- डॉ विक्रम संपत और आनंद रंगनाथन के बीच सावरकर पर हुई चर्चा
	 
 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	-इंदौर के गांधी हॉल में वीर सावरकर पर वार्तालाप दिलचस्प रहा।
	 
	- विक्रम संपत की अगली किताब होगी टीपू सुल्तान पर
	 
	 
	''वीर सावरकर के ऊपर किताब लिखने के बाद डॉ विक्रम संपत को देशभर में खूब आलोचना झेलना पड़ी। बैंगलोर में उनके पुतले जलाए गए। लेकिन अब वे टीपू सुल्तान पर लिखने जा रहे हैं। ऐसे में कितना हंगामा होगा इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है''
								
								
								
										
			        							
								
																	दरअसल, इस सेशन में इस पर चर्चा हुई कि सावरकर इतने बड़े शख्सियत थे, थिंकर थे, लेकिन पिछले सालों में उन पर कोई चर्चा ही नहीं की गई, हम सब उनके बारे में बात करने से बचते रहे।
	 
	इंदौर लिट् फेस्ट का यह सेशन इसलिए भी दिलचस्प था कि वीर सावरकर की बात गांधी हॉल में हो रही थी। जहां हिन्दू आइडियोलॉजी, सावरकर और गोलवरकर के बारे में बात हो रही थी।
	दीप प्रज्वलन और स्वागत समारोह के बाद आयोजन का पहला सेशन वीर सावरकर के नाम रहा. जिसमे 'व्यक्ति मिथक और भ्रांतियां' विषय पर डॉ विक्रम संपत और डॉ आनंद रंगनाथन के बीच बातचीत हुई। हाल ही में वीर सावरकर को लेकर देशभर में खूब हंगामा हुआ ऐसे में सावरकर पर यह चर्चा उल्लेखनीय और बेहद महत्वपूर्ण रही।
	 
	बता दें कि डॉ विक्रम संपत की वीर सावरकर को लेकर लिखी किताब के बारे में पिछले दिनों बेहद चर्चा रही. ऐसे में यह यह विषय और सेशन अहम रहा।
	
- 30 साल पहले सावरकर के बारे में बात करना मुश्किल था 
	 
	डॉ विक्रम संपत ने कहा कि 30 साल पहले यह करना मुश्किल था, लेकिन आज यह सम्भव हो रहा है, वो पत्रकार थे, लेखक थे और चिंतक थे। तो एक ऐसे व्यक्तिव के बारे में बात करना गौरव का विषय है। आज तक उनके बारे में कोई चर्चा ही नहीं थी यह दुख की बात रही अब तक। 
	 
	एक समय था वीर सावरकर के बारे में बात करने के भी खामियाजे भुगतने पड़ते थे। आप किसी से नफरत करें प्रेम करें ये अलग बात है लेकिन आप उनके बारे में बात भी न करे ये गलत बात है। 
	 
	- क्या वीर सावरकर के बारे में बात करने का कोई नुकसान हुआ?
	 
	आनंद रंग नाथन के इस सवाल पर विक्रम संपत ने कहा कि मैं किसी लॉबी का सदस्य नहीं हूं, मुझे कोई फेलोशिप नहीं चाहिए। मुझे कोई करियर नहीं बनाना है, इसलिए मेरा क्या नुकसान होगा. मैं बस चाहता था कि सावरकर के बारे में लिखूं और लोग उसे पढ़ें। 
	 
	- टीपू सुल्तान के बारे में लिखने के नतीजे क्या होंगे?
	 
	देखिए सावरकर पर मेरे दो वॉल्यूम आ चुके हैं,और उनके बारे में मैंने सबकुछ लिखा, उनकी अच्छाइयां और बुराइयां भी, हालांकि सावरकर पर मेरे काम के बाद मेरा बैंगलोर में पुतला जलाया गया, अब मैं टीपू सुल्तान के बारे में लिखने जा रहा हूँ, ज़ाहिर है जैसा है वैसा ही लिखूंगा, तो सोच लीजिए क्या होने वाला है। 
	 
	 
	क्या सावरकर को भारत रत्न मिलना चाहिए?
	 
	देखिए, यह अहम नहीं है, कई लोगों ने देश के लिए बलिदान दिया, त्याग किया। हज़ारों लोग हैं, नाम हैं, जिन्होंने देश के लिए खुद को समर्पित कर दिया। तो ऐसे में उन सभी बलिदानों को रिकग्नाइज़ किया जाना चाहिए। उन्हें पहचाना जाना चाहिए, फिर चाहे वो वीर सावरकर ही क्यों न हो।