समय के साथ संचार के माध्यमों में इतनी तेज़ी से परिवर्तन हो रहा था कि हर युवा नई तकनीक को अपना साथी बनाने को बेताब दिखाई देने लगा। जिस समय लोग अंग्रेज़ी के इंटरनेट को ही उत्सुकता से देख रहे थे, तब मध्यप्रदेश की एक कंपनी वेबदुनिया ने हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की ईमेल सेवा 'ई-पत्र' पेश करके भारतीय भाषाई सूचना प्रौद्योगिकी में हलचल ही मचा दी।
ई-पत्र के माध्यम से 1998 में पहले हिन्दी फिर 10 अन्य भारतीय भाषाओं में ई-मेल सेवा की शुरुआत हुई। भारतवासी अब अपनी भाषा में ई–मेल भेज सकते थे और प्राप्त कर सकते थे।
यही नहीं, लेखन की सुविधा के लिए इसमें दुनिया का पहला ट्रांसलिटरेशन इंजन था, जिसके माध्यम से यूज़र रोमन में लिखता था और ई-पत्र उसे उसकी अपनी भाषा में बदल देता था।
ई-पत्र के आरंभिक दिनों में ऑफ़लाइन लेखन–संपादन की भी सुविधा दी गई थी। शुरुआती दिनों में ई–मेल को पारंपरिक डाक के माध्यम से भी उन लोगों तक पहुँचाया गया जिनके पास ई–मेल की सुविधा नहीं थी।