यह है युवाओं का वर्णमाला ज्ञान

हिन्दी दिवस विशेष

Webdunia
शैली माहेश्वरी
ND
भारत की आबादी में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है ...। बार-बार कहा जाता है कि भारत के युवा ही देश की दिशा व दशा तय करेंगे। लेकिन यदि हिन्दी भाषी देश में रहने वाले इन्हीं युवाओं के हिन्दी-ज्ञान की बात की जाए तो जानकर बेहद अचरज होता है कि अधिकतर युवाओं को हिन्दी की वर्णमाला भी ठीक से याद नहीं।

वर्णमाला याद न होने के भी ढेरों तर्क इन युवाओं के पास हैं। जैसे एलकेजी, यूकेजी के बाद ये उपयोग में ही कहाँ आती है..., प्रतियोगी परीक्षाओं और वैश्विक स्तर पर इस भाषा को स्वीकृत ही कहाँ किया जाता है..., हिन्दी की वर्णमाला का प्रारुप ही बेहद कठिन है वगैरह वगैरह...। इन युवाओं के तर्क सुनकर हम स्वयं असमंजस की स्थिति में हैं कि हिन्दी की हालात के लिए उन्हें दोषी ठहराएँ भी या नहीं...।

PR
नाम- कल्पित राठी
विद्यार्थी, बीबीए, अंतिम वर्ष
इनसे जैसे ही हिन्दी की वर्णमाला पूछी गई तो पहले तो ये थोड़ा सकपकाए। बाद में क,ख, ग से शुरु हुई इनकी हिन्दी की वर्णमाला। यह पूछने पर की कहीं ये अ,आ, इ, ई... से तो शुरु नहीं होती। उन्होंने तुरंत कहा ओ यस, सॉरी। फिर अ, आ, इ, ई... से शुरुआत करके बीच के अक्षरों को खाकर अंततः ज्ञ तक पहुँच कर वर्णमाला सुना ही दी।

वर्णमाला याद न होने का तर्क
कल्पित कहते हैं कि अगर हम हिन्दी की तुलना अंगरेजी से करें तो हम पाएँगे कि अंगरेजी में हमें किसी सख्त प्रारुप में नहीं बँधना पड़ता। हिन्दी युवाओं की भाषा इसलिए नहीं बन पा रही है क्योंकि इसके उपयोग में ढेरों बाध्यता है और युवा भाषा में बँधना नहीं चाहता। वे कहते हैं आज जरूरत और बाजार के हिसाब से भी हम युवाओं पर अंगरेजी जानने का दबाव रहता है।

माना मुझे हिन्दी की वर्णमाला ठीक ढंग से याद नहीं लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि मैं रोजमर्रा के जीवन में सामान्य हिन्दी का उपयोग नहीं करता। मैं कम से कम उन लोगों से तो बेहतर हूँ जो शुद्ध हिन्दी के नाम पर अजीब-अजीब से शब्द बोलते हैं और फिर स्वयं ही अपनी मातृभाषा का मजाक बनाते हैं।

PR
नाम- दीपशिखा अरोरा
विद्यार्थी, इंजीनियरिंग, तृतीय वर्ष
हिन्दी की वर्णमाला...? अ, आ, इ, ई...। देट्स इट। मुझे इससे आगे नहीं आता। बस इतना कहकर दीपशिखा ने सीधे-सीधे कन्नी काट ली।

वर्णमाला याद न होने का तर्क
दीपशिखा कहती हैं कि सबसे अव्वल तो यह वर्णमाला बहुत लंबी है और याद रख पाने में बेहद मुश्किल। दूसरी प्रमुख बात यह है कि नर्सरी, एल केजी और यू केजी के बाद यह कहीं काम नहीं आती। अंगरेजी की वर्णमाला की बाद करें तो वो हमें इसलिए याद रहती है क्योंकि स्कूल से लेकर नौकरी तक हमें उसकी जरुरत पड़ती है। वे कहती हैं कि मेरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई को ही लीजिए। इसमें टेबल बनाते समय भी हम पाइंट ए, पाइंट बी का उपयोग करते हैं ना कि पाइंट अ या पाइंट ब। इतना ही नहीं अभिभावक भी अंगरेजी भाषा से ज्यादा प्रभावित रहते हैं क्योंकि उन्हें भी पता होता है कि भविष्य में प्रतियोगी परीक्षा हो या कोई अन्य महत्वपूर्ण परीक्षा, बच्चों को अंगरेजी ही काम आना है।

PR
नाम- पुजा हिरदे
विद्यार्थी- लॉ, अंतिम वर्ष
इनसे जैसे ही पुछा गया कि चलिए जरा आप हिन्दी की वर्णमाला तो बोलकर बताईए। तो सबसे पहले इन्होंने कहा नहीं, मुझे ठीक से नहीं आती। एक कोशिश ही कर लीजिए...। यह कहने पर उन्होंने अ,आ, इ, ई.. से वर्णमाला बोलने की शुरुआत की लेकिन य,र,ल,व तक जाकर वे भी अटक गई और कहने लगी इसके बाद कॉम्प्लीकेटेड (जटिल) है।

वर्णमाला याद न होने का तर्क
पुजा कहती हैं आज युवाओं को उस भाषा की जरुरत है जो वैश्विक स्तर पर बोली जाए। ऐसा नहीं है कि मुझे हिन्दी बोलने या जानने से एतराज है लेकिन वैश्विक स्तर पर यह स्वीकार्य नहीं है। विश्व की बात तो दूर, आज हमारे देश के दूसरे भाग में रह रहे लोगों से सम्प्रेषण करना है तो हमें एक विदेशी भाषा का सहारा लेना ही पड़ेगा। यह हमारी विडम्बना ही तो है। ऐसा नहीं है कि हिन्दी भाषा से मुझे प्यार नहीं है लेकिन जहाँ बात जरूरत की आती है तो नि:संदेह युवाओं को ऐसी भाषा की जरुरत है जो उनके भविष्य की राह सँवारे, उन्हें नौकरी दिलाए और उनके व्यक्तित्व का विकास करे। इन सभी चीजों के लिए आज युवाओं की आवश्यकता अंगरेजी सीखने की हो गई है।

क्या कहता है सर्वे
हमनें 50 कॉलेज विद्यार्थियों से हिन्दी की वर्णमाला पूछी। इनमें से महज 4 फीसदी विद्यार्थी ही ऐसे थे जिन्हें हिन्दी की पूरी वर्णमाला आती थी वहीं लगभग 34 फीसदी ने शुरुआत तो अच्छी की लेकिन अंत तक अटक-अटक कर पहुँचे। कुछ 10 फीसदी विद्यार्थी ऐसे भी थे जिनकी वर्णमाला की शुरुआत ही क,ख,ग से हुई। वहीं 2 फीसदी विद्यार्थी ऐसे भी थे जो हिन्दी की वर्णमाला के नाम पर बगल झाँक रहे थे व कुछ भी नहीं बोल पाए।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

मजबूत और लंबे बालों के लिए 5 बेस्ट विटामिन जो करेंगे कमाल, जानिए हर एक के फायदे

मेंटल हेल्थ स्ट्रांग रखने के लिए रोजाना घर में ही करें ये 5 काम

Benefits of sugar free diet: 15 दिनों तक चीनी न खाने से शरीर पर पड़ता है यह असर, जानिए चौंकाने वाले फायदे

Remedies for good sleep: क्या आप भी रातों को बदलते रहते हैं करवटें, जानिए अच्छी और गहरी नींद के उपाय

Heart attack symptoms: रात में किस समय सबसे ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा? जानिए कारण

सभी देखें

नवीनतम

जब पंड‍ित छन्‍नूलाल मिश्र ने मोदी जी से कहा था- मेरी काशी में गंगा और संगीत का ख्‍याल रखना

Pandit chhannulal Mishra death: मृत्यु के बगैर तो बनारस भी अधूरा है

Karwa Chauth Essay: प्रेम, त्याग और अटूट विश्वास का पर्व करवा चौथ पर हिन्दी में निबंध

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघः राष्ट्र निर्माण के नए क्षितिज की यात्रा

Gandhi Jayanti 2025: सत्य और अहिंसा के पुजारी को नमन, महात्मा गांधी की जयंती पर विशेष