पड़ताल: क्या मिल गया है कैंसर का सटीक और सस्ता इलाज, जानिए दावे का सच...

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कैंसर, एक भयावह बीमारी मानी जाती रही है। पिछले कुछ वर्षों से इस बीमारी की चपेट में कई बड़े नाम आए और यह फिर खबरों में है। 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। अक्सर दिवस के आने से पूर्व कई वैज्ञानिक और डॉक्टर इसका सटीक इलाज तलाश लेने के दावे करते हैं... 
 
हाल ही में इज़राइल के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि 2020 तक कैंसर का जड़ से इलाज मुमकिन है। दावा किया जा रहा है कि वैज्ञानिक अपने परीक्षण के आखिरी स्टेज पर हैं। अगर वह सफल हो जाते हैं तो ये दुनिया का पहली ऐसी दवाई बना लेगें, जिससे कैंसर पूरी तरह से मरीज के शरीर से खत्म हो सकता है। इन दावों में कितनी सचाई है यह आने वाला वक्त बताएगा लेकिन आइए पड़ताल करते हैं अब तक किए गए दावों की... 
 
कैंसर है क्या : कोशिका डैमेज होने के बाद वह तेजी से कोशिकाएं विकसित करने लगती है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में ट्यूमर बनने लगते हैं और यही आगे जाकर कैंसर का रूप लेता है। 
 
पिछले दिनों मुंबई के एक डॉक्‍टर ने दावा किया था कि यदि समय रहते कैंसर के बारे में पता चल जाए तो मात्र 9 दिन में इसका इलाज किया जा सकता है। मुंबई में कैंसर सर्जन डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा था कि अगर समय पर कैंसर का पता लग जाए, तो इसका उपचार 9 दिन में भी संभव है। 
 
डॉ. चतुर्वेदी के अनुसार‘इलाज की अत्याधुनिक तकनीकों के बावजूद लोगों के मन से कैंसर का डर निकल नहीं रहा है। इसी वजह से कई बार लोग जांच के लिए सामने नहीं आते। इस रोग के बारे में जागरूकता की कमी और गलत धारणा के कारण कई बार लोग बायप्सी तक नहीं कराते। वे डरते हैं कि अगर कैंसर नहीं भी है, तो बायप्सी से इसके होने की आशंका बढ़ सकती है। गांवों में तो कैंसर होने के बाद मरीज के बर्तन से लेकर बिस्तर तक अलग कर दिए जाते हैं।’
 
बाद में इन दावों का कोई फॉलोअप नहीं लिया गया। 
 
इसी तरह इटली के डॉक्टर टूलिओ सिमोनचिनी के दावा किया था कि वे मात्र 2 से 10 रुपए की कीमत पर मिलने वाले बेकिंग सोडा की मदद से सैकड़ों मरीजों का इलाज कर चुके हैं। उनके अनुसार घर में खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला बेकिंग सोडा कैंसर को खत्म करने के लिए रामबाण है। उनका दावा था कि इस उपयोग से वे अब तक सभी स्टेज के कैंसर मरीजों का इलाज कर चुके हैं और सभी लोगों पर यह दवा 100 फीसदी प्रभावी रही है।
 
डॉ. टूलिओ का कहना था कि यह थेरेपी बिल्कुल हानिकारक नहीं है। उनके मुताबिक, बेकिंग सोडा की मदद से हम जो इलाज कर रहे हैं उससे 10 दिन में किसी भी स्टेज के कैंसर को काफी हद तक रोका जा सकता है।
 
उनके अनुसार, फंगस कैंसर को पैदा करते हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं और इसके बाद पूरे शरीर पर हमला करते हैं। हर तरह का कैंसर कैंडिडा फंगस की वजह से ही होता है। इसकी कई अध्ययनों से पुष्टि भी हो चुकी है। समय के साथ-साथ हमारी कोशिकाएं कमजोर और थकी हुई हो जाती हैं और अज्ञात कोशिकाओं को उत्पादन शुरू कर देती हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर एक अल्सर है, जिसमें विकृत कोशिकाएं जमा होती हैं और कॉलोनीज बना लेती हैं।
 
डॉ. टूलिओ ने दावा किया था कि उन्होंने उन चीजों की पहचान की है, जो फंगस की कॉलोनीज पर हमला कर सकते हैं। स्किन कैंसर के लिए बेकिंग सोडा और आयोडीन टिंचर सबसे अच्छा पदार्थ है। कई अध्ययनों में यह बात साबित हुई है कि कैंसर के खिलाफ बेकिंग सोडा ने इंट्रासेल्यूलर एक्शन किया है। उन्होंने कहा कि मैंने 20 से अधिक वर्षों से अपने मरीजों पर इलाज का उपयोग किया है। इन रोगियों में से कई ऐसे रोगी भी थे, जिन्हें डॉक्टरों ने कहा था कि उनकी बीमारी लाइलाज है, लेकिन वे पूरी तरह से ठीक हो गए। ट्यूमर को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका बेकिंग सोडा के संपर्क में आना है। 
 
बीच में कई दावे घरेलू औषधियों को लेकर हुए लेकिन उनकी प्रामाणिकता सं‍देहास्पद ही रही। यूट्यूब पर ढेरों वीडियो चल रहे हैं जो कुछ मिनटों से लेकर कुछ दिनों तक में कैंसर का सफाया करने की बात करते हैं लेकिन प्रामाणिकता के नाम पर अक्सर हाथ में कुछ भी नहीं आता... 
 
हल्दी, नीम, फ्रीज में रखा नींबू, सेब का सिरका, अखरोट, बादाम, अदरक, लहसन, नोनी का रस, गाजर जैसी कई खाद्य सामग्रियां कैंसर के लिए प्रभावी मानी जाती रही हैं। हमें इन पर कोई संदेह नहीं पर इनकी विश्वसनीयता और प्रामाणिकता पर चिकित्सकों को कोई जिम्मेदार स्टटमेंट अवश्य देना चाहिए ताकि भ्रम का माहौल न बन सके और असलियत सामने आए।   
 
ताजा दावा इसजराइल के वैज्ञानिकों ने किया है। कहा जा रहा है कि डब्ड मुटाटो (Dubbed MuTaTo) नाम से एनोल्यूशन बायोटेक्नोलॉजिज़ लिमिटेड कंपनी से जुड़े वैज्ञानिकों से इस दवाई का अविष्कार किया है। जो सफल होते ही अगले साल यानी 2020 तक कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ रहे मरीज़ों के लिए उपलब्ध होगी। 
 
चेयरमैन डैन एरिडोर ने बताया कि, 'हमारी बनाई हुई ये कैंसर की दवा पहले दिन से ही अपना असर दिखाएगी। इसके ना तो कोई साइड इफेक्ट्स हैं और ना ही ये दवा महंगी है। बाज़ार में मौजूद महंगे ट्रीटमेंट्स से अलग ये दवा काफी सस्ती है। हम जनरल और पर्सनल दोनों तरह के इलाज करने में सक्षम होंगे। 
 
फोर्ब्स में छपी इस खबर के मुताबिक मुटाटो कैंसर-टार्गेटिंग पेप्टीडेस और यूनिक टॉक्सिन का मिश्रण है जो सिर्फ कैंसर सेल्स को टार्गेट करता है। इससे हेल्दी सेल्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। 
 
कहा जा रहा है कि चूहों पर इस दवा का सफल परीक्षण हो चुका है और इसी साल 2019 में इंसानों पर भी इसका ट्रायल किया जाएगा। यह ट्रायल सफल हुआ तो इससे लाखों कैंसर से जूझ रहे मरीज़ों की जानें बचाई जा सकेंगी।

अगर यह सफल होता है तो निश्चित रूप से कैंसर रोगियों के साथ उनके परिजन के लिए भी राहत देने वाली खबर होगी लेकिन सवाल यह है कि कहीं यह भी उन तमाम वादों की तरह ही साबित न हो जो पिछले दिनों बड़े जोर-शोर से किए जाते रहे पर उनकी पड़ताल किसी ने नहीं की।

कोई नहीं जानता कि वे कहां तक कितने सफल हुए हैं.. विडंबना यह है कि इस तरह के दावों का कोई प्रामाणिक डाटा भी उपलब्ध नहीं है। 

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