पुस्तक समीक्षा - लता दीदीः अजीब दास्तां है ये...

Webdunia
शनिवार, 27 सितम्बर 2014 (15:56 IST)
स्वर साम्राज्ञी की प्रवास डायरी
 
- अखिलेश पुरोहित 
 
स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के विराट व्यक्तित्व के बारे में हरीश भिमानी की लिखी यह किताब निस्संदेह बहुत-से ऐसे पहलुओं और तथ्यों से रूबरू कराती है जिनके बारे में कुछ गिने-चुने लोग ही जानते हैं। इसे लता-यात्रा कहना ज्यादा मुनासिब होगा। लता मंगेशकर का ऊर्जा स्रोत क्या है, इस पर भी प्रकाश डाला गया है। लेकिन हर आदमी को यह जानने की ललक रहती है कि आखिर वह कौन-सी बात है जिसने उनके सुरों को साधकर सफलता के कीर्तिमान रचे। 
 
उनकी विनम्रता, भाषा, उनका समूचा व्यक्तित्व अलग ही गरिमा और मर्यादा में लिपटा है जिसे किंवदंती ही कहा जा सकता है। इस किताब में बताया गया है कि लताजी के बचपन से शुरू हुए सफर पर उनके पिता, भाई, बहनों आदि का साथ कब और किस तरह मिलता रहा।
 
यह किताब खासकर लताजी द्वारा विदेशों में किए गए स्टेज शो के दौरान बीते समय पर है जिसमें छोटी-छोटी बातें भी बड़ी गहराई से लिखी गई हैं। लताजी के बोलने का ढंग, उनकी आदतें, वे बातें जिनसे उन्हें परेशानी होती है जैसे शराब आदि कई बातों का पुस्तक में जिक्र किया गया है। इतनी बड़ी शख्सियत के बारे में आखिर कौन है जो नहीं पढ़ना चाहेगा, वह भी तब जबकि कोई ऐसा व्यक्ति लिखे जिसने इतने नजदीक से उनकी मौजूदगी को महसूस किया हो? बीच-बीच में लेखक ने कई हिन्दी और अंगरेजी मुहावरों का भी प्रयोग किया है। भाषा के लिहाज से देखें तो यह परिपक्व और संभली हुई है। जाहिर-सी बात है कि जब लता मंगेशकर जैसे व्यक्तित्व के बारे में लिखें तो इतनी सावधानी रखनी पड़ती है। परंतु जो घटनाक्रम इस रचना में प्रस्तुत किया गया है, वह पाठक की जिज्ञासा को पूरी तरह शांत तो नहीं करता, एक संतोष से जरूर भर देता है।
 
बहरहाल, तथ्यों की दृष्टि से देखा जाए तो यह रचना लाजवाब है। भाषा के लिहाज से भी लेखक ने लता मंगेशकर के साथ उनके कार्यक्रमों के दौरान स्वाभाविक तौर पर जो भी महसूस किया है, वह उड़ेल दिया है। 21 देशों, 53 शहरों और 139 कार्यक्रमों में से खास संगीत समारोहों को चुनना और फिर एक लड़ी में पिरोना भी काफी कठिन था, क्योंकि सामने स्वर साम्राज्ञी लता थीं परंतु हरीशजी ने यह काम बखूबी किया है। अंत में बड़े-बड़े दिग्गजों ने लताजी के बारे में जो कथन दिए हैं, वे एक सूची में प्रस्तुत किए गए हैं। लताजी को मिले पुरस्कार और उनके गाए गीतों के कुछ आँकड़े भी हैं, जो किताब को खास बनाते हैं। 
 
पुस्तक :'लता दीदीः अजीब दास्तां है ये...' 
लेखक : हरीश भिमानी 
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन, 4695, 
21-ए दरियागंज, नई दिल्ली 110002 
मूल्य : 495 रुपए। 
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