंटे ड्राइविंग में बिताते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी बैठने की गलत मुद्रा (Driving Posture) आपकी रीढ़, गर्दन, आंखों और मानसिक थकान पर कितना बुरा असर डाल सकती है? एक अच्छी कार तो सब चलाते हैं, लेकिन उसे सही तरीके से चलाना यानी सिटींग पोजीशन का ध्यान रखना ही असली समझदारी है। 
 
सही ड्राइविंग पॉश्चर क्यों है जरूरी?
लंबे समय तक गलत पोजीशन में बैठना ना सिर्फ पीठ दर्द और गर्दन की जकड़न जैसी समस्याएं पैदा करता है, बल्कि यह रिफ्लेक्स टाइम को भी धीमा कर सकता है। इसका मतलब है कि इमरजेंसी में आप तेजी से ब्रेक नहीं लगा पाएंगे या स्टीयरिंग नहीं घुमा सकेंगे। इसके अलावा, खराब सिटिंग बॉडी में तनाव, मानसिक थकान और नींद आने जैसी दिक्कतों को भी जन्म देती है, जो ड्राइविंग के दौरान बेहद खतरनाक साबित हो सकती है।
 
कार ड्राइविंग के दौरान सही बैठने की स्थिति कैसी होनी चाहिए?
1. सीट की दूरी और ऊंचाई सही रखें
आपकी सीट इतनी आगे होनी चाहिए कि आप ब्रेक, क्लच और एक्सेलरेटर पर आराम से पैर रख सकें और उसे बिना पूरा पैर फैलाए इस्तेमाल कर सकें। बहुत पीछे या बहुत आगे बैठना दोनों गलत है। सीट की ऊंचाई भी इतनी होनी चाहिए कि आपको बोनट का साफ़ दृश्य मिले।
 
2. पीठ और रीढ़ सीधी रखें
सीट का बैकरेस्ट करीब 100 से 110 डिग्री के एंगल पर होना चाहिए। इससे आपकी रीढ़ की प्राकृतिक कर्व सुरक्षित रहती है और लंबे सफर में कम थकान होती है। सीट के साथ पीठ पूरी तरह टिकी होनी चाहिए ताकि लोअर बैक को पूरा सपोर्ट मिले।
 
3. हेडरेस्ट का सही इस्तेमाल करें
हेडरेस्ट का मकसद केवल आराम देना नहीं, बल्कि विपरीत प्रभाव (Whiplash) से गर्दन को बचाना है। हेडरेस्ट आपकी आंखों के लेवल पर होना चाहिए और सिर के ज्यादा पास होना चाहिए।
 
4. स्टियरिंग व्हील की पकड़ सही रखें
आपके हाथों को थोड़ा मुड़ा हुआ (bent) होना चाहिए और दोनों हाथों की स्थिति घड़ी के कांटों के हिसाब से 9 बजे और 3 बजे पर होनी चाहिए। बहुत नीचे या बहुत ऊपर पकड़ना आपकी कलाई और कंधों में तनाव पैदा कर सकता है।
 
5. घुटने और कूल्हे समान लेवल पर रखें
घुटनों का स्तर हिप्स के बराबर या थोड़ा नीचे होना चाहिए, इससे आपके ब्लड सर्कुलेशन पर असर नहीं पड़ता। अगर आपके घुटने ज्यादा ऊपर हो जाते हैं, तो थकावट जल्दी होगी और लोअर बैक पर दबाव पड़ेगा।
 
ड्राइविंग करते समय और क्या रखें ध्यान?
अक्सर देखा गया है कि लोग एक हाथ से स्टीयरिंग पकड़ते हैं, पैर सीट के नीचे मोड़कर बैठते हैं या मोबाइल फोन देखते हुए अपनी गर्दन एक ओर झुका लेते हैं। ये आदतें खतरनाक भी हैं और आपके स्वास्थ्य के लिए भी घातक। कोशिश करें कि दोनों पैर नीचे टिका रहे और दोनों हाथ स्टीयरिंग पर हों। इसके अलावा, हर 1-2 घंटे की ड्राइव के बाद 5-10 मिनट का ब्रेक लें, कार से उतरकर थोड़ी स्ट्रेचिंग करें और हाइड्रेटेड रहें। 
 
गलत ड्राइविंग पॉश्चर से न सिर्फ आपको मस्कुलर स्ट्रेन, लम्बर पेन, और सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, बल्कि यह आपके मानसिक फोकस और रिफ्लेक्स को भी कमजोर करता है। लॉन्ग ड्राइव के दौरान पैर सुन्न होना, गर्दन में खिंचाव और पीठ में जलन – ये सब संकेत हैं कि आपकी बैठने की पोजीशन गलत है।
 
भले ही आजकल की कारों में सीट अडजस्टमेंट, लम्बर सपोर्ट, हेडरेस्ट कंट्रोल और इलेक्ट्रॉनिक एडजस्टमेंट की सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन उनके सही इस्तेमाल की जानकारी बहुत जरूरी है। हर फीचर को अपनी जरूरत और शरीर की बनावट के अनुसार सेट करना चाहिए, न कि सिर्फ डिजाइन देखकर। 


अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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