स्पाइन सर्जरी से जुड़ी भ्रांतियों से बचें, आधुनिक तकनीक से हो सकती है बेहतर रिकवरी
केयर सीएचएल हॉस्पिटल में आयोजित हुआ ‘अनुभव’ कार्यक्रम- स्वास्थ्य संवाद का एक सफल प्रयास
इंदौर। आहार की बदलती आदतों और बिगड़ती लाइफस्टाइल के कारण हड्डियों की समस्याओं में इजाफा हो रहा है। बेहतर स्वास्थ्य और जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केयर सीएचएल हॉस्पिटल ने रविवार 04 मई 2025 को अनुभव नामक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य आम जनता को स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करना, विशेषज्ञों के अनुभव साझा करना और उपस्थित नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित करना था। इस अवसर पर विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों ने रीढ़ की हड्डी, आहार, वजन प्रबंधन, हड्डियों की समस्याएं एवं जीवनशैली से जुड़ी चुनौतियों पर इंटरैक्टिव सेशन किए। कार्यक्रम में मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए, जिससे उपस्थित लोगों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत “स्पाइन जर्नी ऑफ डॉ. प्रसाद पटगांवकर और इंदौर में रीढ़ की हड्डी का इलाज- अतीत, वर्तमान एवं भविष्य” विषय पर विस्तृत चर्चा से हुई। इसमें रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियों, तकनीकों और उपचार के बदलते स्वरूप पर गहन चर्चा की गई। विशेषज्ञों की टीम ने मरीजों से संवाद कर उनके अनुभव भी साझा किए।
डॉ. संदीप जुल्का, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, केयर सीएचएल हॉस्पिटल ने कहा, “ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियाँ धीरे-धीरे बढ़ने वाली समस्याएं हैं, जो शुरुआत में नजर नहीं आतीं। लेकिन जब यह गंभीर हो जाती हैं, तो हड्डियों का टूटना और फ्रैक्चर एक आम समस्या बन जाती है। इस रोग की पहचान करना और समय पर इलाज करना बेहद जरूरी है। इसे अक्सर आम समझा जाता है लेकिन यह बहुत ही गंभीर समस्या है जिसमें हड्डियाँ खोखली हो जाती हैं। 45 साल की महिलाओं में इसके खतरे 50% तक होते हैं। महिलाओं में लंबाई का कम होना, हड्डियों का मुड़ना और उनमें लगातार दर्द रहना इसके लक्षण हैं। विटामिन डी का इसमें अहम रोल होता है। धूप लें, पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम लें, समय-समय पर जांच कराएं। हार्मोनल बदलाव, स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन भी इस स्थिति को और बिगाड़ते हैं। इसलिए जीवनशैली और आहार में सुधार, नियमित व्यायाम और गिरने से बचाव अत्यंत आवश्यक है।”
डॉ. सचिन झालानी, फिजियोथेरेपिस्ट, केयर सीएचएल हॉस्पिटल ने बताया, “फिजियोथेरेपी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो रोगियों को उनके शरीर की सीमाओं को पार करने में मदद करती है। चाहे वह किसी दुर्घटना के बाद की पुनर्वास प्रक्रिया हो या फिर पोस्ट-सर्जिकल रिकवरी, फिजियोथेरेपी मरीजों को जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करती है। साथ ही उठने-बैठने के तरीके और पोस्चर का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। अगर हम रीढ़ की हड्डी को झुका कर या खींच कर रखते हैं, तो समस्याएं कई गुना बढ़ सकती हैं। सोने के समय भी गलत पोस्चर कई बीमारियों को जन्म देता है। बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान है- मोटापे के कारण बीमारियाँ जल्दी घेरती हैं। गर्दन और रीढ़ के लिए भुजंगासन, मैकेंज़ी जैसी आसान एक्सरसाइज़, साइक्लिंग और पैदल चलना फायदेमंद है। साथ ही, कैल्शियम और विटामिन बी12 का सेवन भी लाभदायक होता है।”
डॉ. प्रसाद पटगांवकर, स्पाइन सर्जन, केयर सीएचएल हॉस्पिटल ने कहा, “हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम मरीजों के लिए इलाज का सबसे बेहतर तरीका प्रदान करें। रीढ़ की हड्डी से संबंधित समस्याएं केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक पहलुओं को भी प्रभावित करती हैं। पिछले कुछ दशकों में हमने इलाज के तरीकों में महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं। आज तकनीक और विज्ञान की मदद से हम अधिक सटीक और प्रभावी उपचार कर पा रहे हैं। यदि आवश्यक है तो स्पाइन सर्जरी बहुत जरूरी है और इससे जुड़ी भ्रांतियों से दूर रहना चाहिए। अब मिनिमल इनवेसिव तकनीक, दूरबीन के माध्यम से उपचार, एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी, इंटरनेशनल पेन मैनेजमेंट और ओ-आर्म (रोबोटिक) सर्जरी जैसी अत्याधुनिक विधियाँ उपलब्ध हैं। सर्जरी के दौरान नेविगेशन का बहुत अहम योगदान है और हमारे पास 3डी तकनीक भी मौजूद है, जिससे अब रिकवरी तेज हो गई है।”
डॉ. रेणु जैन, आहार विशेषज्ञ, केयर सीएचएल हॉस्पिटल ने बताया कि,* “शारीरिक वजन और आहार का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से होता है। सही आहार न केवल शरीर को पोषण देता है, बल्कि यह बीमारियों से लड़ने की हमारी क्षमता को भी बढ़ाता है। अगर हम अपनी जीवनशैली और आहार पर ध्यान दें, तो हम कई स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं। खासकर स्पाइन सर्जरी के बाद हाई प्रोटीन, हाई फाइबर युक्त आहार और हाइड्रेट रहना जरूरी होता है। आहार में विटामिन डी, विटामिन बी12, दालें, फल और सब्जियाँ शामिल करें। प्रोसेस्ड फूड, बहुत तले मसालेदार भोजन, हैवी ब्रेकफास्ट और अत्यधिक मीठे से परहेज़ करें ताकि वजन न बढ़े।”