अधिक नमक खाने से असमय बुढ़ापा

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अधिक नमक खाने से बुढ़ापा जल्दी आता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सोडियम की बहुत अधिक मात्रा लेने से कोशिकाओं का क्षय होता है। इसका प्रभाव अधिक वजन वाले लोगों में सबसे ज्यादा देखा जाता है। जो किशोर मोटे होते हैं और चिप्स आदि के जरिए बहुत अधिक नमक खाते हैं, उनके शरीर में कोशिकाओं की आयु तेजी से बढ़ने लगती है। इस कारण वे जीवन में बाद के वर्षों में हृदय रोग के शिकार हो सकते हैं। भोजन में नमक की कमी करने से कोशिकाओं की आयु बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

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आगस्ता स्थित जॉर्जिया रीजेंट्‍स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया है। जिसमें उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि खाने में नमक की अधिक मात्रा से शरीर की कोशिकाओं का क्षय होता है और ये समय से पहले ही बूढ़ी हो जाती हैं। जबकि खाने में नमक की कम मात्रा कोशिकाओं की एजिंग प्रोसेस को धीमी कर देती है। यह तथ्य ऐसे लोगों के मामले में अधिक प्रभावी होता है जोकि मोटे होते हैं या जिनका वजन ज्यादा होता है। यह बात पहले से सिद्ध की जा चुकी है कि क्रोमोसोम्ज के संरक्षात्मक छोरों को टेलोमेयर्स नाम से जाना जाता है और वे आयु के बढ़ने के साथ-साथ छोटे छोटे हो जाते हैं। इनके आकार में कमी तब और भी देखी जा सकती है कि संबंधित व्यक्ति धूम्रपान करता हो, शारीरिक व्यायाम न करता हो और उसके शरीर में बॉडी फैट (वसा) अधिक हो।


लेकिन यह पहला अध्ययन है जिसमें नमक के खाने के टेलोमेयर की लंबा ई पर असर का अध्ययन किया गया। डेली मेल ऑन लाइन में प्रकाशित एम्मा आइन्स के एक लेख में बताया गया है कि अध्ययन के तहत 766 लोगों को छांटा गया जिनकी आयु 14 वर्ष और 18 वर्ष के बीच थी।

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इन लोगों के समूहों को उनकी नमक की खुराक के आधार पर कई वर्गों में बांट दिया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि बहुत अधिक नमक खाने वाले मोटे किशोरों के टेलोमेयर्स बहुत अधिक छोटे थे जबकि जो नमक नहीं खाते थे उनके टेलोमेयर्स काफी बड़े थे। लेकिन उन्होंने यह भी पाया कि स्वस्थ वजन वाले किशोरों में सोडियम की खुराक का उनके टेलोमेयर्स की लंबाई पर असर नहीं पड़ा।


टेलोमेयर्स वे जैविक टोपियां (बायोलॉजिकल कैप्स) हैं जो क्रोमोसोम्ज के छोरों पर पाए जाते हैं और इनके डीएनए को किसी भी नुकसान से बचाते हैं। ठीक उसी तरह से जैसे कि तस्मों (शूलेसेज) के छोरों पर प्लास्टिक या कड़े मेटल की कवर इसको इधर उधर से घिसने से बचाती है और यह एक बना रहता है।

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, हमारे टेलोमेयर्स छोटे और अधिक छोटे होते चले जाते हैं। इस कारण से डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है और उम्र से संबंधित बीमारियां जैसे अल्जाइमर्स, मधुमेह और हृदय रोग हमें घेरने लगती हैं। औसत के कम छोटे टेलोमेयर्स खराब स्वास्थ्य की निशानी समझी जाती है और हम समय पूर्व ही मौत का शिकार बन सकते हैं।

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