कोमा में भी सक्रिय रहता है दिमाग

सेहत समाचार

Webdunia
ND
व्यक्ति के कोमा में रहने पर साधारणतः लोग समझते हैं कि मनुष्य में सोचने, समझने और सुनने की क्षमता नहीं होती है। लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में इस बात का पता चला है कि ऐसा नहीं है। मनुष्य के कोमा में रहने के बावजूद वह बातों को समझ और सुन सकता है।

ब्रिटेन और बेल्जियम के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार किसी दुर्घटना में व्यक्ति के दिमाग के चोटिल होकर कोमा में पहुँचने के बावजूद उसमें संवेदना रहती है और वह सुनने और समझने की स्थिति में रहता है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए कोमा में गए एक 29 साल के व्यक्ति पर शोध किया।

ND
2003 में कार दुर्घटना के दौरान इस व्यक्ति का दिमाग क्षतिग्रस्त हो गया था। उच्च तकनीक से लैस एफएमआरआई स्कैन के माध्यम से व्यक्ति की दिमागी गतिविधियों का अध्ययन किया गया। इस व्यक्ति ने किसी भी प्रकार की बाहरी गतिविधि नहीं दिखाई लेकिन उसके दिमाग में हलचल जारी थी।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के डॉक्टर एड्रियन ऑन ने बताया कि 'स्कैनर से मिले संकेतों से पता लग रहा था कि आसपास मौजूद लोगों के सवालों के जवाब में उनके दिमाग में हाँ या ना के जवाब दर्ज हो रहे थे।' वैज्ञानिकों ने बताया कि उसको जो साधारण से निर्देश दिए जा रहे थे उनके प्रति भी उसके दिमाग में संवेदना पैदा हो रही थी। व्यक्ति की इस प्रतिक्रिया को देखकर वहाँ मौजूद सभी डॉक्टर आश्चर्य में पड़ गए।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

हिंदी भाषा का गुणगान करती इस कविता को सुनाकर खूब मिलेगी तारीफ

देश में हर तीसरी मौत के पीछे हार्ट अटैक, रिपोर्ट में सामने आई डरावनी तस्वीर, क्‍या कहा डॉक्‍टरों ने?

डॉक्टर, IPS, IAS के साथ 20 से ज्यादा डिग्रियां, जानिए कौन हैं भारत के सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति

हिंदी दिवस पर भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार पाने के लिए ऐसे करें की तैयारी

AI रिवॉल्‍यूएशन Human Mind और अलग-थलग पड़ी मनुष्‍य चेतना के सवाल

सभी देखें

नवीनतम

अशांत नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और शैतान पाकिस्तान से घिरा है भारत

Hindi Diwas 2025: राष्ट्रीय हिन्दी दिवस पर सोशल मीडिया पर शेयर करें ये 15 शानदार शुभकामना संदेश और बढ़ाएं हिन्दी का मान

परमपूज्य स्वामी ब्रह्मानंद जी का वैराग्य नैसर्गिक था

Vastu tips: घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए आजमाएं ये 5 वास्तु टिप्स और प्रभावी उपाय

munshi ayangar formula: कौन थे मुंशी-आयंगर जिनके फॉर्मूले की बदौलत हिंदी बनी राजभाषा, क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस