टी.बी. यानि कि ट्यूबरकुल बेसिलाइ (Tuberculosis), जिसे अगर शुरूआती अवस्था में ही न रोका जाए तो यह रोग जानलेवा साबित हो सकता है। टी.बी. को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे तपेदिक, क्षय रोग व यक्ष्मा।
टी.बी. रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डियां, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि।
टी.बी. के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं।
रोग से प्रभावित अंगों में छोटी-छोटी गांठ अर्थात् टयुबरकल्स बन जाते हैं। उपचार न होने पर धीरे-धीरे प्रभावित अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं। इसलिए इस रोग की आशांका होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। साथ ही हम आपको बता रहे हैं इस रोग से बचाव का एक घरेलू नुस्खा, इसे भी आजमाएं -
1 लहसुन का नियमित सेवन करने से टीबी रोग होने की आशंका कम हो जाती है क्योंकि लहसुन कीटाणुनाशक है। साथ ही ये एंटीबायोटिक औषधियों का अच्छा विकल्प है। लहसुन से टीबी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
2 इसका इस्तेमाल इस प्रकार से करें : सबसे पहले लहसुन को छील लीजिए। अब एक कली के तीन-चार टुकड़े कर लें।
3 दोनों समय भोजन के आधा घंटे बाद काटे हुए दो टुकड़ों को मुंह में रखें और धीरे-धीरे चबाएं।
4 जब अच्छी तरह से उसका रस बन जाए तब ऊपर से पानी पीकर सारी चबाई लहसुन निगल लें।
5 अगर लहसुन का तीखापन सहन नहीं कर पाते हों तो एक-एक मनुक्का में दो-दो टुकड़े रखकर चबाएं।