अभिनव कथाकथन और कविताओं ने लूटी वाहवाही

Webdunia
बुधवार, 31 अगस्त 2016 (09:09 IST)
हिन्दी साहित्य समिति इंदौर के परिसर में रविवार की शाम कविता और कथाकथन के नाम रही। आम्ही रचनाकार के माय मावशी कार्यक्रम में इस बार मां यानि मराठी रचनाओं की बारी थी। 
 
युवा पीढ़ी के कवि चेतन फडणीस की कविताएं जहां भरपूर दाद ले गईं वहीं वरिष्ठ कवयित्री रंजना मराठे की कविताओं में उम्र के अनुभव महसूस हुए। घर गळतयं यानी घर टपक रहा है, इसमें युवा रचनाकार चेतन ने बहुत ही सुंदर तरीके से कवि एवं कविता के बीच के संबंधों और कवि के निजी जीवन को कलमबद्ध करने की सराहनीय कोशिश की। जूनी पेटी यानी पुरानी अटैची शीर्षक वाली कविता ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। परिस्थितियों से लड़ने वाली एक मां अपने बच्चे के सवालों और हठ का कैसे जवाब देती है इस विषय पर बनी कविता बालहठ भी बहुत प्रभावी बन पड़ी। वहीं नवनिर्मिती कविता एक नई शुरुआत का संदेश दे गई। 
 
गणेशोत्सव की तैयारी के इस समय में रंजना मराठे ने अपनी कविताओं की शुरुआत गणेश वदंना से की। उनकी कविताओं में जहां एक ओर ढलने वाले सूर्य की बात बहुत ही प्रभावी ढंग से रखी गई थी वहीं अकेले रहने का सुख क्या होता है यह भी रंजना जी ने बहुत ही रोचक तरीके से अपनी कविता में ढाला। अपनी मराठी तुकांत कविताओं में उन्होंने बहुत ही खूबसूरती से बारिश का महत्व दिखाया। शब्द एक ओर रिश्ते बनाने के काम करते हैं और यही शब्द गलत इस्तेमाल के कारण नाता तोड़ भी देते हैं, इसी विचार को रंजना मराठे ने अत्यंत कुशलता से अपनी कविता में ढाला। 
 
आम्ही रचनाकार के नवीन साहित्य प्रयोगों की बानगी श्रोताओं को कार्यक्रम के अगले भाग में मिली जहां प्रयास नाट्य संस्था के कलाकारों ने कहानी को बहुत ही मनमोहक कथाकथन के तौर पर पेश किया। वैशाली पिंगले की दो कहानियों नाव नसलेलं नातं (अनामिक रिश्ता) और पाणी पाणी रे (पानी पानी रे) पर प्रभावशाली ढंग से मुंकुंद तेलंग, वसंत साठे, रेणुका पिंगले, श्रेया वेरुळकर और अपर्णा चांसरकर ने प्रस्तुति दी।
 
आंगिक और वाचिक अभिनय का सटीक उदाहरण यहां प्रस्तुत किया गया। कथाकथन का निर्देशन मुकुंद तेलंग ने किया। सामान्य तौर पर कथाकथन एक व्यक्ति द्वारा कहानी की प्रस्तुति होता है लेकिन यहां पूरे दल ने बहुत ही भावप्रवण ढंग से अपने अपने पात्रों कों श्रोताओं के सामने रखा। यह प्रस्तुति नाट्य और कथाकथन का अद्वितीय मिश्रण थी जिसने कहानियों को चार चांद लगा दिए। कार्यक्रम का सूत्र संचालन वैभव पुरोहित ने किया। 
 
माय मावशी कार्यक्रम की संकल्पना के तहत हिन्दी और मराठी दोनों में लिखने वाले रचनाकारों को मंच दिया जाता है। नियमित और अनौपचारिक बैठकों के विमर्श में कई नवोदित लेखक सामने आते रहे हैं जिन्हें माय मावशी श्रृंखला के तहत अपनी रचनाएं प्रस्तुत करने का अवसर मिला है। पिछले 15 साल से अनौपचारिक गोष्ठियों और कुछ सार्थक आयोजनों के अलावा कथा व साहित्य के विविध आयामों को लेकर वैचारिक आदान प्रदान और भाषा की तकनीकी समृद्धि पर इसमें विशेष कार्य किया जाता है। (आभा निवसरकर) 
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