गजलों का संग्रह 'धूप का चेहरा'

गजल को मैं माँ की तरह बावकार करता हूँ

Webdunia
- डॉ. सतीश दुबे

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' धूप का चेहरा' ख्यात शायर बशीर बद्र की एक सौ एक गजलों का संग्रह है। गजल लिखना बशीर बद्र के लिए माँ की आराधना करना है- 'गजल को मैं माँ की तरह बावकार (प्रतिष्ठित) करता हूँ। मैं ममता के कटोरे में दूध भरता हूँ।' संग्रह की ये गजलें बशीर बद्र की व्यक्ति और समाज के प्रति लेखकीय जिम्मेदारी से साक्षात्कार कराती हैं।

व्यापक फलक पर उकेरी गई इन गजलों में आंतरिक कोमल भावों का इतना सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक चित्रण हुआ है कि पाठक अपने संवेगों को इनमें महसूस कर आत्मालाप करने लगता है। घुटन, अंधविश्वास, जिहालत, सामाजिक मूल्य, संबंधों का खोखलापन, स्वार्थ सांप्रदायिकता, दंगे-फसाद, व्यवस्था, प्रशासन जैसे विषय, व्यंजकता और अर्थ गाम्भीर्य के साथ इन गजलों में मौजूद हैं।

बतौर बानगी, चंद शेर हैं, 'उनसे जरूर मिलना सलीके के लोग हैं/ सर भी कलम करेंगे बड़े एहतिराम (सम्मान) से।' 'वो काली आँखें शहर में मशहूर थीं बहुत तब उन पे मोटे शीशों का चश्मा चढ़ा न था।' 'मिरी गजल की तरह उसकी भी हुकूमत है, तमाम मुल्क में वो सबसे खूबसूरत है।' 'मेरे सीने में कोई साँस चुभा करती है, जैसे मजदूर को परदेस में घर याद आए।' 'हिन्दू बनो तो मथुरा, मुस्लिम बनो को काबा, इन्साँ अगर रहो तो सारा जहाँ तुम्हारा'।
  'धूप का चेहरा' ख्यात शायर बशीर बद्र की एक सौ एक गजलों का संग्रह है। गजल लिखना बशीर बद्र के लिए माँ की आराधना करना है- 'गजल को मैं माँ की तरह बावकार (प्रतिष्ठित) करता हूँ। मैं ममता के कटोरे में दूध भरता हूँ।'      


शायर की विशेषता यह है कि वो गजल की शुरुआत करते हुए 'मिसरा-ए-ऊला' से ही श्रोता-पाठक को चुंबक की तरह अपनी ओर खींच लेता है। संभवतः बशीर भाई ऐसे गजलगो हैं, जिनने नई शब्दावली, बिम्बों तथा बकरी, शेर, गाय, मछलियाँ, बिल्ली, चूहे, खरगोश गिलहरी, साँप,कूकर, तुलसी, अदरक, मिर्च, पोदीना, लालमिर्च, उड़द दाल जैसे प्रतीकों का गजल में पहली बार प्रयोग करके समकालीन गजल को समृद्ध किया है।

पुस्तक का प्रकाशन संयोजक बशीर बद्र की छवि और गरिमा के अनुरूप नहीं हो पाया है। जिन गजलों में अरबी, फारसी, उर्दू के अप्रचलित शब्दों का प्रयोग हुआ है, अर्थसूचक पाद टिप्पणियों के बावजूद उनके आस्वाद में अवरोध महसूस होता है। यही वजह उर्दू-शायरी को देवनागरीमें प़ढ़ने वालों के लिए सबसे बड़ा बैरियर है।

* पुस्तक : धूप का चेहरा
* शायर : बशीर बद्र
* प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स, दिल्ली
* मूल्य : 75 रु.

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