अंकुरित भोजन : वर्तमान की जरूरत

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अंकुरण से भोज्य पदार्थ के पोषक तत्वों में बढ़ोतरी नैसर्गिक रूप से होती है, इसलिए इनकी पाचनशीलता बढ़ाते हुए इनके सेवन से किसी हानिकारक परिणाम की कोई गुंजाइश नहीं रहती है।

अनाज में गेहूँ, ज्वार, बाजरा, साबुत दालों में मूँग, मोठ, चवला, काला चना, काबुली चना, सोयाबीन आदि को आसानी से अंकुरित कर इनसे विभिन्न स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्य ंजन बनाए जा सकते हैं।

अंकुरण से खाद्यान्नों को अधिक पौष्टिक व सुपाच्य बनाने के अलावा और भी कई फायदे हैं, जो अच्छे पोषण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं।

ख़ड़े अनाजों व दालों के अंकुरण से उनमें मौजूद अनेक पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है, मसलन सूखे बीजों में विटामिन 'सी' की मात्रा लगभग नहीं के बराबर होती है। इन बीजों के अंकुरित होने पर यही मात्रा लगभग दस गुना हो जाती है।

अंकुरण की प्रक्रिया से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स खासतौर पर थायमिन यानी विटामिन बी1, राइबोप्लेविन यानी विटामिन बी2 व नायसिन की मात्रा भी दोगुनी हो जाती है। इसके अलावा शाकाहार में पाए जाने वाले 'केरोटीन' नामक पदार्थ, जो शरीर में विटामिन ए का निर्माण करता है, की भी मात्रा बढ़ जाती है।

  * सर्दियों में अंकुरण की प्रक्रिया धीमी होती है। कई बार 24 घंटे से भी अधिक समय अंकुरण आने में लग जाता है। अतः इन दिनों भीगे हुए अनाज को गरम स्थान में रखने का विशेष तौर से ध्यान रखना चाहिए।      
विटामिन ए आँखों व त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं, अंकुरीकरण से अनाजों में मौजूद लौहतत्व का शरीर में अवशोषण बढ़ जाता है। लौहतत्व खून में हिमोग्लोबीन के निर्माण के लिए निहायत जरूरी है।

अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों से कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं। अनाज पानी सोखकर फूल जाते हैं, जिनसे उनकी ऊपरी परत फट जाती है व इनका रेशा नरम हो जाता है। परिणामस्वरूप पकाने में कम समय लगता है। इसी कारण अंकुरित अनाज बच्चों व वृद्धों की पाचन क्षमता के अनुकूल बन जाते हैं।

अच्छा अंकुरण कैसे करें

* एकदम सही अंकुरीकरण के लिए अनाज/साबुत दालों को कम से कम आठ घंटे इतने पानी में भिगोना चाहिए कि वह सारा पानी सोख लें व दाना फूल जाए। इन फूले हुए दानों को किसी नरम, पतले सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लेना चाहिए। इस पोटली को ढंककर गरम स्थान में रखना चाहिए। पोटली को थोड़े-थोड़े समय बाद गीला करते रहें।

* 12 से 24 घंटे में अच्छे अंकुर निकल आते हैं। वैसे अंकुरित किए हुए मूँग, मोठ आदि बाजार में भी उपलब्ध होते हैं, किन्तु इनकी गुणवत्ता की जानकारी अवश्य होना चाहिए। यदि दूषित जल के प्रयोग से अंकुरण हुआ है तो खाद्यान्न शरीर में रोगाणुओं के वाहक भी हो सकते हैं।

* आजकल बाजार में विशेष प्रकार के जालीदार पात्र 'स्प्राउटमेकर' के नाम से मिलने लगे हैं, जिनका उपयोग खाद्यान्नों के अंकुरीकरण के लिए किया जाता है। खाद्यान्नों के अंकुरित होने का समय तापमान पर निर्भर करता है।

* सर्दियों में अंकुरण की प्रक्रिया धीमी होती है। कई बार 24 घंटे से भी अधिक समय अंकुरण आने में लग जाता है। अतः इन दिनों भीगे हुए अनाज को गरम स्थान में रखने का विशेष तौर से ध्यान रखना चाहिए। इसके ठीक विपरीत गर्मियों में अंकुर जल्दी ही निकल जाते हैं। स्वाद व गुणवत्ता की दृष्टि से एक सेंटीमीटर तक के अंकुर स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इनके स्वाद में भी मिठास में कमी आने लगती है।

* अंकुरित खाद्यान्नों को कच्चा ही नमक, काली मिर्च, नीबू अथवा सलाद मसाला के साथ सेवन किया जा सकता है। आधे पके रूप में किसे हुए प्याज, पत्तागोभी, टमाटर, ककड़ी व गाजर के साथ पौष्टिक सलाद भी बनाया जा सकता है। अंकुरित खाद्यान्नों का सेवन परिवार के स्वास्थ्य की गारंटी है।

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