याद्दाश्त, निर्णय लेने की क्षमता और सोचने-समझने की क्षमता में कमी आना आदि डिमेंशिया के लक्षण हैं। ऐसी समस्याओं के लिए यही शब्द इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया भर में उम्र दराज लोगों के बीच निर्भरता और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से ये एक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया भर में करीब पांच करोड़ लोगों को डिमेंशिया है, और करीब एक करोड़ नए मामले हर साल आ रहे हैं। इसको लेकर एक नई रिसर्च में भविष्यवाणी की गई है कि डिमेंशिया पीड़ितों की वैश्विक संख्या 2050 तक करीब तीन गुना तक हो सकती है।
रिसर्च के हवाले से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि लोग नियमित व्यायाम करें, धूम्रपान नहीं करें, अल्कोहल से परहेज करें, वजन पर नियंत्रण पाएं, स्वस्थ डाइट खाकर और स्वस्थ ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल और शुगर लेवल बनाए रख कर डिमेंशिया का खतरा कम कर सकते हैं। डिमेंशिया के अतिरिक्त जोखिम कारक में डिप्रेशन, शिक्षा की कमी, सामाजिक आइसोलेशन शामिल हैं। इन क्षेत्रों पर भी डिमेंशिया के खतरे को कम करने के लिए ध्यान देने की जरूरत है।
27 जुलाई को अल्जाइमर एसोसिएशन इंटरनेशल कांफ्रेंस में पेश किए गए नए डेटा के मुताबिक, अनुमान लगाया गया है कि दुनिया में 15 करोड़ मिलियन से ज्यादा लोग डिमेंशिया के साथ रह रहे होंगे। 2019 में 5 करोड़ 57 लाख से बढ़कर 2050 में संख्या के 15 से ज्यादा होने का अनुमान लगाया गया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसीन ने डिमेंशिया का अध्ययन किया। इसके लिए, उन्होंने 1999 और 2019 के बीच इस्तेमाल किए गए डेटा को इस्तेमाल किया।