आयुर्वेद अनुसार भोजन के तीन प्रकार

नरेन्द्र देवांगन

Webdunia
हर व्यक्ति का खान-पान उसके संस्कार और संस्कृति के अनुसार होता है। खान-पान में युगों से जो पदार्थ प्रयोग किए जाते रहे है ं, आज भी उन्हीं पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। यह अवश्य है कि इन विभिन्न खाद्य पदार्थों में कुछ ऐसे हैं जो बहुत फायदेमंद होते है ं, तो कुछ ऐसे जो बेहद नुकसानदायक होते हैं। इसी आधार पर प्राचीनकाल में वैद्यों ने आहार को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में बाँटा था-

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सात्विक भोजन

यह ताज ा, रसयुक् त, हल्की चिकनाईयुक्त और पौष्टिक होना चाहिए। इसमें अन्न ा, दू ध, मक्ख न, घ ी, मट्ठ ा, दह ी, हरी-पत्तेदार सब्जिया ँ, फल-मेवा आदि शामिल हैं। सात्विक भोजन शीघ्र पचने वाला होता है। इन्हीं के साथ नींब ू, नारंगी और मिश्री का शरब त, लस्सी जैसे तरल पदार्थ बहुत लाभप्रद हैं। इनसे चित्त एकाग्र तथा पित्त शांत रहता है। भोजन में ये पदार्थ शामिल होने पर विभिन्न रोग एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से काफी बचाव रहता है ।

राजसी भोजन

इसमें सभी प्रकार के पकवा न, व्यंज न, मिठाइया ँ, अधिक मिर्च-मसालेदार वस्तुए ँ, नाश्ते में शामिल आधुनिक सभी पदार् थ, शक्तिवर्धक दवाए ँ, चा य, कॉफ ी, कोक ो, सोड ा, पा न, तंबाक ू, मदिरा एवं व्यसन की सभी वस्तुएँ शामिल हैं। राजसी भोज्य पदार्थों के गलत या अधिक इस्तेमाल से क ब, क्या तकलीफें हो जाएँ या कोई बीमारी हो जा ए, कहा नहीं जा सकता।

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इनसे हालाँकि पूरी तरह बचना तो किसी के लिए भी संभव नही ं, किंतु इनका जितना कम से कम प्रयोग किया जा ए, यह किसी भी उम्र और स्थिति के व्यक्ति के लिए लाभदायक रहेगा। वर्तमान में होनेवाली अनेक बीमारियों का कारण इसी तरह का खानपान ह ै, इसलिए बीमार होने से पहले इनसे बचा जा ए, वही बेहतर है।

इसमें सभी प्रकार के पकवा न, व्यंज न, मिठाइया ँ, अधिक मिर्च-मसालेदार वस्तुए ँ, नाश्ते में शामिल आधुनिक सभी पदार् थ, शक्तिवर्धक दवाए ँ, चा य, कॉफ ी, कोक ो, सोड ा, पा न, तंबाक ू, मदिरा एवं व्यसन की सभी वस्तुएँ शामिल हैं।

तामसी भोजन

इसमें प्रमुख मांसाहार माना जाता ह ै, लेकिन बासी एवं विषम आहार भी इसमें शामिल हैं। तामसी भोजन व्यक्ति को क्रोधी एवं आलसी बनाता ह ै, साथ ही कई प्रकार से तन और मन दोनों के लिए प्रतिकूल होता है ।

खान-पान की खास बाते ं

* जब जल्दी में हो ं, तनाव में हो ं, अशांत हो ं, क्रोध में हों तो ऐसी स्थिति में भोजन न किया जा ए, यही बेहतर है।

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* आयुर्वेद के अनुसार जो मनुष्य खाना खाता ह ै, शरीर के प्रति उसका कर्तव्य है कि वह व्यायाम अवश्य करें।

* बुजुर्गों के लिए टहलना ही पाचन के लिए पर्याप्त व्यायाम है।

* भोजन ऋत ु, स्थान और समय के अनुसार ही करें। बार-बार न खाएँ। यदि समय अधिक निकल जाए तो भोजन न करना ज्यादा अच्छा है।

* भोजन के साथ पानी न पीएँ। आधे घंटे पहले और एक घंटे बाद पीएँ।

* भूख को टालना ठीक नहीं। यह शरीर के लिए नुकसानदायक है।

* दिनभर में इतना काम अवश्य करें कि शाम को थकावट महसूस हो। इससे भूख लगेगी और नींद भी अच्छी आएगी।
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