पार्किंसंस रोग नर्वस सिस्टम में होने वाला रोग है जो कई शारीरिक गतिविधियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। इससे हाथों में कंपकंपी, पूरे शरीर में अकड़न या मूवमेंट का धीमा होना हो सकता है।
आखिर है क्या ये बीमारी?
पार्किंसंस एक आम न्यूरोडिजेनरेटिव डिसऑर्डर है। यह एक ऐसा रोग है जो मनुष्य के उस हिस्से को प्रभावित करती है जो हमारे शरीर के अंगो को संचालित करता है। इसके लक्षण इतने कम होते हैं की शुरुआत में आप इसे पहचान भी नहीं पायेंगे। जैसे जैसे समय निकलता है आपको हाथ पैरों में कमजोरी महसूस होने लगती है, और इसका असर आपके चलने, बात करने, सोने, सोचने से लेकर लगभग हर काम पर पड़ने लगता है।
इस बीमारी के बारे में करीबन 5000 BC (5000 ईशा पूर्व) से लोगों को जानकारी थी, उस समय एक प्राचीन भारतीय सभ्यता ने इस बीमारी का नाम कंपवता रखा था, जिसका इलाज उस पौधों के बीजों से किया जाता था जिसमे थेराप्यूटिक होता है जिसे आजकल लेवोडोपा के नाम से जाना जाता है।
क्या है इतिहास?
पार्किंसन बीमारी का नाम ब्रिटिश डॉक्टर जेम्स पार्किंसंस के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 1817 में पहली बार इस बीमारी को विस्तार से शेकिंग पाल्सी के रूप में वर्णन किया गया।
कब होती है ये बीमारी?
यह बीमारी अक्सर 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के होने पर होती है पर कभी कभी आनुवंशिकता के चलते भी आप बचपन में ही इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं, परन्तु 60 वर्ष की आयु वाले लक्षण इसकी तुलना में अधिक गंभीर होते हैं। एक शोध के अनुसार इस बीमारी के साथ जीवन जीने की संभावनाएं लगभग उतनी ही हैं जितनी सामान्य जीवन की संभावना।
पार्किंसंस बीमारी के लक्षण
कम्पन: यह लक्षण इस बीमारी का सबसे आम लक्षण है, जो आमतौर पर शरीर के किसी एक अंग में शुरू होता है या अक्सर आपके हाथ या उंगलियों में होता है। यह अक्सर तब होता है जब आपका हाथ रेस्ट मोड पर होता है।
गति धीमी हो जाना (ब्रैडकेनेसिया) : जैसे जैसे समय बीतता है पार्किंसन बीमारी के कारण मनुष्य की कार्य करने की गति धीमी होती जाती है, जिससे सरल कार्य भी कठिन लगने लगते हैं और कार्य को खत्म करने में समय लगने लगता है।
मांसपेशियों का कठोर हो जाना: मांसपेशी कठोरता आपके शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। कठोर मांसपेशियां दर्दनाक हो सकती हैं और गति की सीमा को सीमित कर सकती हैं।
संतुलन में परेशानी: पार्किंसंस बीमारी के कारण आपको संतुलन में परेशानी का सामना करना पद सकता है साथ ही आपकी मुद्रा समान्य से कुछ अलग हो सकती हैँ।
स्वचालित कार्यो का न होना: इस बीमारी के चलते कुछ कार्य जैसे आँखे झपकना, चलते समय हाथों का हिलना, हंसना इत्यादि में परेशानी आने लगती है।
बोली में बदलाव: समय के साथ आपकी बोली में परिवर्तन आ सकता है, इस बीमारी के समय आपकी बोली में कभी कभी थोड़ी हिचकिचाहट आना, आवाज क निकलना इत्यादि समस्याएं आ सकती हैं।
लिखावट में बदलाव: पार्किंसन बीमारी में आपको लिखने में परेशानी का सामना उठाना पड सकता है और आपकी लिखावट भी छोटी हो जाती है क्योंकि आपको लिखने में परेशानी होने लगती है।
क्या है पार्किंसंस का इलाज?
पार्किंसंस रोग का इलाज करने के लिए वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। परन्तु इसके लक्षणों को सुधरने के लिए और कम करने के लिए बहुत सारी थेरेपी उपलब्ध हैं। इन सभी थेरेपी को मस्तिष्क में डोपामाइन की जगह, डोपामाइन की नकल करने, या डोपामाइन के प्रभाव को लंबे समय तक अपने ब्रेकडाउन को रोककर मस्तिष्क में डोपामाइन की मात्रा बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कई अध्ययनों से पता चला है कि अगर इन थेरेपी का प्रयोग पार्किंसन के लक्षणों को कम कर देता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता बढ़ जाती है।