जयपुर साहित्य सम्मेलन शुरू

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जयपुर। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के महत्वपूर्ण भाषण के साथ आज यहां प्रसिद्ध जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) की शुरुआत हुई। हर साल आयोजित होने वाले इस साहित्योत्सव में दुनिया भर से आए प्रसिद्ध साहित्यकार हिस्सा लेते हैं।

महोत्सव के निदेशक पांच दिन चलने वाले इस समारोह में करीब 2,00,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं। निदेशकों ने कहा कि वह पिछले कुछ सालों में महोत्सव से जुड़े विवादों को लेकर चिंतित नहीं हैं।

महोत्सव के निर्माता संजय रॉय ने कहा, ‘समाज केवल बहस एवं चर्चाओं से ही प्रगति कर सकता है। हमने विवादों से बचने के लिए कुछ नहीं किया है, हम बस इतना सुनिश्चित करना चाहते हैं कि विचारों की अभिव्यक्ति को पेश करने की आजादी बनी रहे।’

राजस्थान की राज्यपाल माग्ररेट अल्वा ने महोत्सव के आधिकारिक मशाल को प्रज्ज्वलित कर समारोह का उद्‍घाटन किया। राज्यपाल ने कहा कि जेएलएफ ने हाल के सालों में जयपुर को ‘साहित्य का कुंभ’ बना दिया है।

उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र केवल चुनावों या गलियों में होने वाली प्रदर्शनी नहीं है बल्कि यह सार्वजनिक चर्चाओं एवं संवादों का भी नाम है।’ समारोह के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

2012 में लेखक सलमान खुर्शीद को कुछ धार्मिक समूहों के विरोध के बाद महोत्सव का अपना दौरा रद्द करना पड़ा था।

विवाद यहीं नहीं थमा और कुछ लेखकों ने खुर्शीद की प्रतिबंधित किताब ‘द सैटनिक वर्सेज’ का एक अंश पढ़ा जिससे विवाद और बढ़ गया। पिछले साल भी समारोह तब विवादों में आ गया, जब समाजशास्त्री आशीष नंदी ने कथित रूप से दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर एक चर्चा में ‘अपमानजनक टिप्पणी’ की थी।

हेरीटेज रिसोर्ट डिग्गी पैलेस के छह आयोजन स्थलों पर आयोजित हो रहे इस महोत्सव में करीब 240 लेखक, 175 से अधिक सत्रों में हिस्सा लेंगे।

इन पांच दिनों में ‘लुप्तप्राय भाषाएं और भाषायी विविधता की चुनौतियां’ विषय पर कई सत्रों में विशेष ध्यान दिया जाएगा।

साथ ही जासूसी उपन्यासों के चश्मे से जवाबदेही, जिम्मेदारी एवं दोष के मुद्दों पर ‘अपराध एवं सजा’ विषय पर भी कई सत्र आयोजित किए जाएंगे।

महोत्सव की संस्थापक निदेशक नमिता गोखले ने बताया कि साथ ही ‘डेमोक्रेसी डायलाग्स’ विषय पर चर्चा द्वारा राजनीतिक एवं सामाजिक बदलाव के बड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला जाएगा।

समारोह में क्षेत्रीय भाषाओं के इतिहास पर भी प्रकाश डाला जाएगा। 15 से अधिक देशों के लेखक एवं विशेषज्ञ समारोह में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे।

इन लेखकों एवं विशेषज्ञों में जोनाथन फ्रैंजेन, जावेद अख्तर, झुम्पा लाहिड़ी, ग्लोरिया स्टेनेम, शशि थरूर, अशोक वाजपेयी, एसआर फारूकी, वेद मेहता, रेजा असलन, समांथा शैनन, गणेश डेवी, एमटी वासुदेवन नायर, महेश दत्तानी और नरेन्द्र कोहली जैसे कई नाम शामिल हैं।

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