पुस्तक समीक्षा : पूर्वोत्तर भारत का जनजातीय साहित्य

Webdunia
पूर्वोत्तर भारत जनजातीयबहुल क्षेत्र है। यहां कई सारी जनजातियों का सदियों से साहचर्य एवं सहअस्तित्व रहा है। भारत के जनजातीय समुदायों के बीच सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप में जनजातीय साहित्य प्रचलित रहा है।

यद्यपि उनमें से बहुतों ने वर्तमान युग में लिपि को अपना लिया है और लिखित साहित्य का सृजन आरंभ हो गया है। शिक्षित युवा लेखकों का भी जनजातीय साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान मिल रहा है, इन जनजातीय साहित्यों की बहुमुखी सांस्कृतिक परंपरा ने दुनिया को एक अलग ही दृष्टिकोण से देखा है जो कि संबंधि‍त समुदाय और संस्कृति के इतिहास को दर्शाता है। एक तरफ इन समुदायों का साहित्य महाभारतीय शास्त्रीय परंपरा से उत्पन्न हुआ है और वह अपने में पौराणिकता लिए हुए है, तो दूसरी तरफ उन जनजातीय साहित्यों में एक सीमा तक वाचिकता एवं शास्त्रीयता दोनों का समंवय भी है।
 
जनजातीय या आदिवासी साहित्य किसी असभ्य या अशिष्ट समाज का साहित्य नहीं है, बल्कि हमारे पुरखों का साहित्य है। हमारे पुराने समाज का साहित्य है। इसमें जीवन के विभिन्न प्रसंगों से प्राप्त अनुभवों एवं सत्यों की वास्तविक अभिव्यक्ति होती है। इसमें भावों की अभिव्यक्ति में किसी तरह का बनावटीपन नहीं होता बल्कि भावों का भदेसपन जनजातीय साहित्य की अपनी विशेषता है। इसलिए इस साहित्य की टेक्नीक एवं टेक्सचर में लोक की ज्यादा उपस्थिति है, शास्त्र की कम।
 
लोक-साहित्य और शास्त्रीय साहित्य में सबसे बड़ा फर्क यह है कि शास्त्रीय साहित्य जहां तराशे हुए भावों का साहित्य है वहीं लोक-साहित्य कच्चे, कुंवारे भावों का साहित्य है। शास्त्रीय ज्ञान के बोझ से मुक्त तथा छंद और अलंकार की चिंता से रहित साहित्य है।
 
 
पुस्तक : पूर्वोत्तर भारत का जनजातीय साहित्य 
संपादक : डॉ. अनुशब्द
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन  
मूल्य : 450 रुपए 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

ये 10 फूड्स खाकर बढ़ जाता है आपका स्ट्रेस, भूलकर भी ना करें इन्हें खाने की गलती

खाली पेट पेनकिलर लेने से क्या होता है?

बेटी को दीजिए ‘इ’ से शुरू होने वाले ये मनभावन नाम, अर्थ भी मोह लेंगे मन

खाने में सफेद नमक की जगह डालें ये 5 चीजें, मिलेगा परफेक्ट और हेल्दी टेस्ट

Hustle Culture अब पुरानी बात! जानिए कैसे बदल रही है Work की Definition नई पीढ़ी के साथ

सभी देखें

नवीनतम

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम

वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर पढ़ें जनसंख्या के प्रति जागरूकता के लिए 25 प्रेरक नारे, कोट्स और अनमोल वचन

सावन में हुआ है बेटे का जन्म तो लाड़ले को दीजिए शिव से प्रभावित नाम, जीवन पर बना रहेगा बाबा का आशीर्वाद

बारिश के मौसम में साधारण दूध की चाय नहीं, बबल टी करें ट्राई, मानसून के लिए परफेक्ट हैं ये 7 बबल टी ऑप्शन्स

इस मानसून में काढ़ा क्यों है सबसे असरदार इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक? जानिए बॉडी में कैसे करता है ये काम

अगला लेख