कृष्ण कुमार अष्ठाना: कर्तव्यवेदी के मूक साधक
हिन्दी पत्रकारिता जगत में बाल साहित्य को महत्वपूर्ण स्थान दिलाने वाले तथा आरएसएस के पूर्व प्रांत सरसंघ चालक थे कृष्ण कुमार अष्ठाना।
सहजता, सादगी और सरलता से जीवन यापन करने वाले, साहित्य, पत्रकारिता, समाजसेवा, संघनिष्ठा और समानुपात में राष्ट्रजागरण जैसे कार्यों से न केवल इंदौर बल्कि समग्र मालवा और मध्यप्रदेश को गर्वित करने वाले स्वयंसेवक का नाम कृष्ण कुमार अष्ठाना है।
आप भारत के प्रथम बाल साहित्य सृजन पीठ, मध्यप्रदेश के निदेशक रहे हैं। अष्ठाना जी का जन्म स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण अष्ठाना के घर ग्राम ऊंटगिर, तहसील खैरागढ़, जिला आगरा (उत्तरप्रदेश) में 15 मई 1940 में हुआ। इतिहास व राजनीति विज्ञान में आपने एम.ए. तथा बी.एड. सहित साहित्य रत्न तक अध्ययन किया। इसी के साथ, शिक्षक, व्याख्याता एवं प्राचार्य के रूप में 16 वर्ष तक आपने सेवाएं प्रदान कीं।
वर्ष 1973 में पत्रकारिता में प्रवेश कर दैनिक स्वदेश में 12 वर्ष तक बतौर प्रबंध संपादक व संपादक के रूप में कार्य किया। स्वदेश की पत्रकारिता के दौरान देश में आपातकाल लग गया, उसी दौरान स्वदेश पर तात्कालीन सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया तथा संपादक और प्रबंध संपादक को पूरे आपातकाल के दौरान जेल भी भेज दिया गया था। अष्ठाना जी उस समय स्वदेश के संपादक थे। वर्ष 1981 से वर्ष 1983 इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष रहे।
इसी के साथ, आपने अनेक सामयिक पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। इसके बाद तीन दशक से 'देवपुत्र' बाल मासिक में संपादक पद का दायित्व निभाते हुए 'भारतीय बाल साहित्य शोध संस्थान' की स्थापना की।
कृष्ण कुमार अष्ठाना मध्यप्रदेश समाचार पत्र संघ भोपाल के उपाध्यक्ष एवं इंदौर समाचार पत्र संघ के सचिव भी रहे। अ.भा. समाचार पत्र संपादक सम्मेलन (ए.आई.एन.ई.सी.) तथा इंडियन एंड ईस्टर्न न्यूज़ पेपर्स सोसायटी (आई.ई.एन.एस.) के भी आप सदस्य रहे हैं। वर्तमान में श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के उप सभापति भी हैं।
स्मृति, समिधा, एक और नंदीदीप, नव दधीचि-गुरु तेग बहादुर सहित अब तक 5 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। अष्ठाना उ.प्र. हिन्दी संस्थान के बाल साहित्य पर दिए जाने वाले पुरस्कार की चयन समिति में भी रहे। आकाशवाणी से भी आपकी चर्चाओं तथा आलेखों का प्रसारण होता रहा है।
अब तक आपको विभिन्न राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें 1997 में मध्यभारत हिन्दी साहित्य सभा, ग्वालियर द्वारा सम्मान 1997 में ही 'नागरी बाल साहित्य सम्मान' बलिया (उ.प्र.), 1998 का 'मालवा शिक्षा सम्मान', इंदौर, बाल वाटिका पत्रिका भीलवाड़ा (राजस्थान) द्वारा सम्मान, वर्ष 2000 में बाल साहित्य, संस्कृति कला विकास संस्थान, बस्ती द्वारा 'संपादक रत्न सम्मान', 2001 में भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर द्वारा बनारस एवं हरिद्वार में सम्मान, 2002 में अ. भा. नवोदित साहित्यकार परिषद्, लखनऊ द्वारा सारस्वत सम्मान, 2002 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा सम्मेलन सम्मान, मध्य भारत हिन्दी साहित्य सभा का शताब्दी वर्ष का बाल साहित्य सम्मान, 2003 में 'मनीषिका' संस्था कोलकाता द्वारा बाल साहित्य सम्मान।
2008 में प्रतिष्ठित मीरा सम्मान, इलाहाबाद, राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान, अकोला (चित्तौड़गढ़), 2012 में उत्तराखंड बाल साहित्य संस्थान अलमोड़ा द्वारा सम्मान, 2012 में श्री तिवारी स्मृति सारस्वत सम्मान (11 हज़ार नगदी राशि के साथ) से सम्मानित, विक्रमशिला विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा विद्यावाचस्पति, देवी श्री अहिल्या नगर गौरव पुरस्कार, वर्ष 2022 में मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी गौरव अलंकरण सहित अन्य कई पुरस्कार एवं सम्मान अष्ठाना जी को प्राप्त हुए हैं।
कर्मण्य स्वयंसेवक, अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी कृष्ण कुमार अष्ठाना राम जन्मभूमि आंदोलन में भी सक्रियता के साथ जुटे रहे। सरलमना व्यक्ति अष्ठाना ने मंगलवार 14 जनवरी 2025 को उत्तरायण, मकर संक्रांति के दिन इंदौर में अंतिम श्वास देह को विदाई दे दी।
कृष्ण कुमार अष्ठाना जीवन के अंतिम समय तक साहित्य, संघ और पत्रकारिता में सक्रिय रहे। विगत दिनों इंदौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित स्वर शतकम घोष के आयोजन में भी अष्ठाना जी मीडिया दीर्घा से पृथक स्वयंसेवकों के बीच मौजूद थे। ऐसे सहज स्वयंसेवक का अनायास चले जाना, लोक सांस्कृतिक एवं इंदौर के साहित्यिक, पत्रकारिता जगत् में एक गहरा आघात और खालीपन दे गया।
[लेखक डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा देश में हिन्दी भाषा के प्रचार हेतु हस्ताक्षर बदलो अभियान, भाषा समन्वय आदि का संचालन कर रहे हैं]
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)