पिछले हफ्ते रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एक वीडियो जारी हुआ जिसे देखकर बहुत से लोगों ने दावा किया कि पुतिन को पार्किंसंस रोग है। इस बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
अमेरिकी सेनेटर मार्को रूबियो से लेकर राजनीतिशास्त्रियों और ब्रिटिश टैबलॉयड अखबारों तक दुनियाभर में कई मंचों पर यह चर्चा गर्म है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बीमार हैं। बहुत से लोग संदेह जता रहे हैं कि या तो पुतिन का थायरॉयड कैंसर हो गया है या फिर पार्किंसंस रोग।
ये कयास तब शुरू हुए जब वीडियो में पुतिन को एक मेज को बहुत कसकर पकड़े देखा गया। 12 मिनट के इस वीडियो में रूसी रक्षा मंत्री सर्गई शोइगू के साथ बैठक चल रही थी। पुतिन का पांव हिल रहा था और वह बहुत ढीली सी मुद्रा में बैठे थे। उनके चेहरे पर भी सूजन नजर आ रही थी।
इस वीडियो को देखने के बाद यूके के पूर्व कंजर्वेटिव पार्टी सांसद लुईस मेंश ने ट्विटर पर लिखा कि रूसी राष्ट्रपति को पार्किंसंस रोग है। यूके के कई अखबारों ने इस बारे में खबरें छापी हैं, जिनमें राजनेताओं और राजनीतिशास्त्र के विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की है। लेकिन किसी भी चिकित्साविशेषज्ञ की राय सुनाई नहीं दी।
वीडियो से पता नहीं चलता
चिकित्साविशेषज्ञ साफ तौर पर कहते हैं कि सिर्फ वीडियो देखकर अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट में न्यूरोजेनेटिसिस्ट जॉन हार्डी कहते हैं, "असली न्यूरोलॉजिस्ट इस बारे में शायद ही कोई टिप्पणी करें क्योंकि उन्हें सिखाया जाता है कि जो लोग उनके मरीज नहीं हैं, उन पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।”
जब डॉयचे वेले ने डॉ. हार्डी से जोर देकर पूछा कि वह इस बारे में क्या सोचते हैं तो उन्होंने कहा कि पार्किंसंस की संभावना नहीं दिख रही है। डॉ. हार्डी ने कहा, "मेरे विचार से तो पार्किंसंस के संकेत नहीं हैं। वह स्वस्थ नहीं लग रहे थे लेकिन पार्किंसंस नहीं है।”
लंदन यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले न्यूरोलॉजिस्ट रे चौधरी इस बारे में बात करने पर सहमत हो गए। उन्होंने डॉय चेवेले को बताया, "इस छोटी सी क्लिप को देखकर मुझे ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिसके आधार पर कहा जा सके कि पुतिन को पार्किंसंस हैं।”
चौधरी समझाते हैं कि पार्किंसंस रोग का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है और व्यक्तिगत स्तर पर गहन जांच के बाद ही उसका पता चलता है। उन्होंने कहा, "चेहरे पर सूजन और कंपन की कई वजह हो सकती हैं और मुझे तो कोई कंपन नजर नहीं आई।”
पार्किंसंस यूके की सीईओ कैरोलाइन रासल ने भी डॉ. हार्डी के सुर में सुर मिलाया। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत जटिल रोग होता है जिसके 40 संकेत हो सकते हैं जिनमें शारीरिक और मानसिक हर तरह के रोग शामिल हैं, इसलिए 12 मिनट के वीडियो को देखकर इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है।
रासल कहती हैं, "यह सबको अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है। जांच के लिए कोई सटीक टेस्ट भी नहीं है और इसकी पुष्टि किसी न्यूरोलॉजिस्ट या स्पेशलिस्ट द्वारा व्यक्तिगत जांच से ही हो सकती है। मीडिया में कयास लगाने से कुछ नहीं होता।”
मशहूर हस्तियों पर नजर
दुनिया के बड़े नेताओं और अन्य मशहूर हस्तियों की सेहत को लेकर कयास लगना आम बात है। जब 2020 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को कोविड हुआ था तो उसे खूब चर्चा मिली थी। जर्मनी की तत्कालीन चांसलर अंगेला मैर्केल के हाथ कांपते दिखाई दिए तब भी लोगों ने खूब कयास लगाए थे। और पिछली गर्मियों में पोप फ्रांसिस की कोलोन सर्जरी मीडिया में छाई रही थी।
पुतिन की सेहत को लेकर रूसी प्रशासन ने बहुत अधिक गोपनीयता बरती है। इसलिए सालों से मीडिया इस बारे में कयास लगाता रहा है और ये कयास वीडियो या तस्वीरों आदि पर ही आधारित हैं। ऐसी अफवाहें अक्सर उड़ती रही हैं कि पुतिन को थायरॉयड का कैंसर है, या फिर कमर की समस्या है अथवा साइकोसिस है।
यूक्रेन युद्ध के बाद ये कयास और तेज हो गए हैं क्योंकि कई टिप्पणीकारों ने अनुमान लगाया कि पुतिन मृत्युशैया पर हैं और अपनी विरासत मजबूत करने के लिए यह युद्ध कर रहे हैं। लेकिन ये अनुमान ही हैं क्योंकि इनकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए असल में कोई नहीं जानता कि पुतिन के दिमाग में चल क्या रहा है।