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1990 में पाकिस्तान के लाहौर और फैसलाबाद में सीरियल बम ब्लास्ट हुआ था जिसमें करीब 14 लोग मारे गए थे। सरबजीत सिंह को इसी आरोप में संदेह के आधार पर कैदी बनाया गया है जबकि पाक सरकार के पास अब तक इस बात के पुख्ता सबूत मौजूद नहीं है कि सरबजीत का उस मामले में हाथ था।
तीखा सच यह है कि सरबजीत गलत पहचान के आधार पर गिरफ्तार किए गए थे। राजकमल प्रकाशन की इस पुस्तक में परत दर परत सच को सरबजीत की आवाज के रूप में उकेरा गया है।
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