राजेद्र यादव : विवादों के बीच भी जारी रहा सफर

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हिंदी साहित्य की मशहूर पत्रिका 'हंस' के संपादक,हिंदी में नई कहानी आंदोलन के प्रवर्तकों में एक कहानीकार, उपन्यासकार राजेंद्र यादव का जीवन विवादों से भरा रहा। मगर उन्होंने कभी इससे हार नहीं मानी। हमेशा वह अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते रहे। समाज के वंचित तबके और स्त्री-पुरुष संबंधों को अपने लेखन का विषय बनाने वाले राजेंद्र यादव के साथ कंट्रोवर्सी का चोली-दामन का साथ रहा। आरोपों-प्रत्यारोपों की लंबी फेहरिस्त थी, उनकी जिंदगी में। शराब, दोस्त, स्त्री, प्रेम हमेशा उनके साथ जुड़े रहे।

हाल ही में राजेंद्र यादव और ज्योति कुमारी का विवाद काफी दुखद था। राजेंद्र यादव और हंस पत्रिका के साथ संपादन सहयोगी के रूप में कार्यरत रही युवा लेखिका ज्योति कुमारी ने आरोप लगाया था कि हंस में कार्य करते समय उसकी निजता का हनन हुआ और प्रमोद नाम के युवक ने उसका वीडियो बनाने की बात कही। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जैसे विश्व विख्यात लेखक जिस पत्रिका के संस्थापक संपादक रहे हों, उसके वर्तमान संपादक का विवादों में घिरना इस पत्रिका और साहित्य से जुड़े पाठकों के लिए पीड़ाजनक था।

वैसे राजेद्र यादव के लिए यह कोई नया मामला नहीं था। इससे पहले भी राजेंद्र पर अनकों बार कई तरह के आरोप लगते रहे हैं। उनकी पत्नी मनु भंडारी से शादी के बाद भी उन पर दूसरी लड़कियों के साथ संबंध बनाने के आरोप लगे। इनमें कई नामचीन लेखिकाएं भी हैं। एक बार उनकी 82 वर्षीया पत्नी और जानी-मानी हिंदी लेखिका मन्नू भंडारी ने तो यह तक कहा था कि 25 साल पहले बेटी रचना के जन्म के बाद से राजेंद्र के साथ मेरा कोई शारीरिक संबंध नहीं रहा।

मेरा जीवन तो मेंटली, इमोशनली, सेक्सुअली बैंकरप्ट ही रहा। गनीमत है कि अपने आखिरी दिनों में राजेंद्र यादव को भी इस बात का एहसास हुआ। लेकिन किसी पत्नी या स्त्री के लिए यह कितना दुखद था इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। वैसे राजेंद्र यादव ने भी इससे कभी इंकार नहीं किया। उन्होंने तो अपने एक इंटरव्यू में इस बात पर सफाई दी थी कि मैं कर क्या सकता था। तब मीता मेरी जिंदगी में थी। जीवन में कभी एक साथ दो स्त्रियों के साथ मेरे शारीरिक संबंध नहीं रहे। गीता के रहते मैं मन्नू के साथ ऐसे संबंधों के बारे में सोच भी नहीं सकता था।

यानी बड़े ही बेबाकी और आजादी से राजेंद्र यादव जी अपने प्रेम की बातें हमेशा स्वीकार करते रहे। स्त्री विमर्श और स्वच्छंदता की बातें वे हमेशा करते रहे और हमेशा विवादों में पड़ते रहे। कुछ लोगों को राजेंद्र यादव के नॉनवेज जोक्स पर एतराज था लेकिन राजेंद्र यादव जी को इससे फर्क्र नहीं पड़ता था। लड़कियों और औरतों के बारे में भी उनकी सोच औरों से अलग थी। एक बार उन्होंने करीना कपूर के बारे में हंस में क्या लिखा, लोगों ने उन पर तरह- तरह की फब्बतियां कसीं। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि बुढ़ापे में राजेंद्रजी को जवान लड़कियों का चस्का लग गया है।

कुछ साल पहले की ही बात है जब विभूतिनारायण राय ने कुछ लेखिकाओं को 'छिनाल' की उपाधि दे दी थी। राजेंद्रजी से उम्मीद की गई कि वे उनकी बखिया उधेड़ेंगे, लेकिन वे तो कहने लगे कि उन्होंने गलत कहा, लेकिन क्या इसके लिए उसे फांसी पर लटकाओगी? इन टिप्पणियों की इतनी परवाह क्यों? छिनाल कहते हैं तो कहने दो। बोलो कि हां, हूं छिनाल, क्या कर लोगे?

राजेंद्र के अंदर और भी कितने और राजेंद्र बसते थे। घर छोड़ा, पत्नी-बेटी सबका साथ छूट गया, वह हमेशा एकांत भोगते रहे लेकिन अधिकतर वे खुश रहते, ठहाके लगाते और साहित्य का दामन हमेशा कसकर थामे रहे। मन्नू से अलग होने के बाद मीता का हाथ भी उन्होंने नहीं थामा। नियमों को तोड़ने वाले राजेंद्र सामाजिक नियमों की दुहाई देने लगे। उन्होंने कहा था कि मैं बिना शादी के उसके साथ नहीं रह सकता था। समाज में दिक्कतों का सामना करना पड़ता।

इस तरह जिंदगी के कठघरे में खड़े राजेंद्र यादव खुद भी हर मुकदमे में खुद को क्लीन चिट देने को तैयार नहीं थे। वह कहा करते थे कि मैं अपने साथ कितने अपराध-बोध और कितनी जिंदगियों का बोझ लेकर जाऊंगा। सोचता हूं तो दिल कांप जाता है। एक बार अपनी बेटी के बारे में उन्होंने कहा था कि जो बिटिया आज बीमारी में रात-दिन मेरी देखभाल कर रही है, बचपन में मैंने उसकी तरफ देखा तक नहीं। कभी एक घंटे बैठकर उससे बात तक नहीं की।

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