वास्तव में मॉर्डन लाइफ स्टाइल अपना असर दिखाने लगी है। भागमभाग भरी जिंदगी, लेट नाइट स्लीपिंग, देर से उठना, असमय खाना और बढ़ते टेंशन आदि जैसे कई कारणों से माइग्रेन के युवा मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। सावधानी न रखने से यह गंभीर भी हो सकता है। अस्पतालों में प्रति माह 100 से अधिक युवा मरीज माइग्रेन के पहुंचते हैं।
न्यूरोलोजिस्ट के अनुसार अस्पताल में मरीज तभी पहुंचते हैं जब स्थिति बिगड़ जाती है। माइग्रेन की शुरुआती स्थिति में ही यदि एक्सपर्ट से मिल लिया जाए तो इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। बाद में ठीक होने में इसे थोड़ा समय लगता है।
माइग्रेन रक्त वाहिकाओं यानी ब्लड नर्व्स के फैलने और उनसे कुछ केमिकल निकलने के कारण होता है। कुछ खास कारण इसे प्रेरित करते हैं। माइग्रेन की 4 स्टेज रहती हैं- प्रोडोम, ऑरा, हैडेक और पोस्टड्रोम।
खास बात यह है कि माइग्रेन युवाओं में ज्यादा पाया जाता है। आजकल दवाओं से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसकी अलग-अलग स्टेज के आधार पर ही इसे पूरी तरह ठीक होने में लगने वाला समय भी अलग-अलग होता है।