व्यवस्था पर चोट करता उपन्यास है- ठुल्ले
आंखों में आंखें डाल कर बात करते हैं उपन्यास के पात्र
इन्दौर। पिछले दिनों शासकीय श्री अहिल्या केंद्रीय पुस्तकालय के संगोष्ठी कक्ष में जनवादी लेखक संघ इन्दौर इकाई के मासिक रचना पाठ के 113वें क्रम में प्रख्यात कथाकार, उपन्यासकार सत्यनारायण पटेल ने अपने लिखे जा रहे उपन्यास "ठुल्ले" से दो शुरुआती अंशों का पाठ किया।
रचना पाठ के बाद चर्चा की शुरुआत करते हुए चैतन्य त्रिवेदी ने कहा कि सत्यनारायण पटेल एक ऐसे रचनाकार हैं जिनकी रचनाओं में मालवा की आंचलिकता साफ नज़र आती है किन्तु इसके अंशों में अभी वह नज़र नहीं आई है, अभी विवरण नज़र आ रहा है। उन्होंने उम्मीद की कि जिस प्रकार सत्यनारायण पटेल ने अपने पूर्व उपन्यास में गाँव की आत्मा को प्रवेश कराया है उसी प्रकार वे इसमें भी ठुल्ले के भीतर ठुल्ले की आत्मा का प्रवेश करवाएंगे।
किसलय पंचोली ने कहा कि यह रचना का विषय निर्धारित करता है कि उसकी भाषा कैसी होनी चाहिए। जिस प्रकार उन्होंने एक पुलिसकर्मी को ठुल्ला कहकर उपन्यास की शुरुआत की है वहाँ इसमें यदि आत्मकथ्य झलकता है तो और बेहतर है। कला जोशी ने कहा कि इस तरह के विषय पर लिखना साहस नहीं बल्कि दुस्साहस का कार्य है। आनन्द व्यास ने कहा कि यह उपन्यास तंत्र पर एक गंभीर चोट करता हुआ साबित होगा।
बहादुर पटेल ने कहा कि सत्यनारायण का यह शुरुआती ड्राफ्ट है, इसमें बहुत सी समस्याएँ अभी लग रही हैं किन्तु उनकी रचना प्रक्रिया का साक्षी होने के कारण कहा जा सकत है कि उपन्यास जब अपने अंतिम रूप में आएगा तो सशक्त साबित होगा। सुरेश उपाध्याय और चुन्नीलाल वाधवानी ने कहा कि यह यथार्थ को प्रकट करता नज़र आ रहा है।
रजनी रमण शर्मा ने कहा कि सत्यानारायण कमिटमेंट के रचनाकार हैं समाज के प्रति भी और अपने प्रति भी। यह उपन्यास भी उनके कमिटमेंट को साबित करेगा। वरिष्ठ कथाकार, उपन्यासकार प्रकाश कान्त ने कहा कि सत्यनारायण के पात्र बोल्ड होते हैं और दाएं बाएँ जाए बिना सीधा यानी नज़र मिलाकर बात करते हैं। उन्होंने उम्मीद की सत्यनारायण की पूर्व रचनाओं का आस्वाद इसमें भी बना रहेगा। वरिष्ठ व्यंग्यकार जवाहर चौधरी ने कहा कि इस उपन्यास की भाषा कन्विंस करने वाली है और यह व्यवस्था पर चोट करता एक बेहतरीन उपन्यास साबित होगा।
इसके बाद संत हिरदाराम सिंधी गौरव पुरस्कार तथा लाइफ टाइम अचीवमेंट से सम्मानित रचनाकार अमरलाल गोपालानी के हिन्दी उपन्यास "वचन" का लोकार्पण किया गया। चर्चा में प्रदीप कांत, सुरेश पटेल, नंदकिशोर बर्वे, जितेन्द्र चौहान, अरुण ठाकरे, अरविंद पोरवाल,डा,पद्मासिंह,शिरीन भावसार, निहारिका, ज्योति देशमुख, नयन कुमार राठी,जे, सुरेन्द्र, डॉ., रमेशचंद्र, जावेद आलम आदि शामिल रहे। संचालन और आभार किया देवेंद्र रिणवा ने। अंत में दिवंगत साहित्यकार सूर्य प्रकाश चतुर्वेदी को स्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।