मन भरा है तो रो लीजिए, सेहत के लिए जरूरी है यह भी......

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डॉ. किरण रमण 
 
स्वास्थ्य के लिए हंसना अभी तक लाभदायक माना जाता रहा है, किंतु नई खोजों के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि रोना भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। रोकर अनेक तरह के रोगों का उपचार किया जा सकता है। 
 
प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में आंसू रोकने से होने वाले रोगों का उल्लेख किया गया है। आंसुओं के निकल जाने से विभिन्न प्रकार के रोग जैसे सिर एवं हृदय में पीड़ा, जुकाम, चक्कर आना, गरदन का अकड़ना आदि दूर हो जाते हैं। 
 
इसी प्रकार आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी रोना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है। अमेरिका के एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक के अनुसार अमेरिका में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियाँ रोकर अपनी आयु में वृद्धि कर लेती हैं, जबकि पुरुष अपने अहं के कारण रोना नहीं चाहते हैं और अनेक प्रकार के रोगों से घिरे रहते हैं। यदि पुरुष भी मानसिक आघातों से त्रस्त होने पर आंसू बहा दिया करें तो उनमें रक्तचाप एवं हृदय संबंधी रोगों में कमी आ सकती है। जोर से रोने पर मनुष्य के मस्तिष्क में दबी भावनाओं का तनाव दूर हो जाता है, जिससे काफी राहत महसूस होती है एवं शक्ति की भी अनुभूति होती है। 
 
महिलाओं में रोने का गुण होने के कारण ही पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को दिल के दौरे कम पड़ते हैं। स्त्रियां रोकर अपने दिल का बोझ हलका कर लेती हैं। अपने मानसिक तनावों को आंसू द्वारा कम न कर पाने के कारण पुरुष प्रायः धमनियों संबंधी शिकायतों से ग्रस्त रहते हैं। 
 
एक चिकित्सक ने आंसू को स्वास्थ्य के लिए आवश्यक मानते हुए कहा है कि रोने पर आंसू के माध्यम से शरीर में एकत्र विषैले रसायन बाहर आ जाते हैं। प्रसिद्ध वैज्ञानिक एलेक्जनैडर फ्लेमिंग ने अपने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया है कि आंसू कीटनाशक भी होते हैं। 
 
उन्होंने लाखों कीटाणुओं से भरी एक परखनली में एक बूंद आंसू टपकाया और देखा कि बूद पड़ते ही सभी कीटाणु मर गए। उनके कहने का आशय यह है कि कभी-कभी आंसू बहा लेने चाहिए, क्योंकि आंखों के लिए आं सुओं से बेहतर कोई अन्य रोगाणुनाशक उपचार नहीं हो सकता है। आंसू आंखों में एकत्र धूल कणों को भी हटाते हैं और बाह्य वातावरण से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। 
 
आंसू के कारण ही आंखें नम रहती हैं। कुछ चिकित्सकों का कहना है कि भावनात्मक आंसू अवसाद, उदासी एवं क्रोध को समाप्त करते हैं। रोने से मन का संपूर्ण मैल धूल जाता है। अतः जब कभी भी किसी कारण से रोना आए तो उसे रोकना नहीं चाहिए, बल्कि खुलकर बाहर आने देना चाहिए। अन्यथा आंखों में रुके हुए ये आंसू स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। 

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