दंत चिकित्सा विज्ञान की कोशिश रहती है कि प्राकृतिक दाँतों जहाँ तक संभव हो सुरक्षित रखा जाए। पहले दाँतों में कीड़ा लगने पर धातुओं से भरा जाता था या बहुत खराब होने पर दाँत निकाल दिया जाता था। कीड़ा लगे दाँतों को बचाने में रूट कैनाल ट्रीटमेंट बहुत कारगर इलाज के रूप सामने आया है।
प्रकृति द्वारा प्रदत्त दाँत शरीर-स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दाँत पाचन तंत्र का एक अभिन्न अंग है। स्वस्थ और सुंदर दंत पंक्ति आपके व्यक्तित्व को एक नई पहचान देती है। आज दंत चिकित्सा प्रगति के चरम पर है। चिकित्सक हरसंभव प्रयास कर प्राकृतिक दाँतों को बचाने की कोशिश करते हैं। रूट कैनाल ट्रीटमेंट या एनडोडांटिक ट्रीटमेंट अत्यधिक सड़े एवं टूटे हुए दाँतों को पुनः स्वस्थ एवं चबाने योग्य बनाने के लिए किया जाता है। नवीन उपकरणों एवं उन्नत तकनीक के कारण अब इस ट्रीटमेंट की सफलता दर 95 प्रतिशत से 100 प्रतिशत है।
रूट कैनाल ट्रीटमेंट क्या है?
दाँत के सबसे अंदरूनी भाग पल्प में नसें, रक्त कोशिकाएँ एवं तंत्रिकाएँ होती हैं। पल्प दाँत की जड़ (रूट कैनाल) में स्थित होता है। पल्प टिश्यू में इंफेक्शन और सूजन होने पर दाँत को बचाने के लिए रूट कैनाल ट्रीटमेंट किया जाता है।
पल्प में सूजन के कार ण
* दाँतों में कीड़ा लगना (डीप केविटी) * चोट लगना * दाँत की सतह का बहुत अधिक घिस जाना
सूजन / सड़न के लक्ष ण
* दाँत/दाँतों में असहनीय दर्द * ठंडा या गर्म खाने पर दर्द होना * सोते समय दाँत में दर्द * दाँत के कारण कान या सर में दर्द * मसूड़ों में सूजन एवं मवाद निकलना।
ध्यान दे ं
दाँत के दर्द न होने पर भी जबड़े की हड्डी में मवाद हो सकता है। यह स्थिति दाँत की नस पूरी तरह सड़ जाने के कारण होती है।
* कीड़े एवं पल्प टिश्यू को पूर्ण रूप से निकालना * रूट कैनाल/जड़ की मशीनी उपकरणों द्वारा थ्री-डाइमेंशनल शेपिंग * रेजीन सीमेंट एवं अक्रियाशील फिलिंग मटेरियल द्वारा रूट कैनाल को भरना * दाँत के ऊपरी (क्राउन) भाग में फिलिंग।
मशीनी उपकरणों से स्पेशलिस्ट द्वारा ट्रीटमेंट किए जाने से अब यह उपचार पहले के मुकाबले बहुत कम समय में पूरा किया जा सकता है। केस के अनुसार प्रायः एक या दो सिटिंग में ट्रीटमेंट हो जाता है।
इलाज के दौरान एवं बाद की सावधानिया ँ
* उपचार अधूरा नहीं छोड़ें
* चिकित्सक द्वारा दिए गए समय पर अवश्य आएँ
* चिकित्सक की सलाह के अनुसार फिलिंग या कैप अवश्य लगवाएँ।
कैप लगवाने का महत् व
केविटी होने से या चोट लगने से दाँत कमजोर हो जाता है। फिर उसकी रक्त धमनियाँ हट जाने से उसके टूटने की संभावना बढ़ जाती है, अतः दाँत को मजबूती देने के लिए उस पर कैप लगाना आवश्यक होता है। यदि चिकित्सक द्वारा कोई एंटिबायोटिक दवा दी गई है तो निश्चित अवधि तक लें।