भाषा क्या है

भाषा की परिभाषा

Webdunia
अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔ ध'

भाषा यह शब्द जितना आकर्षक और मोहक है, उतना ही गंभीर और कौतूहलजनक भी। भाषा मनुष्यकृत है अथवा ईश्वर प्रदत्त उसका आविर्भाव किसी काल विशेष में हुआ, अथवा वह अनादि है। वह क्रमश: विकसित होकर विविध रूपों में पल्लवित हुई, अथवा आदि काल से ही अपने मुख्य रूप में विद्यमान है। इन प्रश्नों का उत्तर कई तरह से दिया जाता है ।

FILE


कोई भाषा को ईश्वर प्रदत्त कहता है, कोई उसे मनुष्यकृत बतलाता है। कोई उसे क्रमश: विकास का परिणाम मानता है, और कोई उसके विषय में 'यथा पूर्वमकल्पयत्' का राग अलापता है। मैं इसकी मीमांसा करूंगा।

मनुस्मृतिकार लिखते हैं-
ब्रह्मा ने भिन्न-भिन्न कर्मों और व्यवस्थाओं के साथ सारे नामों का निर्माण सृष्टि के आदि में वेदशब्दों के आधार पर किया। प्रजा उत्पन्न करने की इच्छा से परमात्मा ने तप, वाणी, रति, काम और क्रोध को उत्पन्न किया।

पवित्रा वेदों में भी इस प्रकार के वाक्य पाए जाते हैं-जैसे, 'मैंने मनुष्यों को कल्याणकारी वाणी दी'

मैक्समूलर इस विषय में कहते हैं-
'' भिन्न-भिन्न भाषा-परिवारों में जो 400 या 500 धातु उनके मूलतत्तव रूप से शेष रह जाते हैं, वे न तो मनोराग-व्यंजक धवनियां हैं, और न केवल अनुकरणात्मक शब्द ही। उनको-वर्णात्मक शब्दों का सांचा कह सकते हैं। एक मानसविज्ञानी या तत्तवविज्ञानी उनकी किसी प्रकार की व्याख्या करे-भाषा के विद्यार्थी के लिए तो ये धातु अंतिम तत्व ही हैं।

प्रोफेसर पॉट कहते हैं-

' भाषा के वास्तविक स्वरूप में कभी किसी ने परिवर्तन नहीं किया, केवल बाह्य स्वरूप में कुछ परिवर्तन होते रहे हैं, पर किसी भी पिछली जाति ने एक धातु भी नया नहीं बनाया। हम एक प्रकार से वही शब्द बोल रहे हैं, जो सर्गारम्भ में मनुष्य के मुंह से निकले थे।'

जैक्सन-डेविस कहते हैं-

' भाषा एक आंतरिक और सार्वजनिक साधन है, स्वाभाविक और आदिम है। भाषा के मुख्य उद्देश्य में उन्नति होना कभी संभव नहीं क्योंकि उद्देश्य सर्वदेशी और पूर्ण होते हैं, उनमें किसी प्रकार भी परिवर्तन नहीं हो सकता। वे सदैव अखंड और एकरस रहते हैं।'

इस सिद्धांत के विरुद्ध भी काफी कुछ कहा गया, जैसे -

डार्विन और उसके सहयोगी, 'हक्सले' 'विजविड' और 'कोनि नफ ॉर' यह कहते हैं-

' भाषा ईश्वर का दिया हुआ उपहार नहीं है,भाषा शनै:-शनै: धवन्यात्मक शब्दों और पशुओं की बोली से उन्नत होकर इस स्थिति तक पहुंची है।'

' ल ॉक', 'एडमस्मिथ' और 'डी. स्टुअर्ट' आदि की भी इसमें सम्मति है-

' मनुष्य बहुत काल तक गूंगा रहा, संकेत और भ्रू-प्रक्षेप से काम चलाता रहा, जब काम न चला तो भाषा बना ली और परस्पर संवाद करके शब्दों के अर्थ नियत कर लिए।' ( क्रमश:)

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

सभी देखें

नवीनतम

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

क्या आपका बच्चा भी चूसता है अंगूठा तो हो सकती है ये 3 समस्याएं