शाकाहारी होना 'कूल' है

सब का प्यार : शाकाहार

Webdunia
मीनल देवाशीष
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चाहे किसी प्रसिद्ध हस्ती की नकल हो, जानवरों के प्रति सहानुभूति हो या स्वास्थ्य कारण हो, इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि युवा शुद्ध शाकाहार की ओर लौट रहे हैं। आज हर कहीं शाकाहार के प्रति युवा आकर्षित हो रहे हैं। अब धार्मिक नियमों के बंधन, नैतिकता, स्वास्थ्य या मांसाहार के प्रति अरुचि भी इसका कारण हो सकता है। ऐसे युवाओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जो मांसाहार को किसी भी रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।

युवाओं के आइकॉन बन चुके जॉन अब्राहम, शाहिद कपूर और करीना कपूर भी शुद्ध शाकाहारी हैं। अपने आदर्श फिजिक के कारण ये युवाओं के चलन को प्रभावित करते हैं। शाकाहार का एक बड़ा कारण है कि युवा अपने स्वाद के लिए किसी की जान लेना बहुत स्वार्थपूर्ण कार्य समझते हैं। भारत में धार्मिक कारण भी महत्वपूर्ण हैं। धार्मिक प्रवचनों से प्रभावित होकर भी लोग इस दिशा में कदम उठाते हैं।

श्वेता एक जैन परिवार से है। इसलिए वे एक पारिवारिक परंपरा के तहत ही शाकाहारी और अहिंसावादी हैं। लेकिन वे कहती हैं, 'यदि धार्मिक उपदेशों के तहत अनिवार्य न होता, तो भी मैं शाकाहारी ही होती। मैं किसी भी प्राणी को कभी पीड़ा नहीं देना चाहूँगी। यहाँ तक कि मेरे कई दोस्तों को भी शाकाहार की महत्ता का भान हुआ और वे भी इस ओर आए।'

हॉलीवुड स्टार पामेला एंडरसन जैसी हस्तियों ने भी शाकाहार के संबंध में आवाज उठाकर प्राणियों पर किए जाने वाले अत्याचार का विरोध किया है। रॉक स्टार ब्रायन एडम्स तो 'वेजिटेरियन' ही नहीं, 'वेगन' हैं यानी वे डेयरी उत्पादों का भी सेवन नहीं करते। उन्होंने यह प्रसिद्ध नारा भी दिया है कि 'जो जानवरों को प्यार करते हैं, वे उन्हें खाते नहीं।'

सॉफ्टवेयर इंजीनियर निश्छल कहते हैं, 'विदेशों में यह अभियान सिर्फ फर और चमड़े के उपयोग के विरोध तक ही सीमित है, पर भारत में धार्मिक कारणों से यह बहुत आगे है।' मेडिकल क्षेत्र में जाने का इरादा रखने वाली निधि के अनुसार, 'स्वास्थ्य कारणों से शाकाहार को ज्यादा मान्यता मिली है, क्योंकि शाकाहारी लोगों का कोलेस्ट्रॉल और वसा कंट्रोल में रहता है जिससे उनका हृदय सुरक्षित रहता है। इस प्रकार शाकाहारी लोग लंबी आयु प्राप्त करते हैं।'

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डॉक्टर्स भी कहते हैं कि शाकाहारी लोगों का कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है। उनमें हृदय संबंधी बीमारी होने की कम आशंका होती है। यह बात युवाओं को मालूम है और यही कारण है कि वे भी शाकाहार को आगे बढ़ाने के अभियान में शामिल हो चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अब जिम में ट्रेनर भी किसी को मांसाहारी बनाने पर जोर नहीं देते। यदि कोई लड़का शाकाहारी है तो उसे अंकुरित अनाज, दालें, फल और सोयाबीन से बने पदार्थ तथा प्रोटीन के सप्लीमेंट्स खाने की सलाह दी जाती है।

अब तक आमतौर पर मांसपेशियाँ बनाने के लिए मांस खाने की सलाह दी जाती थी। शाकाहारियों की यह आशंका भी धीरे-धीरे दूर हो रही है कि मांसाहारी उनकी तुलना में शारीरिक रूप से ज्यादा ताकतवर होते हैं।

शाकाहार को बढ़ाने में एक जापानी वैज्ञानिक के प्रयोग भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इन प्रयोगों में सिद्ध किया गया है कि एक किलो बीफ के उत्पादन के साथ 36.4 किलो कार्बन डाइऑक्साइड भी उत्पन्न होती है। यह गैस ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। इसलिए भी पर्यावरण के प्रति जागरूक युवा मांसाहार को त्याग रहे हैं।

कुछ साल पहले तक शाकाहारी होना पिछड़े और रूढ़िवादी होने की निशानी समझी जाती थी, लेकिन आज स्थिति ठीक उलट हो गई है। आज के युवाओं में शाकाहारी होना 'कूल' है।

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