कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप बहुत हद तक कम हो गया है। लेकिन डेल्टा वेरिएंट का दूसरा वेरिएंट डेल्टा प्लस का प्रकोप अब धीरे-धीरे पैर पसारने लगा है। डब्ल्यू एच ओ के मुताबिक यह वेरिएंट अभी तक करीब 100 देशों में पैर पसार चुका है, जिसे लेकर वैक्सीनेशन पर अधिक जोर दिया जाने लगा है। वैक्सीनेशन की कमी के चलते पहली डोज लगाने पर अधिक जोर है लेकिन लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या कोरोना वैक्सीन का एक डोज काफी है। अगर आप सोच रहे हैं तो यह सरासर गलत है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए आप कोई सी भी वैक्सीन लगवाएं लेकिन एक डोज काफी नहीं है।
वैज्ञानिकों और डॉक्टर द्वारा लगातार इस बात पर जोर दिया गया है कि यह बूस्टर डोज है, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। वैक्सीन के एक डोज से इम्यूनिटी बहुत अधिक बूस्ट नहीं होती है, इसलिए वैक्सीन की दोनों डोज जरूरी है। यूके में डेल्टा प्लस से बचाव के लिए दोनों खुराक देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही तीसरा बूस्टर डोज देने की भी तैयारी जारी है।
WHO के महानिदेशक डॉक्टर एडनॉम घेब्रेयसस ने लोगों से दोनों डोज लेने की अपील की है। उनका मानना है कि नए वेरिएंट से होने वाले प्रभाव को कम करने के लिए एक डोज पर्याप्त नहीं है। साथ ही कुछ डॉक्टर्स का यह भी मानना है कि आने वाले कुछ सालों तक हर साल वैक्सीन के डोज लगवाना रहेंगे।