Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में महानायक के रूप में अंकित हो रहे नरेन्द्र मोदी

हमें फॉलो करें इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में महानायक के रूप में अंकित हो रहे नरेन्द्र मोदी
webdunia

कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल

(17 सितम्बर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जन्मदिवस विशेष)

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी एक ऐसे व्यक्तित्व हैं,जिनके विचारों व कृतित्व में अद्भुत साम्य देखने को मिलता है। वे कर्मक्षेत्र में अपनी पूर्व परम्पराओं का पथानुसरण भी करते हैं, और रुढ़ हो चुकी बोझिल पध्दतियों को समाप्त करते हुए समायानुकूलित ढंग से 'जन व तन्त्र' के बीच अतीत से बनती हुई गहरी खाई को पाटने के लिए यत्नबध्द हैं।

नरेन्द्र मोदी अपने विचारों के प्रति दृढ़ आस्थावान तथा उन्हें मूर्तरुप देने की सामर्थ्य रखते हैं उनकी स्पष्ट व दूरदर्शी नीति, कार्यशैली, कर्त्तव्यपारायणता व अथक परिश्रम के माध्यम भारतीय जनमानस की जनाकांक्षाओं की पूर्ति व उनके सर्वाङ्गीण विकास के लिए वे प्रतिबध्द हैं।

राष्ट्रोत्थान के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय के 'अन्त्योदयी' मन्त्र व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कारों को उन्होंने इस प्रकार आत्मसात किया है कि उनके रग-रग में इसकी अमिट छाप दृष्टिगोचर होती है। उनके विचारों और कर्म के केन्द्र में 'राष्ट्र' है, जिसकी उन्नति के लिए वे कठोर से कठोर निर्णय लेने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करते हैं।

उनके लिए राष्ट्रीय एकता-राष्ट्र संस्कृति के युगदृष्टा स्वामी विवेकानन्द की- 'कट्टर सनातनी हिन्दू' बनने की अभिप्रेरणा है, जिसमें राष्ट्र अभिव्यक्त होता है तथा राष्ट्रोन्नति से विश्वकल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है, ऐसे उच्च आदर्श और श्रेष्ठ मूल्य उनकी प्रथम प्राथमिकता में है।

उनका प्रारम्भिक जीवन संघर्षमय रहा, विपरीत आर्थिक स्थिति के कारण उनकी मां हीरा बेन को दूसरों के घर में बर्तन तक मांजना पड़ा और उन्हें अपने बाल्यकाल से ही विपन्नता से लड़ने के लिए चाय बेचने का कार्य करना पड़ा। नरेन्द्र मोदी अपने बचपन के कठिन संघर्षों एवं विभीषिका की सुधि करते हुए भावुक हो जाते हैं, और उनके नेत्रों से सहज ही अश्रु प्रवाह होने लगता है।

उन्होंने जिस पीड़ा को विषपान की तरह पिया है, वे उसकी अनुभूति को संजोकर- भारतीय समाज के अशक्त- वंचित, गरीब व सामाजिक न्याय से वंचितों के प्रति उनके अन्दर समानुभूतिपूर्ण कारुणिक भावना प्रवाहित होती है। और यही सेवाभाव, कर्त्तव्य उन्हें सभी के लिए कार्य करने तथा उनके जीवन में समृध्दि-समानता-गौरवपूर्ण जीवन जीने तथा आत्मसम्मान के साथ राष्ट्र को गढ़ने में सभी की समेकित भूमिका के लिए प्रेरित करते हैं।
छोटी आयु से ही वे संघ के स्वयंसेवक बन गए, तदुपरान्त अपने कर्त्तव्यपथ में मां! भारती को 'परम् वैभव सम्पन्न' बनाने का संकल्प लेकर सन् 1971 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बनकर संघकार्य में जुट गए।

1975 में इन्दिरा गांधी के द्वारा राष्ट्र व लोकतन्त्र को बंधक बनाकर अमानुषिक क्रूर आपातकाल की त्रासदी में झोंकने के बाद, उन्हें वेश बदलकर स्वयं को भूमिगत रखते हुए कार्य करना पड़ा। 1985 में भाजपा की सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने के बाद नरेन्द्र मोदी ने भाजपा संगठन को मजबूती देने के लिए विभिन्न दायित्वों को सम्यक ढंग से राष्ट्रीयता के विचार-मन्त्रों को प्रसारित करते हुए निभाया।

उनके साथ यह अद्भुत संयोग हुआ कि पहली बार सन् दो हजार एक में विधायक बनते ही वे गुजरात के मुख्यमन्त्री बने और सन् दो हजार चौदह में पहली बार सांसद बनते ही प्रधानमन्त्री के रुप में राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर ख्यातिलब्ध हुए।

27 फरवरी 2002 में मुस्लिमों द्वारा गोधरा में कारसेवकों से भरी रेलगाड़ी में आग लगाने से कारसेवकों की मृत्यु हो गई, और प्रतिकारस्वरुप वहां दंगा हो गया। ऐसी स्थिति में नरेन्द्र मोदी के ऊपर अनेकानेक आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए। यहां तक कि वामपंथियों-कांग्रेसियों ने विदेशों से उनके विरुद्ध कार्रवाई के अनेकानेक षड्यन्त्र रचे,किन्तु उन्हें न्यायालयीन प्रक्रिया ने दोषमुक्त सिध्द किया।

वह अमेरिका जिसने उन्हें वीजा देने में रोक लगा दी थी, उनके प्रधानमन्त्री बनने के उपरान्त वही अमेरिका उनके लिए पलक-पांवड़े बिछाकर खड़ा रहा। बराक ओबामा से लेकर डोनाल्ड ट्रम्प से उनके सम्बन्ध भारतीय प्रधानमन्त्री के अलावा मित्रवत रहे, जिसका भारत को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ हुआ।

अमेरिका के ह्यूस्टन में ट्रम्प द्वारा आयोजित 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम स्वामी विवेकानन्द के भाषण के उपरान्त अभी तक के इतिहास में दूसरा उदाहरण है,जब किसी भारतीय के लिए अमेरिका में सार्वजनिक तौर व्यापक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया हो।

नरेन्द्र मोदी में जितनी गहरी सम्वेदना,अनुभूति, सहजता-सरलता-भावुकता व मानवीय मूल्यों की समानुभूति है, वह उन्हें अलग ही स्थान प्रदान करती है। राजनीति में पक्ष-विपक्ष एवं पूर्वग्रही मानसिकता को छोड़ दें तो चाहे संसद में हो,या कोरोना की त्रासदी के दु:खद सम्बोधन में हो याकि भारतीय लोकतन्त्र की विरासत की समृद्धि एवं अक्षुण्णता के भावना के आह्वान में उनकी आंखों से बहने वाली दृगधार उन्हें लोक के साथ सहज ही जोड़ देती है।
जनमानस को यह पूर्णविश्वास हो जाता है कि- वे प्रधानमन्त्री के पद की आभामण्डल में खो जाने वाले व्यक्तित्व नहीं, अपितु सामान्य जन की भांति ही धरातलीय व्यक्ति हैं।

उनका असाधारण होकर के भी 'साधारण' होना तथा भारतीय धर्म-दर्शन-संस्कृति व महापुरुषों-मनीषियों की परम्परा से जुड़ते हुए उनके विचारों को मूर्तरूप देने तथा सशक्त-सर्वसमर्थ भारत गढ़ने का व्यापक व स्थूल तथा सूक्ष्म दृष्टि के विहंगावलोकन से परिपूर्ण दृष्टिकोण, 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' के माध्यम से भारतीयता व भारतीय संस्कृति की पुनर्प्रतिष्ठा के प्रयत्न को साकार करने की दिशा में अग्रसर है। वे एक कवि ह्रदय भी हैं-उन्होंने हिन्दी व गुजराती में राष्ट्रभक्ति, प्रकृति व मानवीय मूल्यों से सम्बन्धित अनेकों कविताएं लिखी हैं।

प्रायः उनके विरोधियों द्वारा इस बात को लेकर उनकी विद्वेषपूर्ण आलोचना करने के कुत्सित प्रयास किए जाते रहते हैं कि नरेन्द्र मोदी राष्ट्र के जिन स्थानों पर जाते हैं, वहां के समृध्दिशाली अतीत -गौरवबोध व उनसे अपने जुड़ाव के वृत्तान्तों से सबका ह्रदय जीत लेते हैं। इस पर उनके विरोधियों का मत होता है कि उन्हें इतना ज्ञान और बोध कैसे है? इसका एक वाक्य में उत्तर यह है कि संघ का 'स्वयंसेवक जीवन' ही राष्ट्र के विविध स्थानों तथा उनके रग-रग से परिचय और वहां सर्जनात्मक कार्यों का अनुशासन सिखलाता है, यही सब जब उनमें प्रतिबिम्बित होता है,तो इसमें आश्चर्य और आलोचना करने जैसा कुछ भी नहीं है।

नरेन्द्र मोदी जी को 13 सितम्बर 2013 को भाजपा के संसदीय बोर्ड द्वारा प्रधानमन्त्री के उम्मीदवार चुनने के उपरान्त से यदि वर्तमान तक के घटनाक्रमों व उनके कृतित्व का अवलोकन करें तो यह सुस्पष्ट होता है कि जैसे उनका प्रधानमन्त्री बनना इतिहास की महान घटना और भारतीय इतिहास को भारतीय संस्कृति के अनुरूप परिवर्तित करने के लिए ही हुआ है। साथ ही स्वामी विवेकानन्द व महर्षि श्री अरविन्द घोष की भविष्यवाणी- इक्कीसवीं सदी भारत की है भी सत्य प्रतीत होती हुई दिखती है जिसका आरम्भ नरेन्द्र मोदी के करकमलों द्वारा हो रहा है।

उनके प्रधानमन्त्री बनने के बाद से भारतीय जनमानस व चेतना में अनूठे परिवर्तन हुए हैं। हीनता व पराजयबोध की भावना की समाप्ति और उज्ज्वल भारत के गौरवशाली अतीत और अपनी समृध्द संस्कृति व परम्पराओं की ओर जनमानस के विचारों और कार्यों की दिशा परिवर्तित हुई है।

योगदिवस की अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता व चीन-पाकिस्तान को मुंहतोड़ प्रत्युत्तर देना व सशक्त विदेश नीति के माध्यम से भारत के सामरिक एवं विविध हितों के लिए 'ब्राण्ड इण्डिया' के रुप में विश्व में अपनी धमक स्थापित करना हो,वे जनता की कसौटियों पर शत-प्रतिशत खरे उतरते जा रहे हैं।

राजनीतिक में अछूत समझे जाने वाले हिन्दू समाज-सनातन संस्कृति को राजनीति के मुख्य केन्द्र में लाने का कार्य सच्चे अर्थों में नरेन्द्र मोदी ने ही किया है। कुछ नीतियों के प्रति असहमति के साथ भी उनकी सतत् लोकप्रियता व जन-जन तक उनकी पहुंच उन्हें सच्चे महानायक के तौर पर स्थापित करती है।

भारतीय संस्कृति के मानबिन्दु श्रीराम मन्दिर निर्माण का महायज्ञ हो याकि धारा-370 की समाप्ति के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के स्वप्न को साकार करना हो। व्यक्तिगत उपहारों की नीलामी कर जनकल्याण के लिए देना हो,घर-परिवार के किसी भी सदस्य को सरकारी सुरक्षा या लाभ  की भावना से दूर रखने जैसा असीम त्याग -अद्वितीय है।

काशी कॉरीडोर सहित भारतीय तीर्थस्थलों के विकास के लिए उनकी दृढ़ आस्था हो।भारतीय क्रान्तिकारियों यथा नेताजी सुभाषचन्द्र बोष,गुरुदेव टैगोर, गाँधीजी, सहित अनेकानेक स्वातन्त्र्य वीरों,अज्ञात नायकों के प्रति राष्ट्रीय चेतना के आह्वान व स्वतन्त्रता के अमृत महोत्सव की अद्वितीय पहल उनकी सर्वस्पर्शी सोच व भावी भारत का लक्ष्य अन्तर्विष्ट किए हुए है।

विश्व भर में भारत व सनातन हिन्दू संस्कृति वैश्विक आकर्षण,राष्ट्रीय पुरस्कारों को उनके वास्तविक अधिकारियों को प्रदान करना और सरकार में कुशल-विषय विशेषज्ञों तथा कर्मठ व्यक्तियों को मन्त्रालय सौंपना, 'मन की बात' जैसे जनसम्पर्क कार्यक्रम इत्यादि उनके दूरगामी- भारत गढ़ने की अद्भुत शक्ति का ही परिचायक है। राष्ट्र की सेना-वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों,प्रबुद्ध वर्ग, 'दिव्यांगों' प्रवासी भारतीयों सहित समूचे विश्व की महाशक्तियों के साथ सम्वाद उनके उत्साहवर्धन के लिए विविध कार्य तथा भ्रष्टाचार से मुक्त सरकार व सर्वाङ्गीण विकास की कल्पना प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्षमताओं व मां! भारती के वैभव की पुनर्प्राप्ति की साधना है।

उनके शासनकाल में किए गए कार्य-उनके द्वारा स्थापित परिपाटी तथा व्यक्तित्व एवं कृतित्व में साम्य के साथ राष्ट्र को पूर्ण विकसित-भारतीय मूल्यों के प्रति उनका अनुराग व प्रतिबद्धता उन्हें इतिहास के स्वर्णाक्षरों में अंकित कर रहे हैं। समेकित आंकलन करने पर जो सारतत्व मिलता है वह यह है कि-नरेन्द्र मोदी अपने शासन काल में ऐसे-ऐसे कार्य कर जाएँगे जो प्रायः असम्भव माने जाते हैं,तथा उनके द्वारा सर्जित की जाने वाली पध्दतियां भविष्य के भारत को सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर व लोकमङ्गल के साथ 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के मन्त्र को चरितार्थ करेंगे। इन्हीं बातों के साथ प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीजी को जन्मदिन की मङ्गलकामनाएं व शतायु होने और राष्ट्रयज्ञ में उनकी आहुति के माध्यम से राष्ट्रोत्थान-राष्ट्रनिर्माण की प्रार्थना करता हूं।

(आलेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक के निजी अनुभव हैं, वेबदुनिया का इससे कोई संबंध नहीं है।)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Weight loss tips - वजन कम करने के लिए डाइट में इन फलों का सेवन जरूर करें