Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इंदौर साहित्य उत्सव में सोनल मानसिंह ने सजाए संस्कृति के रंग

हमें फॉलो करें इंदौर साहित्य उत्सव में सोनल मानसिंह ने सजाए संस्कृति के रंग
इंदौर साहित्य उत्सव में पद्मभूषण से अलंकृत सोनल मानसिंह ने संस्कृति, धर्म, दर्शन, अध्यात्म और भारतीय नृत्य परम्परा पर सुंदर संवाद किया।

सत्र के आरम्भ में सोनल जी से सवाल किया गया कि, ''आज आपकी तरह दूसरी सोनल मानसिंह जन्म क्यों नहीं लेती जबकि इतनी सुविधा और संसाधन बच्चों के पास उपलब्ध है? सोनल मानसिंह ने ने जवाब दिया कि जिस समय में मैंने जन्म लिया है उस समय सोशल मीडिया जैसी चीजें नहीं थी ध्यान भटकाने के लिए। हमें ही यह तय करना है कि मुझे यह काम करना ही है जब तक आग की यह लपट आपके भीतर नहीं होगी आप मुकाम हासिल नहीं कर पाएंगे। हमें खुद से पूछना होगा कि आप हैं कौन करोडों लोगों में। सोनल मानसिंह ने कहा कि हमें संस्कृति के साथ भाषा की मर्यादा का भी ध्यान रखना चाहिये। उनसे जब सुचित्रा हरमलकर ने सवाल किया कि ऐसा क्या है जो अभी तक सोनल जी के लिए अप्राप्य है तब उन्होंने तपाक से कहा मेरी मंशा है कि हमारी संसद में भारतीय संस्कृति का ओरिएंटेशन कोर्स हो।
ALSO READ: Selctive Narrative: क्या देश में 2014 के पहले सबकुछ अच्छा था?

webdunia


सोनल मानसिंह ने वार्तालाप के दौरान आगे कहा -

- जिसकी ऊर्जा से सृष्टि बनी वह नटराज ही है।

- नृत्य से न सिर्फ शरीर का सुंदर संचालन  होता है बल्कि आत्मा का भी साँसों से तालमेल होता है।

- हमारी नृत्य कला में हमारी संस्कृति में क्या नहीं है शिल्प है साहित्य है दर्शन और अध्यात्म भी है।



- उन्होंने कहा कि कृष्ण क्या है जो आकर्षित करें और जो आपसे भी आकर्षित हो जाए वही कृष्णा है और नृत्य में इसी कृष्ण तत्व का समावेश होता है।

- सोनल के अनुसार शिव को हम कितना जानते हैं जो मंगल करे वही शिव है और हमारी नृत्य संस्कृति में यह शिव तत्व भी समाविष्ट है।

डॉ.सोनल मानसिंह के संवाद सत्र की खास बातें 
 
डांस नाचना नहीं है यह कला, संगीत, साहित्य और नाट्य का अभिमिश्रण है
 
नृत्य में साहित्य, शिल्प, सुंदरता है हमारी नृत्य संस्कृति में क्या नहीं है?
 
नृत्य में आप शरीर से कला और अनुभूति को अभिव्यक्त कर सकते हैं
 
धर्म क्या है, नीति क्या है, शास्त्र क्या है, हमें आज तक इनके जवाब नहीं मिले हैं
 
मैं नृत्य नहीं करती बल्कि मुझसे मेरे जाने और समझे हुए दर्शन का प्रभाव नृत्य करा लेता है यही है भारतीय नृत्य कला
 
मैंने आज सुबह यह अच्छी खबर पढ़ी की महिलाएं पुरुषों से ज्यादा हो गयी हैं....
 
स्त्री कभी भेदभाव नहीं करती स्त्री अपने पेट से स्त्री पुरुष शिशु दोनों को जन्म देती है...
 
अस्त्र शस्त्र और शास्त्र में जो त्र है वह रक्षा के लिए है...
 
नारी शब्द के साथ साथ संस्कृति है जिसमें नर भी समाया हुआ है
 
सृष्टि को धारण करने वाली वही है स्त्री जिसके हजारों नाम है
 
नृत्य से न सिर्फ शरीर का सुंदर संचालन  होता है बल्कि आत्मा का भी साँसों से तालमेल होता है।
 
हमारी नृत्य कला में हमारी संस्कृति में क्या नहीं है शिल्प है साहित्य है दर्शन और आध्यात्म भी है।
 
कृष्णा क्या है जो आकर्षित करे और जो आपसे भी आकर्षित हो जाए वही कृष्णा है और नृत्य में इसी कृष्ण तत्व का समावेश होता है।
 
शिव को हम कितना जानते हैं जो मंगल करे वही शिव है और हमारी नृत्य संस्कृति में यह शिव तत्व भी समाविष्ट है।
 
अपने बच्चों को सिखाओ कि वह अपने से बड़ों के चरण को स्पर्श करें, जो उनके अनुभव है उनकी ऊर्जा है वह आत्मसात करें....

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Selctive Narrative: क्या देश में 2014 के पहले सबकुछ अच्छा था?