नशा बीमारी है, आदत या मजबूरी नहीं

Webdunia
सोमवार, 29 सितम्बर 2014 (14:09 IST)
डॉ. गौरव गुप्ता  
 
कोई इंसान मादक पदार्थों के नशे की लत में कैसे फंस जाता है यह दूसरों के लिए समझना मुश्किल होता है। नशाखोरी कोई जन्मजात बीमारी नहीं होती या घरेलू संस्कार ही इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। यह सोच भी गलत है कि नशा करने वाले अपनी मर्जी से जब चाहे नशा करना छोड़ सकते हैं। 
 

 
दरअसल नशे की लत ऐसी बीमारी है जिसे इलाज से ठीक किया जा सकता है।  नशे की लत में मुब्तिला होने के कई कारण हैं लेकिन पढ़ाई में पिछड़ जाना, प्यार में असफल हो जाना, नौकरी छूट जाना, परिवार से सहानुभूति अथवा प्यार न मिल पाना, बचपन में शोषण के शिकार हो जाना तथा पारिवारिक कलह ऐसी समस्याएं हैं जिनकी वजह से कोई इंसान नशे की लत में फंस जाता है।
 
नशे पर शारीरिक और मानसिक निर्भरता
मादक पदार्थों का नशा मस्तिष्क पर गहरा असर डालता है। कई मादक पदार्थ ऐसे रसायनों से लैस होते हैं जिनसे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे मस्तिष्क में संचार प्रणाली स्थाई रूप से प्रभावित हो जाती है। तंत्रिका कोशिकाएं संवाद संप्रेषित करने अथवा प्राप्त करने की क्षमता खो बैठती हैं। नशा दिमाग पर दो तरह से असर डालता है। 
 
* मस्तिष्क के प्राकृतिक संवाहकों की नकल करके- मरिजुआना और हेरोइन जिन रसायनों से बनी होती है वे मस्तिष्क में प्राकृतिक रूप से पैदा होने न्यूरोट्रांसमीटरों की तरह होते हैं। कोकेन में डोपामिन नामक रसायन होता है जो मस्तिष्क में खुश रहने की भावना पैदा करता है। धीरे-धीरे ‘अच्छा’ लगने की भावना बार-बार उसी तरह के मादक पदार्थ लेने की इच्छा पैदा करती है। नशा उतरते ही पुनः नशे की चाहत होने लगती है। शरीर और मस्तिष्क दोनों की नशे की ‘मांग’ करने लगते हैं। 
 
*आनुवांशिक कारण- विरासत में मिले जीन्स के कारण भी कई न चाहते हुए भी नशे की लत में पड़ जाते हैं। 
 


 
मादक पदार्थों की लत से जुड़े कुछ तथ्य एवं भ्रांतियां 
 
भ्रांति-मादक पदार्थों की लत दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर छोड़ी जा सकती है। 
 
तथ्य- केवल इच्छाशक्ति के दम पर ही नशे की लत से छुटकारा नहीं मिलता। इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ-साथ समुचित एवं सम्यक इलाज की भी जरूरत होती है। 
 
भ्रांति- नशे की लत का कोई इलाज नहीं है। 
 
तथ्य- नशे की लत मानसिक समस्या के साथ-साथ शारीरिक समस्या भी है। इलाज आधुनिक चिकित्सा पद्धति से इलाज संभव है। मादक पदार्थों की लत का इलाज जितना जल्दी शुरू किया जाएगा, उसका असर भी उतना ही प्रभावशाली होगा।
 
भ्रांति-नशे की लत से छुटकारा पाने की बार-बार कोशिश करना ठीक नहीं है क्योंकि सारे प्रयास असफल हो जाते हैं। 
 
तथ्य- नशे की लत से छुटकारा पाने की कोशिश तब तक जारी रहना चाहिए जब तक मरीज पूरी तरह ठीक न हो जाए। कई मादक पदार्थ इतने घातक होते हैं कि उनके सेवन से अल्प समय में ही मस्तिष्क को स्थाई क्षति हो जाती है। ऐसे मरीजों के लिए चिकित्सा से बेहतर कोई उपाय नहीं है।

कई बार मरीजों को कगार से लौटा लाना मुश्किल होता है लेकिन इन्हें उचित चिकित्सा के जरिए है राहत पहुंचाई जा सकती है। कई लाइलाज मरीजों को जीवन भर औषधियों पर निर्भर रहना पड़ता है।
 
लेखक परिचय - निदेशक, तुलसी होम केअर नई दिल्ली  
Show comments

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

तपती धूप से घर लौटने के बाद नहीं करना चाहिए ये 5 काम, हो सकते हैं बीमार

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

समर में दिखना है कूल तो ट्राई करें इस तरह के ब्राइट और ट्रेंडी आउटफिट

Happy Laughter Day: वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

संपत्तियों के सर्वे, पुनर्वितरण, कांग्रेस और विवाद

World laughter day 2024: विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में