एक नई ‘अनन्य’ बयार, पहली बार किसी कौंसलावास से शुरू हो रही हिंदी की पत्रिका

स्वरांगी साने
‘हिंदी से प्यार है’ कहने भर के लिए भी जब एक अलग ताकत, एक अलग जुनून लगता है, तब उस नाम से समूह स्थापित करना और उसे यशस्वी कर दिखाना यदि किसी के लिए संभव है तो उसका नाम अनूप भार्गव है। हालांकि कुछ हद तक परिदृश्य बदला है और भारत में तथा भारत के बाहर भी अब हिंदी अपना परचम लहराने लगी है, लेकिन अभी बहुत कुछ होना बाकी है, बहुत कुछ किया जाना भी लाज़मी भी है। ‘हिंदी से प्यार है’ समूह बमुश्किल एक साल से ‘साहित्यकार तिथिवार’ और ‘साहित्यकारों को समर्पित वेबसाइट’ बनाने जैसे दो महत्वपूर्ण कार्य करते हुए इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

ऐसे में सालों-साल से अमेरिका में रहने वाले अनूप भार्गव सालों-साल से हिंदी के प्रचार प्रसार अथक रूप में जुटे हैं। अथक इसलिए कि शायद ही कोई एक दिन ऐसा बीतता हो, जब वे हिंदी के बारे में नहीं सोचते और केवल हिंदी के बारे में सोचने भर से कुछ नहीं होगा, यह जानते हुए उसकी बेहतरी के लिए कार्य भी करते हैं। उनकी शिद्दत एक ऐसी ख़बर लाती है जो अपने आप में अनूठी है। उनके प्रयासों से न्यूयॉर्क स्थित भारतीय कौंसलावास ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर हिंदी पत्रिका प्रकाशित करना तय किया और उसका लोकार्पण 17 जून को होने जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो यह इसलिए भी नई बयार की तरह होगी क्योंकि इसके बाद विश्व के हर देश में स्थित भारतीय कौंसलावासों में यह परंपरा शुरू की जा सकेगी।

न्यूयॉर्क से प्रकाशित होने वाली पत्रिका का नाम ‘अनन्य’ रखा गया है। ‘अनन्य’ ही क्यों, के जबाव में अनूपजी कहते हैं कि जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह अपने आपमें अनूठी पत्रिका है। इसमें ऑडियो भी डाले गए हैं ताकि आप सुनने का भी आनंद ले सकें। इसमें भारतीय लेखकों के साथ आप्रवासी लेखक भी होंगे, कुछ गीत, कुछ ग़ज़ल और कुछ स्थायी स्तंभ होंगे। इसका उद्देश्य है कि विदेशों में बसे भारतीयों के मन में हिंदी के प्रति अनुराग को जगाना। वे कहते हैं कि भारत में रहते हुए हिंदी से जुड़े रहने के लिए सजग प्रयासों की ज़रूरत नहीं होती, हिंदी आपके चारों तरफ़ होती है। लेकिन जब आप भारत की मिट्टी से दूर रहते हैं तो सजग प्रयास करने पड़ते हैं। यह उन्हीं प्रयासों की एक बानगी जैसा है।

पत्रिका के संरक्षक भारत के प्रधान कौंसल न्यूयॉर्क, रणधीर जायसवाल हैं, प्रबंध संपादक अनूप भार्गव, संपादक डॉ. जगदीश व्योम, कला संपादक विजेंद्र एस. विज, संपादन सलाहकार डॉ. हरीश नवल, तकनीकी सहयोग बालेंदु दाधीच, संपादन सहयोग स्वरांगी साने, आभा खरे तथा व्यवस्थापन अमित खरे और गीता घिलौरिया है।

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