मेरा प्रिय शौक

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प्रत्येक व्यक्ति कुछ न कुछ शौक रखता है। शौक हमें आनंद देते हैं। शौक रखने से हमें ऊब नहीं होती। इससे काम के प्रति हमारा उत्साह बना रहता है। इसलिए मैं भी एक शौक र खत ी हूं। बागवानी मेरा सबसे प्रिय शौक है।

मैं रोज सवेरे एक घंटे के लिए बागवानी क रत ी हूं। मेरे घर के पिछवाड़े में थोड़ी-सी खाली जगह है। यहां मैंने एक वाटिका लगाई है। वाटिका के चारों ओर कंटीले तार और आकर्षक ढंग से कटी झाड़ियां हैं।

गृहवाटिका में मैंने गुलाब, गेंदा, चमेली, बेली और गुलदाउदी के पौधे लगाए हैं। मैं यहां भिंडी, बैंगन, टमाटर आदि मौसमी शाक-सब्जियां भी लग ात ी हूं। मेरी वाटिका में अमरूद, पपीता, केला और लीची के पेड़ हैं।

तरह-तरह के पेड़-पौधों से सजी मेरी वाटिका बहुत शोभायमान लगती है। मैं पेड़-पौधों को सीं चती ं हूं। मैं इनमें यथासमय गोबर की खाद डा लत ी हूं। मैं नए पौधों के लिए मिट्‍टी तैयार क रत ी हूं। इन कार्यों में मुझे बेहद आनंद आता है।

सुबह-सुबह गृहवाटिका में चलहकदमी करने से शरीर में ताजगी आती है। सुगंधित फूलों से युक्त मेरी गृहवाटिका आसपड़ोस के वातावरण को खुशनुमा बना देती है।

मेरा शौक मुझे तन और मन की प्रसन्नता प्रदान करता है।
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