होम्योपैथी के दौरान वर्जित

सेहत डेस्क

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(1) होम्योपैथिक औषध के सेवन काल में कपूर, प्याज, लहसुन, हींग, लौंग, जावित्री, छोटी इलायची, अदरक, मूली, कालीमिर्च, लालमिर्च, पोस्त का दाना, गरम मसाले तथा नीबू का छिलका आदि तीव्र गंध वाली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। कुछ चिकित्सकों के मतानुसार नीबू तथा चूना आदि वस्तुओं का सेवन करना भी उचित नहीं है।

(2) चाय, कॉफी, ताजा पावरोटी, ऊष्ण वीर्य वाली शराब (जैसे- ब्राण्डी), खनिज जल (मिनरल वॉटर), लेमोनेड अथवा अम्ल रस (एसिड) द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का प्रयोग भी वर्जित है।

(3) जहाँ तक संभव हो होम्योपैथिक औषधि के सेवन काल में तँबाकू, गाँजा, बीड़ी, सिगरेट, अफीम आदि मादक द्रव्यों का सेवन नहीं करना चाहिए, परन्तु जो लोग इन वस्तुओं के सेवन के आदी हो चुके हैं तथा इनके बिना रह ही न सकें, उन्हें औषधि सेवन से एक घंटा पूर्व तथा सेवन के एक घंटा बाद तक की अवधि में कोई नशा नहीं करना चाहिए।

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(4) होम्योपैथिक औषधियों के सेवन काल में अन्य किसी चिकित्सा पद्धति की औषधि का सेवन करना भी वर्जित है। बाह्य प्रयोग की औषधियों में वैसलीन के साथ तैयार किए गए मरहम आदि का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

(5) होम्योपैथिक औषधियों के सेवन काल में दूध, बार्ली, अरारोट, साबूदाना, धान के लावा का माँड, मूँग अथवा मसूर का शोरबा, बीदाना, अनार, कसेरू, सिंघाड़ा तथा मैंगोस्टीन आदि पदार्थों का रोग की स्थिति के अनुसार सेवन किया जा सकता है। तीव्र गंध से रहित अन्य सुपाच्य फल, सब्जी, अन्न आदि का सेवन करना भी उचित माना गया है।
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