प्रातः बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए।
भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाना चाहिए।
भोजन को कभी भी ठूंस-ठूंसकर नहीं खाना चाहिए। इससे कई रोग हो सकते हैं।
भोजन तीन-चौथाई पेट ही करना चाहिए। भूख लगने पर पानी और प्यास लगने पर भोजन नहीं करना चाहिए, अन्यथा स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है। जैसे खाने की आवश्यकता महसूस होने पर उसे पानी पीकर समाप्त करने की कोशिश या प्यास लगने पर कुछ भी खाकर प्यास को टाल देना गलत है।
हजार काम छोड़कर नियमित समय पर भोजन करें।
बासी, ठंडा, कच्चा अथवा जला हुआ और दोबारा गर्म किया हुआ भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी नहीं होता।
खाने के साथ सलाद और अंत में फल जरूर खाएं।
भोजन पच जाने पर ही दूसरी बार भोजन करना चाहिए।
प्रातः भोजन के बाद शाम को यदि अजीर्ण मालूम हो तो कुछ नर्म भोजन लिया जा सकता है। परंतु रात्रि को भोजन के बाद प्रातः अजीर्ण हो तो बिल्कुल भोजन नहीं करना चाहिए।
भोजन के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए।