Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Republic Day 2025 : गणतंत्र दिवस के निबंध में लिखें लोकतंत्र के इस महापर्व के असली मायने

जानिए क्या है आज के समय में गणतंत्र का महत्व

Advertiesment
हमें फॉलो करें Republic day importance

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 (18:06 IST)
Republic day importance : गणतंत्र शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में 26 जनवरी का दिन आता है। ध्वजारोहण, परेड, स्कूलों में भाषण और टीवी पर देशभक्ति गाने - ये सब गणतंत्र दिवस की पहचान बन चुके हैं। लेकिन क्या गणतंत्र सिर्फ एक खास दिन मनाने का नाम है, या इससे कहीं गहरी बातें जुड़ी हैं? आज के इस बदलते परिवेश में, जब दुनिया इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है, तो हमें यह समझने की जरूरत है कि गणतंत्र के असली मायने क्या हैं और हर नागरिक के लिए ये जानना कितना महत्वपूर्ण हैं। ये केवल जनता का, जनता द्वारा या जनता के लिए, लिया गया निर्णय भर नहीं है, बल्कि ये संपूर्ण मानवता के हित में और उनके सर्वांगिण विकास के लिए, लिया गया संकल्प है। 
 
एक गणतांत्रिक देश में हर नागरिक की राय मायने रखती है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, जिसने यह तय किया कि हमारे देश में राजा या तानाशाह नहीं होगा। यहां हर व्यक्ति समान होगा, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, भाषा या इलाके का हो। गणतंत्र हमें यह अधिकार देता है कि हम अपनी सरकार चुन सकें और भारत की प्रगति से जुड़े मुद्दों पर या हो रहे अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें। क्योंकि भारत एक ऐसा गणतांत्रिक देश है, जहां लोकतंत्र, लोकमंगल और एक आदर्श राज्य व्यवस्था को लिए हुए, लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशीला है। 
 
आज के समय में गणतंत्र का महत्व
आज की दुनिया में, जहां हर दिन नई चुनौतियां और समस्याएं सामने आ रही हैं, गणतंत्र हमें एक मजबूत आधार देता है। यह हमें न केवल अधिकार देता है, बल्कि जिम्मेदारियां भी सिखाता है। आज हम जब चाहें, अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सकते हैं। क्योंकि गणतंत्र हमें बोलने, सोचने और अपने जीवन को अपने तरीके से जीने की आजादी देता है। लेकिन यह भी याद रखना जरूरी है कि हमारी स्वतंत्रता किसी और की स्वतंत्रता को प्रभावित न करे।
 
न्याय का महत्व : अगर हमारे साथ अन्याय हो, तो हमें न्याय पाने का हक है। चाहे वह किसी भी स्तर पर हो - सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक। हमारे लोकतंत्र के स्तंभ, कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका के सामंजस्य का ही परिणाम है कि आजादी के 76 वर्षों बाद भी, कुछ नहीं से लेकर कुछ ही सही, लेकिन हमने निरंतर सुधर और बदलाव देखा है। इसलिए आगे भी इसी तरह जिम्मेदार नागरिक बने रहना, हमारे हाथ में है। गणतंत्र केवल सरकार या संविधान तक सीमित नहीं है। यह हमारे व्यवहार, हमारे सोचने के तरीके और हमारे कर्तव्यों से भी जुड़ा है। अगर कोई चीज गलत हो रही है, तो उसे सुधारने की पहल करना ही असली गणतंत्र है। बदलाव सिर्फ सरकार से नहीं, बल्कि हम सभी से शुरू होता है।
 
क्या है विडंबना?
भारत हमेशा लोकतंत्र का अग्रणी देश बनकर खड़ा हुआ है, जहां लोकतांत्रिक संस्कार अपने पूर्ण सौन्दर्य के साथ, विकसित हो कर, पुष्पित और पल्लवित होते हैं। लेकिन आज, ऐसे लोगों की संख्या घट रही है जो भारत की इस गणतांत्रिक व्यवस्था को अब तक की एक सवर्श्रेष्ठ प्रणाली मानते आ रहे हैं। हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझने की जरूरत है। केवल सोशल मीडिया पर अपनी राय रखना काफी नहीं है। हमें अपने समाज के प्रति भी उतनी ही सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
 
गणतंत्र की पहचान
गणतंत्र दिवस केवल एक छुट्टी नहीं है। यह हमें याद दिलाने का दिन है कि हम कितने खुशनसीब हैं कि हमें इस देश में आजादी और अधिकार मिले हैं। उन लोगों के बारे में सोचें जिन्होंने हमारे लिए यह अधिकार दिलाने के लिए अपना जीवन दे दिया। या उन देशों की जनता का सोचें, जिन्हें आज 21वीं सदी में भी गुलामों की जिंदगी जी रहे हैं। इसलिए समय रहते अपने देश के संविधान और इसकी मूल भावनाओं को समझें और उनकी रक्षा करें। भारत का गणतंत्र  हमें यह एहसास कराता है कि देश हमसे है, और हमसे ही देश की पहचान है। अपने अधिकारों के साथ दूसरों के अधिकारों की भी रक्षा करना - यही सच्चे गणतंत्र की पहचान है। 

- अनुभूति निगम 


नोट : ये निबंध लेखक के निजी विचारों से प्रेरित है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हर्षा रिछारिया से पहले चकाचौंध छोड़ अध्यात्म की राह पर निकलीं ये मशहूर एक्ट्रेसेस, सन्यास को बनाया जीवन