हिन्दी फिल्मों के अँग्रेजी नाम

समय ताम्रकर
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पार्टनर, डार्लिंग, हे बेबी, कैश, बिग ब्रदर, फुल एन फायनल, रेड, मेट्रो, गुड बॉय बैड बॉय, द ट्रेन, हनीमून ट्रेवल्स प्रायवेट लिमिटेड, हैट्रिक, जस्ट मैरिड, ब्लैक फ्रायडे, शूटआउट एट लोखंडवाला जैसी फिल्मों के नाम पढ़कर एक ऐसा व्यक्ति जो फिल्मों के बारे में ज्यादा नहीं जानता हो, सोचेगा कि यहाँ हम अँग्रेजी फिल्मों की चर्चा करने जा रहे हैं। विश्वास नहीं होता किंतु ये नाम उन फिल्मों के हैं जो इस वर्ष प्रदर्शित हुई हैं। हिन्दी फिल्मों के नाम पर खाने वाले अधिकांश फिल्मकार अब अँग्रेजी में नाम रखने लगे हैं।

जब से विज्ञापनों और व्यक्तिगत जिंदगी में अँग्रेजी भाषा का प्रचलन बढ़ा है, फिल्में भी इससे अछूती नहीं रही हैं। फिल्म निर्माताओं के मन में यह बात बैठ गई है कि आज का युवा हिन्दी नहीं समझता, इसलिए फिल्मों के नाम अँग्रेजी में रखो। लेकिन वे यह बात भूल जाते हैं कि फिल्म तो हिन्दी भाषा में ही है।

जब से विज्ञापनों और व्यक्तिगत जिंदगी में अँग्रेजी भाषा का प्रचलन बढ़ा है, फिल्में भी इससे अछूती नहीं रही हैं। फिल्म निर्माताओं के मन में यह बात बैठ गई है कि आज का युवा हिन्दी नहीं समझता, इसलिए फिल्मों के नाम अँग्रेजी में रखो।
हिन्दी फिल्मों के अँग्रेजी नाम रखने का प्रचलन मूक फिल्म के जमाने से है। उस समय ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि अँग्रेज और एंग्लो इंडियन को भी नाम समझ में आ जाए। बाद में इक्का-दुक्का फिल्मों के नाम अँग्रेजी में रखे जाते थे। मसलन मिस्टर एंड मिसेस 55, मिस्टर एक्स इन बॉम्बे, लव इन शिमला, एन इवनिंग इन पेरिस, जौहर मेहमूद इन हांगकांग, मदर इंडिया, हाफ टिकट इत्यादि। ये नाम बेहद सरल थे और आम आदमी को समझ में आ जाते थे ।

फिल्मों के नाम रखते समय यह बात ध्यान रखी जाती है कि शीर्षक आम आदमी को समझ में आ जाए। पहले कभी अँग्रेजी शीर्षक वाली हिन्दी फिल्म फ्लॉप होती थी तो फिल्म के नाम को भी दोषी ठहराया जाता था। कहा जाता था कि एक ग्रामीण दर्शक फिल्म का नाम ही नहीं समझ पाया तो फिल्म देखने क्या जाएगा। अब जमाना मल्टीप्लेक्स का है। कई फिल्में पढ़े-लिखे और शहरी लोगों के लिए बनाई जाती हैं, जो अँग्रेजी जानते हैं। इसलिए हिन्दी नामों में अँग्रेजी की घुसपैठ हो गई है। बेचारे ग्रामीण दर्शक को अब भला कौन पूछता है।

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हिन्दी नामों के साथ अँग्रेजी में दुमछल्ला (टैगलाइन) लगाने का सिलसिला भी चल पड़ा है। यह कानून से बचने की पतली गली है। इस गली को खोजा था ‘दा ग ’ (1999) के निर्माता-निर्देशक ने। उन्हें ‘दा ग ’ नाम चाहिए था, जो‍यश चोपड़ा देने को तैयार नहीं थे।

फिल्म के निर्देशक राजकँवर को यह नाम (दाग) अपनी‍फिल्म के लिए एकदम सही लग रहा था। उन्होंने राह खोजी और फिल्म का नाम कर दिया ‘दाग : द फाय र ’। फिल्म के पोस्टर्स और प्रचार सामग्री में उन्होंने दाग शब्द बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा और द फायर बिलकुल छोटे अक्षरों में। दर्शकों को ‘दा ग ’ दिखाई दिया, लेकिन फायर नहीं।

कुछ ऐसा ही मामला हाल ही में यश चोपड़ा के साथ घटित हुआ। उनकी फिल्म ‘लागा चुनरी में दा ग ’ के शीर्षक को चुनौती देते हुए किसी निर्माता ने कहा कि यह उनके द्वारा रजिस्टर्ड करवाया हुआ नाम है। यशराज फिल्म्स ने अपनी फिल्म का नाम कर लिया ‘लागा चुनरी में दाग : जर्नी ऑफ ए वूम न ’। टैगलाइन जोड़ने का फैशन इन दिनों खूब चल रहा है और आमतौर पर यह अँग्रेजी में ही होता है।

हिन्दी भाषा में अँग्रेजी शब्दों की घुसपैठ बढ़ती जा रही है। एक ही वाक्य में कुछ शब्द हिन्दी के और कुछ अँग्रेजी के होते हैं। इस ‍भाषा ‍को हिंग्लिश कहा जाता है। फिल्मों के नाम भी हिंग्लिश में रखे जाने लगे हैं। जैसे दिल माँगे मोर, जब वी मेट और गॉड तुस्सी ग्रेट हो ।

यश चोपड़ा की फिल्म ‘लागा चुनरी में दाग’ के शीर्षक को चुनौती देते हुए किसी निर्माता ने कहा कि यह उनके द्वारा रजिस्टर्ड करवाया हुआ नाम है। यशराज फिल्म्स ने अपनी फिल्म का नाम कर लिया ‘लागा चुनरी में दाग : जर्नी ऑफ ए वूमन’।
हम अँग्रेजी को प्रमुखता दे रहे हैं और हॉलीवुड वाले हिन्दी पर जोर देते हैं। वे अपनी फिल्मों को न केवल भारतीय भाषाओं में डब करते हैं बल्कि अपनी फिल्मों के नाम का भी हिन्दी में अनुवाद करते हैं। कई बार अनुवाद दिलचस्प होते हैं। द मैट्रिक्स रीलोडेड का हिन्दी नाम मायाजाल रखा गया। पिंग को एक कुत्ता दो चोर, टॉम्ब राइडर को शेरनी न ं. 1, एलियंस को अनजान विनाशक, फाइंडिंग नीमो को खो गया नीमो : आपने देखा क्या?, द मास्क को हीरो से जीरो और किस ऑफ द ड्रेगन को मौत का चुम्मा जैसे नाम दिए गए ।

एक समय था जब दिल एक मंदिर, मेरे हमदम मेरे दोस्त, मैं तुलसी तेरे आँगन की, किनारा, परिचय, सत्यकाम, चुपके-चुपके, श्री 420, जागते रहो, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, बंदिनी, प्रेमरोग, आनंद, अनुपमा, खुशबू, नमकीन, झनक-झनक पायल बाजे, नवरंग, दो आँखें बारह हाथ जैसे उम्दा नाम फिल्मों के हुआ करते थे। अभी भी कुछ फिल्मों के नाम इस श्रेणी के होते हैं, लेकिन उनकी संख्या कम हो गई है। भविष्य में यदि कोई निर्माता हिन्दी भाषा पर फिल्म बनाए तो हो सकता है वह अपनी फिल्म का नाम रखे ‘हिन्दी : द लैंग्वे ज ’।
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