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भारतीय सेना पर निबंध: शौर्य, पराक्रम और राष्ट्र सेवा की बेजोड़ मिसाल, जानिए भारतीय सेना की वीरता की महागाथा

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हमें फॉलो करें भारतीय सेना पर निबंध

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 23 मई 2025 (17:51 IST)
essay on indian army in hindi: भारत भूमि, जो आदिकाल से वीरों की जननी रही है, उसकी सुरक्षा और अखंडता की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है, वे हैं हमारी भारतीय सेना के जांबाज जवान। भारतीय सेना केवल एक सैन्य संगठन नहीं, बल्कि यह भारत के शौर्य, साहस, बलिदान और अटूट राष्ट्रनिष्ठा का जीवंत प्रतीक है। यह वह शक्ति है जो हमारी सीमाओं की रक्षा करती है, आपदाओं में राहत पहुँचाती है और विश्व शांति में भी अपना अमूल्य योगदान देती है। भारतीय सेना का पराक्रम केवल युद्ध के मैदान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के हर संकट में जनता के साथ खड़ी रहने वाली एक ढाल है। भारत की सैन्य शक्ति मुख्य रूप से तीन गौरवशाली अंगों में विभाजित है: भारतीय थल सेना (Indian Army), भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) और भारतीय जल सेना (Indian Navy)। ये तीनों ही भुजाएँ मिलकर भारत की सुरक्षा को अभेद्य बनाती हैं।

भारतीय सैन्य बल के तीन अजेय अंग
भारतीय सैन्य बल तीन प्रमुख और शक्तिशाली अंगों में बंटा हुआ है, जो आपस में मिलकर देश की सुरक्षा चक्र को अभेद्य बनाते हैं:
1. भारतीय थल सेना: भूमि पर अटल प्रहरी: यह भारतीय सैन्य शक्ति का सबसे बड़ा और सबसे पुराना अंग है। 'सर्विस बिफोर सेल्फ' (सेवा परमो धर्म:) के आदर्श वाक्य पर चलने वाली थल सेना, देश की भूमि सीमाओं की रक्षा करती है। चाहे वह घुसपैठियों को रोकना हो, आतंकवाद विरोधी अभियान चलाना हो, या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नागरिकों की सहायता करना हो, थल सेना के जवान हमेशा सबसे आगे रहते हैं। इनकी बहादुरी, रणनैतिक कौशल और विषम परिस्थितियों में भी टिके रहने का माद्दा अद्वितीय है। सियाचिन की जमा देने वाली ठंड हो या राजस्थान की झुलसाने वाली गर्मी, थल सेना का हर जवान देश के लिए समर्पित है।
2. भारतीय वायु सेना: आकाश के बाज, दुश्मन को धूल चटाने को तैयार : आसमान के रखवाले, भारतीय वायु सेना, देश के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। आधुनिकतम लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और परिवहन बेड़े से लैस वायु सेना, न केवल हवाई रक्षा में सक्षम है, बल्कि दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले करने, सैन्य साजो-सामान पहुंचाने और आपदा राहत अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 'नभ: स्पृशं दीप्तम' (आकाश को गौरव के साथ छूना) के अपने ध्येय वाक्य को चरितार्थ करते हुए, इसके पायलट और ग्राउंड स्टाफ अपनी दक्षता और साहस के लिए जाने जाते हैं।
3. भारतीय नौसेना: समुद्री सीमाओं के प्रहरी (Indian Navy): भारतीय नौसेना देश की समुद्री सीमाओं और व्यापारिक समुद्री मार्गों की सुरक्षा करती है। 'शं नो वरुण:' (जल के देवता वरुण हमारे लिए शुभ हों) के आदर्श वाक्य के साथ, नौसेना समुद्री डकैती विरोधी अभियानों, मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) में सक्रिय रहती है। भारत की बढ़ती 'ब्लू-वॉटर' क्षमता और परमाणु पनडुब्बियां इसे हिंद महासागर क्षेत्र में एक दुर्जेय शक्ति बनाती हैं। इसके नाविक और अधिकारी समुद्र की लहरों पर देश के हितों की रक्षा करते हैं।
इन तीनों अंगों के बीच बेहतरीन समन्वय और संयुक्त प्रशिक्षण, भारतीय सेना को किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रखता है।

भारतीय सेना द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध और पराक्रम की गाथाएँ
भारतीय सेना का इतिहास पराक्रम और बलिदान की अनगिनत गाथाओं से भरा पड़ा है। स्वतंत्रता के बाद से, भारतीय सेना ने कई युद्ध लड़े हैं और हर बार अपनी असाधारण वीरता का परिचय दिया है:
1947-48 का कश्मीर युद्ध: स्वतंत्रता के तुरंत बाद, पाकिस्तान समर्थित कबायलियों द्वारा कश्मीर पर आक्रमण के खिलाफ भारतीय सेना ने अदम्य साहस का प्रदर्शन किया। यह भारतीय सेना की पहली बड़ी परीक्षा थी, जिसमें उसने अपनी संप्रभुता की रक्षा की।
1962 का भारत-चीन युद्ध: यद्यपि यह युद्ध भारत के लिए एक कठिन अनुभव था, लेकिन भारतीय सैनिकों ने विषम परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद असाधारण बहादुरी दिखाई। रेजांग ला में मेजर शैतान सिंह और उनके जवानों का बलिदान आज भी याद किया जाता है।
1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध: पाकिस्तान द्वारा भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ के प्रयास का भारतीय सेना ने दृढ़ता से जवाब दिया। इस युद्ध में टैंकों की लड़ाई और वायु सेना की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति संग्राम): यह भारतीय सेना के सबसे निर्णायक और गौरवपूर्ण युद्धों में से एक है। 13 दिनों के भीतर, भारतीय सेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ। यह इतिहास का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था, जिसमें लगभग 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में यह एक रणनीतिक जीत थी।
कारगिल युद्ध (1999): पाकिस्तान द्वारा धोखे से कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा करने के बाद, भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' के तहत अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प के साथ जवाबी कार्रवाई की। कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज कुमार पांडे, ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव जैसे वीरों ने सर्वोच्च बलिदान देकर इन चोटियों को वापस हासिल किया। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पहाड़ी युद्ध में अपनी अद्वितीय क्षमता साबित की।
इन युद्धों में भारतीय सेना ने न केवल देश की सीमाओं की रक्षा की, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पेशेवर दक्षता और नैतिक मूल्यों का भी प्रदर्शन किया।

भारतीय सेना के वीर और जांबाज सैनिक और अधिकारी
भारतीय सेना का असली शौर्य उसके सैनिकों और अधिकारियों में निहित है। ये वे नायक हैं जो अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए मर मिटने को तैयार रहते हैं। परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र जैसे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले असंख्य सैनिक और अधिकारी इसकी मिसाल हैं।
परमवीर चक्र विजेता: मेजर सोमनाथ शर्मा (पहले परमवीर चक्र विजेता), सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज कुमार पांडे, ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव और राइफलमैन संजय कुमार जैसे नाम भारतीय शौर्य गाथा के चमकते सितारे हैं। इन सभी ने दुश्मन का सामना करते हुए अद्वितीय साहस का परिचय दिया और देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ: अपनी नेतृत्व क्षमता, हास्यबोध और सैनिकों के प्रति गहरे सम्मान के लिए जाने जाते हैं। 1971 के युद्ध में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: आज भारतीय सेना में महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं, चाहे वह लड़ाकू भूमिकाएं हों या अन्य विशेषज्ञ पद। वे साबित कर रही हैं कि साहस और समर्पण लिंग-भेद नहीं जानते।
यह सूची अंतहीन है। हर सैनिक, हर अधिकारी, अपनी जगह पर एक नायक है, जो देश के गौरव और अखंडता के लिए अडिग खड़ा है।

भारतीय सेना द्वारा चलाए गए महत्वपूर्ण ऑपरेशन
भारतीय सेना केवल युद्ध ही नहीं लड़ती, बल्कि शांति स्थापना, मानवीय सहायता और आंतरिक सुरक्षा के लिए भी कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन चलाती है:
ऑपरेशन मेघदूत (1984): दुनिया के सबसे ऊंचे और दुर्गम युद्धक्षेत्र, सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए चलाया गया यह ऑपरेशन भारतीय सेना के अदम्य साहस और प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझने की क्षमता का प्रतीक है।
ऑपरेशन ब्लैक थंडर (1988): अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को निकालने के लिए चलाया गया यह ऑपरेशन भारतीय सेना की सटीकता और संयम का उदाहरण है।
ऑपरेशन राहत (2013): उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ के दौरान, भारतीय वायु सेना और थल सेना ने मिलकर हजारों फंसे हुए तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को बचाया। यह दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक बचाव अभियान था।
ऑपरेशन मैत्री (2015): नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, भारतीय सेना ने तुरंत मानवीय सहायता और राहत अभियान शुरू किया, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूती मिली।
ऑपेरशन सिन्दूर (2025): पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिन्दूर भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (पीओके) में किए गए एक सैन्य हवाई अभियान का कोडनेम है। भारत ने कहा कि इसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ढाँचे को निशाना बनाना था।
संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (UN Peacekeeping Missions): भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में दुनिया के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। भारतीय सैनिक विभिन्न संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ती है।
आतंकवाद विरोधी अभियान: जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ने में भारतीय सेना की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। 'ऑपरेशन ऑल आउट' जैसे अभियान स्थानीय शांति और सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

उपसंहार
भारतीय सेना हमारे राष्ट्र की रीढ़ है, जो हर चुनौती के सामने अडिग खड़ी रहती है। उसके जांबाज सैनिक और अधिकारी, जो दिन-रात देश की सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा की रक्षा में लगे रहते हैं, हमारे समाज के सबसे बड़े नायक हैं। उनका त्याग, बलिदान और देश के प्रति अटूट समर्पण हमें हर पल गर्व से भर देता है। वे सिर्फ वर्दी पहने हुए सैनिक नहीं, बल्कि भारत के सम्मान, सुरक्षा और भविष्य के संरक्षक हैं।

आज जब देश तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, तब भी भारतीय सेना अपनी सतर्कता और तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ती। हमें अपनी सेना पर गर्व है, और यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनके बलिदानों को याद रखें और उन्हें हर संभव समर्थन दें। जय हिंद!

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