बॉडी पर तिल क्यों निकलता है? जानिए इसके पीछे छुपे साइंटिफिक और स्किन से जुड़े राज

WD Feature Desk
सोमवार, 21 जुलाई 2025 (17:56 IST)
what causes moles : आजकल लोग अपनी स्किन को लेकर काफी सजग हो चुके हैं, और जब शरीर पर तिल (Mole) या मस्से जैसी चीज़ें दिखने लगती हैं, तो सबसे पहला सवाल मन में आता है, "बॉडी पर तिल क्यों निकलता है?" तिल भले ही छोटा सा स्किन स्पॉट होता है, लेकिन यह न सिर्फ आपकी स्किन की बनावट को बदलता है, बल्कि कई बार यह स्वास्थ्य से जुड़ी अहम जानकारी भी दे सकता है। खासकर जब कोई तिल अचानक दिखने लगे, उसका रंग बदल जाए, या आकार बढ़ने लगे, तो हमें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह आर्टिकल आपको इसी सवाल का गहराई से जवाब देगा कि शरीर पर तिल क्यों और कैसे निकलते हैं, साथ ही इससे जुड़े मेडिकल, साइंटिफिक और स्किन केयर फैक्ट्स को भी विस्तार से समझाएगा।
 
तिल क्या होते हैं और ये स्किन पर कैसे बनते हैं?
तिल, जिसे मेडिकल भाषा में Melanocytic Nevus कहा जाता है, दरअसल स्किन के अंदर मौजूद मेलेनिन पिग्मेंट की असामान्य ग्रोथ होती है। मेलेनिन वह तत्व है जो हमारी स्किन, बाल और आंखों को रंग देता है। जब स्किन की ऊपरी परत पर मौजूद मेलानोसाइट्स (Melanocytes) किसी कारणवश एक जगह इकट्ठा होकर अधिक मात्रा में मेलेनिन बनाने लगते हैं, तो वहां पर तिल बन जाता है। ये आमतौर पर गोल, भूरा, काला या हल्का गुलाबी रंग का हो सकता है। कई बार ये जन्म से ही होते हैं, और कई बार उम्र के साथ विकसित होते हैं। खास बात यह है कि हर व्यक्ति के शरीर में औसतन 10 से 40 तिल होना एक सामान्य बात मानी जाती है।
 
तिल बनने के मुख्य कारण -
जेनेटिक फैक्टर (आनुवांशिकता): अगर आपके माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य के शरीर पर अधिक तिल हैं, तो संभव है कि आपके शरीर पर भी तिल विकसित हों। यह गुण पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होता है।
 
हॉर्मोनल बदलाव: किशोरावस्था, गर्भावस्था या मेनोपॉज के दौरान हॉर्मोन में बदलाव होता है। इस दौरान मेलानिन का उत्पादन असंतुलित हो सकता है, जिससे नए तिल बन सकते हैं या पुराने तिल का रंग बदल सकता है।
 
धूप से संपर्क (UV Rays): सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणें मेलानोसाइट्स को एक्टिव कर देती हैं। अगर आप ज्यादा देर तक बिना सनस्क्रीन के धूप में रहते हैं, तो स्किन पर नए तिल बनने की संभावना बढ़ जाती है।
 
स्किन की इंटरनल कंडीशन: कुछ स्किन कंडीशन्स जैसे कि Dysplastic Nevi (एब्नॉर्मल मोल्स) या स्किन हाइपरपिग्मेंटेशन भी तिल बनने की वजह हो सकती हैं। यह सामान्य तिल से अलग होते हैं और डॉक्टर की सलाह आवश्यक होती है।
 
एजिंग फैक्टर (उम्र बढ़ने के साथ): जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, स्किन की कोशिकाएं कमजोर होती जाती हैं। मेलानिन की उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव आने लगते हैं जिससे तिल उभरने लगते हैं।
 
तिल के प्रकार - 
Congenital Mole (जन्मजात तिल): ये तिल जन्म से ही शरीर पर होते हैं और ज़्यादातर स्थायी होते हैं। इनका रंग काला, भूरा या गहरा लाल हो सकता है।
 
Acquired Mole (बाद में उभरने वाले तिल): यह जीवन के किसी भी पड़ाव पर दिख सकते हैं, खासकर बचपन या किशोरावस्था के दौरान। यह आमतौर पर UV rays और हॉर्मोनल बदलावों के कारण होते हैं।
 
Atypical Mole (एब्नॉर्मल तिल): ये असामान्य दिखने वाले तिल होते हैं जिनका रंग, आकार और सीमाएं सामान्य तिल से अलग होती हैं। यह स्किन कैंसर का संकेत भी हो सकते हैं।
 
क्या तिल खतरनाक हो सकते हैं?
ज्यादातर तिल बिल्कुल सामान्य होते हैं और सौंदर्य का हिस्सा माने जाते हैं। लेकिन अगर किसी तिल में नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है:
हमारे समाज में तिल को लेकर कई मिथक प्रचलित हैं। जैसे तिल का स्थान आपके भाग्य से जुड़ा है, तिल प्यार का प्रतीक है, या तिल वाला व्यक्ति ज्यादा आकर्षक होता है। हालांकि यह सब ज्यादातर सांस्कृतिक मान्यताएं हैं जिनका वैज्ञानिक आधार नहीं है। हां, यह सच है कि चेहरे पर या होंठों के पास मौजूद तिल व्यक्ति की पर्सनैलिटी को निखार सकते हैं, लेकिन इनका स्वास्थ्य से कोई डायरेक्ट संबंध नहीं होता जब तक कि वो असामान्य लक्षण न दिखाएं।
 
तिल को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

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