हिन्दी दिवस पर हिन्दी कविता : हिन्दी पर बात

सुशील कुमार शर्मा
हिन्दी दिवस,
सुना-सुनाया-सा नाम लगता है। 
अच्छा आज हम हिन्दी पर,
हिंग्लिश में बात करेंगे।
 
आज हम कहेंगे,
हिन्दी में बात करना चाहिए। 
हिन्दी खतरे में है, 
सरकारें सो रही हैं।
 
आज हम चिल्ला-चिल्लाकर कहेंगे,
हिन्दी राष्ट्रभाषा है,
हमें इसका सम्मान करना चाहिए।
और फिर हम चल पड़ेंगे,
कॉन्वेंट स्कूल अपने बच्चे को लेने।
 
हम भाषण देंगे,
हिन्दी की अस्मिता को बचाना है।
फिर सॉरी, हैलो, हाय, बेबी, 
शब्दों से उघाड़ते हैं उसका बदन।
 
बाजारीकरण के इस असभ्य दौर में,
अंग्रेजी एक चमचमाता 'मॉल' है। 
जिसमें सब मिलता है,
जॉब्स से लेकर जिप तक।
 
और हिन्दी एक परचून की दुकान,
जो हमारी आत्मा तो तृप्त करती है,
पर पेट का पोषण नहीं। 
भारतीयता तो मिल सकती है,
किंतु वरीयता नहीं।
 
हिन्दी उस देव के समान बन गई है,
जिसको पूजकर लोग,
उसी के सामने अश्लील नृत्य करते हैं।
 
संसद से लेकर सड़क तक,
सब हिन्दी का गुणगान करते हैं,
लेकिन व्यवहार में अंग्रेजी अपनाते हैं। 
तारीफ पत्नी की करते हैं, 
और 'दूसरी' के साथ समय गुजारते हैं। 
 
बंद दरवाजे का शौच, 
और हिन्दी की सोच,
अपनाने की आवश्यकता है।

ALSO READ: हिन्दी दिवस पर कविता : भावों की जननी मैं

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण में क्या अंतर है, समझिए

कितनी खतरनाक बीमारी है गिलियन बैरे सिंड्रोम, इलाज के लिए 1 इंजेक्शन की कीमत 20 हजार

बेटे को दें ऋग्वेद से प्रेरित ये नाम, अर्थ जानकर हर कोई करेगा तारीफ

खजूर से भी ज्यादा गुणकारी हैं इसके बीज, शुगर कंट्रोल से लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने तक हैं फायदे

जानिए ठंडी हवाओं और रूखे मौसम का बालों पर कैसा असर पड़ता है? सर्दियों में लंबे बालों की देखभाल क्यों है जरूरी?

सभी देखें

नवीनतम

रामसरूप के बहाने कहानी हमारे समाज का 360 डिग्री एंगल

रहस्यवादी और आध्यात्मिक गुरु, अवतार मेहर बाबा की पुण्यतिथि

इन टिप्स को अपनाने से आपके बच्चों के साथ हमेशा अच्छे रहेंगे रिलेशन, बहुत काम की हैं ये बातें

सोते समय क्या बालों को बांधकर रखना है सही, जानिए है बालों की सेहत के लिए राइट चॉइस

इस फल के साथ इसके बीज भी हैं सेहत के लिए वरदान, जानिए फ़ायदे और इस्तेमाल के तरीके

अगला लेख