वार्षिकोत्सव किसलिए : विद्यालयों में मनाए जाने वाले वार्षिकोत्सव के कई प्रयोजन माने गए है। अपनी शिक्षा पूरी कर चुके छात्रों को प्रमाण-पत्र आदि देकर विदा करना तो हर विद्यालय का प्रायोजन होता है। इसके अलावा वर्ष भर का लेखा-जोखा व उपलब्धियों पर सामूहिक समारोह करना भी होता है। इन सब के साथ वार्षिकोत्सव के अवसर पर विशेष रूचि तथा कलात्मक प्रतिभा रखने वालों को भी अपनी कलाएं और रूचियां प्रदर्शित करने का अवसर भी प्राप्त होता है। इस बहाने बच्चों के अभिभावक भी विद्यालय आकर बच्चों की प्रगति देख सकते हैं।
वार्षिकोत्सव की तैयारी : हर विद्यालय का वार्षिकोत्सव मनाने का समय और दिनांक निश्चित रहती है। जब वार्षिकोत्सव का समय पास आ जाता है तो लगभग एक माह पूर्व विद्यालय के छात्र-छात्राओं को इसमें भाग लेना होता है। यह कार्यक्रम अध्यापकों की देखरेख में किया जाता है। इन सभी कार्यक्रमों के चलते भी विद्यालय अपनी नियमित कक्षाओं में बाधा नहीं पड़ने देता है।
कैसे मनाया जाता है : विद्यालय का वार्षिकोत्सव हर वर्ष बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन की अध्यक्षता के लिए विद्यालय के प्राचार्य तथा शिक्षा जगत से जुड़ी कई विद्वान हस्तियों को बुलाया जाता है। उत्सव के स्थल को बड़ी ही तन्मयता से सभी छात्र-छात्राएं सजाते हैं। नाटक, नृत्य, निबंध, वाद-विवाद, रंगोली, कविता, चित्रकला, पोस्टर प्रतियोगिता, स्लोगन आदि कई दिलचस्प और रचनात्मक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। इसके बाद छोटे-छोटे दलों में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते है।
समारोह के अंत में पुरस्कार मुख्य अतिथि द्वारा वितरित किए जाते हैं।
उपसंहार : वास्तव में प्रत्येक विद्यालय के वार्षिकोत्सव का उद्देश्य मनोरंजन ही नहीं बल्कि सभी छात्र-छात्राओं की रूचियों और प्रगति का लेखा-जोखा जानना होता है। इस आयोजन से सभी विद्यार्थियों को नए उत्साह और प्रेरणा की अनुभूति होती है।