एक दिन बैठे-बैठे वर्मा जी के मन में समाज सेवा का ख्याल आया.....
अब किस रूप में समाज की सेवा करें.....
काफी सोच विचार के बाद जाकर गांव के शराब के ठेके के बाहर बैठ गए और.....
वहां पर आने वाले और पीकर निकलने वाले हर व्यक्ति को शराब के नुकसान समझाते और बताते कि शराब बुरी चीज़ है.......ना पिया करो....
पीने वालों में एक था "बिट्टू"...
वो वर्मा जी से ही उलझ गया.....
बिट्टू:- तुमने शराब पी है कभी...
वर्मा जी:- नहीं....
बिट्टु:- फिर तुम्हें कैसे पता कि ये खराब ही होती है....
. पहले मेरे सामने पियो. फिर भी तुम इसे ख़राब कहोगे तो बिलकुल मान लूंगा....
बिट्टू की शर्त सुन कर वर्मा जी पहले तो सोच में पड़ गए लेकिन फिर बोले:-
ठीक है.अगर तुम्हारी शराब छुड़ाने के लिए ये त्याग करना जरुरी है तो मै इसे अवश्य करूंगा....
तुम ठेकेदार से मेरे लिए भी पैग बनवा लाओ....
पर ध्यान रहे उन्हें प्याले में नहीं चाय के कप में बनवाना....
ताकि यहां किसी को ये ना लगे कि मै यहां शराब पी रहा हूं.....
बिट्टू अन्दर जाकर ठेकेदार से बोला:- दो पैग बना दो, लेकिन चाय के कप में बनाना...
अच्छा......ठेकेदार जोर से ठहाका लगा कर बोला :- आज भी वर्मा जी बैठे हैं बाहर......