सहज ध्यान से बढ़ती हैं आत्मिक शक्तियाँ

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- उर्मिला मेहत ा

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प्राचीन समय में 'ध्यान' केवल ऋषि-मुनियों के सामर्थ्य की बात समझी जाती थी, परंतु वर्तमान समय में जनसाधारण की पहुँच भी ध्यान के क्षेत्र में होने लगी है। आत्मिक शक्तियों के विकास द्वारा जीवन को सुंदर एवं आनंदमय बनाने के लिए हमारे समाज में अनेक ध्यान विधियाँ प्रचलित हैं, जिनमें पार्थसारथी राजगोपालाचारी का 'सहज ध्यान' भी एक है।

इस ध्यान विधि से किसी भी परिस्थिति में तनावरहित, संतुष्ट और आनंदमयी जीवन जिया जा सकता है। ध्यान लगाने की यह एक ऐसी सरल-सहज विधि है, जो आम लोगों के लिए वरदान स्वरूप है।

पार्थसारथी राजगोपालाचारी गुरुजी कहते हैं कि 'हमारे हृदय में ईश्वरीय प्रकाश है। संस्कारों और विचारों की राख हटाकर उसका ध्यान कीजिए, ऐसा अनुभव होगा जैसे व्यर्थ ही हमने कष्ट झेला। कस्तूरी मृग के समान सत्‌चित्त आनंदरूपी कस्तूरी हमारी आत्मा में ही विद्यमान है।' सहज ध्यान से जीवन जीने की कला आती है। आत्मविश्वास बढ़ता है, एकाग्रता आती है और सबसे बड़ी बात प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य आनंद की अवस्था में रहता है, उत्साहपूर्वक काम करता है।
राजगोपालाचारी गुरुजी कहते हैं कि 'हमारे हृदय में ईश्वरीय प्रकाश है। संस्कारों और विचारों की राख हटाकर उसका ध्यान कीजिए, ऐसा अनुभव होगा जैसे व्यर्थ ही हमने कष्ट झेला। कस्तूरी मृग के समान सत्‌चित्त आनंदरूपी कस्तूरी हमारी आत्मा में ही विद्यमान है।


सहज ध्यान का आरंभ गुरुजी के ट्रांसमिशन के माध्यम से तीन बैठकों में प्रशिक्षक (प्रीसेप्टर) के सम्मुख व्यक्तिगत रूप से बैठकर होता है। उसके बाद घर में तथा सामूहिक रूप से ध्यान किया जाता है। ध्यान के तीन चरण होते हैं। प्रथम चरण में कहा जाता है कि सहज रूप से ह्दय में ईश्वरीय प्रकाश को देखें। दिमाग पर बिल्कुल जोर न दें। अनगिनत विचार बाधा स्वरूप अवश्य आएँगे, परंतु धीरे-धीरे आशातीत सफलता मिलेगी। एक अथवा आधा घंटा ध्यान में लगाएँ। द्वितीय चरण निर्मलीकरण का है। संध्या के समय आधा घंटा बैठकर यह विचार करें कि समस्त विकार, द्वेष, आंतरिक कालिमा, आदि धुआँ या भाप बनकर शरीर से पीछे की ओर निकल रहे हैं। इन्हीं से ही हमें मुक्ति चाहिए, परंतु उन पर ध्यान न दें। ध्यान के तीसरे चरण में रात्रि के समय, सभी काम समाप्त हो जाने पर सोते समय यह प्रार्थना करना है -
' हे नाथ! तू ही मनुष्य जीवन का ध्येय है,
हमारी इच्छाएँ ही हमारी उन्नति में बाधक हैं
तू ही हमारा एकमात्र स्वामी और ईष्ट है
बिना तेरी सहायता तेरी प्राप्ति असंभव है।'

भावपूर्ण और सार्थक प्रार्थना से गहरी और संपूर्ण नींद की प्राप्ति होगी और सुबह जागने पर तरोताजा महसूस करेंगे। इस प्रकार यदि 24 घंटों में 1 या डेढ घंटा भी ध्यान में लगाया तो फिर किसी और पूजा या उपासना की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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