हेल्मेट 'बोझ' नहीं 'दोस्त' है

आपकी जिंदगी अनमोल है

Webdunia
डॉ. एमसी मिश्रा
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भारत में प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना में तीन फीसद की वृद्घि हो रही है। इसकी चपेट में आने वाले 78 फीसद लोग 20-44 आयु वर्ग के हैं। दो पहिया वाहन चलाते हुए दुर्घटना की चपेट में आने वाले सैकड़ों युवा हर साल सिर की गंभीर चोटों से जान से हाथ धो बैठते हैं। इन्हें सिर की गंभीर चोटों से केवल हेल्मेट ही बचा सकता है।

प्रति वर्ष करीब 1 लाख 10 हजार लोग सड़क हादसे का शिकार होकर काल के ग्रास बन रहे हैं जबकि इससे छः गुना (करीब छः लाख) लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं। सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इनमें 70 फीसद ऐसे लोग होते हैं जो हेल्मेट नहीं पहनने और कार का सीट बेल्ट नहीं लगाने की वजह से दुर्घटना के शिकार होते हैं। 90 फीसद सिर की गंभीर चोट को हेल्मेट पहनकर रोका जा सकता है। एम्स ट्रामा सेंटर में आने वाले अधिकांश दुर्घटनाग्रस्त लोगों के सिर में गंभीर चोटें होती हैं और ऐसा हेल्मेट नहीं पहनने की वजह से होता है।

सिर में चोट के शिकार होने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं की है। दिल्ली में मोटरसाइकल पर पुरुषों के लिए हेल्मेट पहनना जहाँ अनिवार्य है, वहीं महिलाओं के लिए ऐसा कानून न होने की वजह से महिलाएँ बेफिक्र होकर मोटरसाइकल पर बैठती हैं। दुर्घटना होने पर पीछे बैठी महिलाएँ सिर की गंभीर चोट की शिकार होती हैं। काफी सारी महिलाएँ मौत के मुँह में समा जाती हैं और जो बचती भी हैं वे लंबे समय तक कोमा में रहती हैं। यदि महिलाएँ यानी पत्नी, गर्लफ्रेंड, माँ, बहन जागरूक हो जाएँ तो वे खुद को तो चोट से बचा ही सकती हैं, पुरुषों को भी रैश ड्राइविंग से मना कर सकती हैं। महिलाएँ पुरुषों को यातायात नियमों के उल्लंघन से मना कर सकती हैं और उन्हें हर हालत में बिना हेल्मेट पहने या कार का बेल्ट लगाए बाहर निकलने से रोक सकती हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आँकड़े दर्शाते हैं कि 2020 तक भारत में होने वाली मौतों में सड़क दुर्घटना एक बड़ा कारक होगा। अनुमान के मुताबिक तब प्रति वर्ष पाँच लाख 46 हजार लोग इसकी वजह से मरेंगे। 1 करोड़ 53 लाख 14 हजार लोग प्रतिवर्ष इसकी वजह से जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाएँगे। उनके अनुसार सड़क दुर्घटना में मरने वालों में पैदल यात्रियों, मोटर साइकल सवारियों और साइकल सवारियों की संख्या सबसे अधिक है। सच तो यह है कि पूरी दुनिया की सिर्फ एक फीसद गा‍ड़‍ियाँ भारत में है। जबकि दुनिया भर में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में से छ: फीसद यहीं हो रही है।

इस देश में वर्तमान में प्रतिवर्ष 5 लाख लोग सड़क हादसे के शिकार हो रहे हैं, जिसमें से एक लाख 10 हजार की मौत हो जाती है और 18 लाख लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं।

भारत की सड़कों पर प्रति 2 मिनट में एक दुर्घटना घट रही है और प्रति 8 मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। रोड़ एक्सीडेंट के शिकार युवाओं में हेल्मेट न पहनने वाले व कार बेल्ट नहीं बाँधने वाले युवाओं की संख्या सबसे अधिक है।

दिल्ली जैसे महानगर में भी युवा ट्रैफिक पुलिस से बचने के लिए हेल्मेट पहनते हैं जबकि उन्हें यह सोचने की जरूरत है कि हेल्मेट पहनना उनकी लाइफ बचाने के लिए जरूरी है।

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