बच्‍चे हों जब कान दर्द से परेशान

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- डॉ. संज्योत येवतीक र

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कान का दर्द अत्यंत पीड़ादायक होता है। इसका इलाज जितनी जल्दी हो, उतना बच्चे के लिए अच्छा होता है। बच्चे के रोने पर यह जानने की कोशिश करें कि उसकी समस्या क्या है। कान के दर्द को उसके लक्षणों से पहचानने की कोशिश कीजिए। बच्चा यदि बार-बार कान खींचकर रोने लगे तब निश्चित जानिए कि उसके कान में कोई समस्या है।

छोटे बच्चे परिवार की जान होते हैं। कहते हैं जब मासूम, भोला-सा बच्चा खिलखिला कर हँसता है तो सारा संसार उसके साथ खुशी से झूम उठता है। परंतु यही बच्चा जब किसी शारीरिक तकलीफ से रोता है तो पूरा परिवार बच्चे की तकलीफ को दूर करने के लिए बेचैन हो उठता है। बड़े बच्चे तो बोल कर अपनी तकलीफ बता सकते हैं, परंतु छोटे बच्चे तो अपनी तकलीफ बता भी नहीं सकते।

छोटे बच्चों में रोने का एक प्रमुख कारण बच्चे का कान दर्द से बेहाल होना भी हो सकता है। आईए देखते हैं किन कारणों से बच्चे के कान में दर्द हो सकता है। कान का दर्द मुख्यतः दो प्रकार से पैदा हो सकता है।

दर्द का कारण कान के अंदर होने वाली बीमारी हो।

दर्द का कारण गला, दाँत, आँख या नाक में हो पर दर्द कान में महसूस होता हो।

वे कौनसे प्रमुख कारण या कान की बीमारियाँ हैं जिनसे बच्चे के कान में पीड़ा हो सकती है। आइए इन्हें जानते हैं-

अक्‍सर बच्चों में कान के पर्दे की सूजन की तकलीफ हो जाती है, क्योंकि बच्चों में कान व गले को अंदर से जोड़ने वाली नली जिसे यूस्टेशियन ट्यूब भी कहते हैं बहुत छोटी व सीधी होती है। (जो एक बड़े व्यक्ति में लंबी व एस का आकार लिए होती है) जिससे बच्चे को यदि सर्दी-खाँसी व गले का इंफेक्शन जैसे टांसिल्स में सूजन आदि हो तो यह संक्रमण बड़ी जल्दी कान के पर्दे के पीछे पहुँच जाता है जिससे पर्दे में सूजन आती है जो तेज दर्द कारण बनती है।

कई बार देखा यह गया है कि माताएँ आलस्यवश बच्चे को लेटे लेटे स्तनपान करा देती हैं जो यूस्टेशियन ट्यूब से होकर कान के पर्दे के पीछे संक्रमण पैदा कर देता है जिससे इतने छोटे से बच्चे को कान में मवाद आने लगता है व तेज दर्द भी उठता है।

कई बार बच्चे को नहलाते समय कान भी पानी से साफ कर दिया जाता है जिससे कान में नमी की वजह से फंगस या फफूँद हो सकती है जो तेज दर्द का एवं खुजलाहट का कारण होती है।

कई बार कान में अत्यधिक मैल या वैक्स के जमा होने पर भी तेज दर्द होता है।

अन्य कारण : उपरोक्त सभी कारणों के अलावा ऐसे कई कारण होते हैं जो कान के बाहर होते हैं पर फिर भी उनका दर्द कान में महसूस होता है। टांसिल्स में सूजन व मवाद होने पर, दाँत में सड़न या संक्रमण होने से मसूड़ों के फूलने से, जबड़े के जोड़ में सूजन आने से इन सभी कारणों से भी कान में दर्द महसूस होता है।

लक्ष ण
* बच्चा कान खींचकर रोता है

* कान को हाथ लगाने से या दबाने से तेज दर्द उठता है

* दर्द के साथ बुखार व सर्दी भी हो सकती है

* कान के आसपास की त्वचा का तापमान बढ़ सकता है

* कान से गाढ़ा मवाद एवं पानी जैसा स्राव संभव है

* गले में दर्द एवं जबड़ा खोलने में दर्द महसूस हो सकता है।

बचाव एवं उपा य
* स्तनपान के दौरान अपने बच्चे का सिर उसकी छाती से ऊँचा या 45 डिग्री के कोण में रखना चाहिए। इसीलिए बैठकर स्तनपान कराना उचित होता है। लेटे-लेटे ही स्तनपान कराने से कान के इंफेक्शन का खतरा दो गुना बढ़ जाता है। उसी प्रकार बोतल से दूध पीने वाले बच्चे का सिर तकिए पर ऊँचा उठाकर ही बोतल देनी चाहिए।

* कान व उसके आसपास की चमड़ी को गरम कपड़े से हल्के से सेंकने पर भी राहत होती है।

* यदि कान में वैक्स या मैल जम रहा हो तो क्लिप या पिन से साफ करने की कोशिश न करें बल्कि डॉक्टर की सलाह लेना ही उचित होगा।

* यदि बच्चे के दाँतों में सड़न या मसूड़ों में सूजन की तकलीफ हो तो उसका इलाज विशेषज्ञ से करवाएँ।

* नहलाने के बाद नरम टॉवेल से बच्चे के दोनों कान पोंछ कर सूखे रखें। इससे फंगस होने की संभावना नहीं होती।

अतः उपरोक्त छोटी सावधानियाँ रखकर हम अपने बच्चे का दर्द दूर रख सकते हैं।
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