सारी महत्वपूर्ण चीजें मुफ्त होती हैं

जापानी कवि शुंतारो तानीकावा की कविता और आधारित कलाकृति

रवींद्र व्यास
Ravindra VyasWD
हिंदी के कवि केदारनाथ सिंह ने अपनी एक कविता में लिखा था कि उसका हाथ अपने हाथ में लेकर मैंने सोचा कि दुनिया को उसके हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए। यह नितांत निजी अनुभव के जरिए निकली समूची दुनिया के लिए शुभकामनाएँ भी हैं और एक तरह की गहरी इच्छा भी। अपनी सच्ची और पारदर्शी संवेदना में थरथराती हुई कि दुनिया को कैसा होना चाहिए।

यह सच है कि इस दुनिया को किसी के हाथ की तरह गर्म और सुंदर होना चाहिए लेकिन इस दुनिया को जो चीजें सुंदर बनाती हैं उनमें बहत सारी चीजों को शामिल किया जा सकता है या बहुत सारी चीजें शामिल हैं। लेकिन इसके पहले एक कवि यह भी सोचता है कि इस दुनिया में ऐसी भी जघन्य परंपराएँ हैं जिनसे ये दुनिया शायद असुंदर होती है।

वह अपने आसपास देखता है और व्यथित होता है कि दुनिया में ऐसी परंपराएँ या चीजें ज्यादा हैं जो उसे लगातार असुंदर, असहनीय और विकृत बना रही हैं। इधर कुछ दिनों से जापानी कवि शुंतारो तानीकावा की कविताएँ पढ़ रहा हूँ। उनकी एक कविता है 'मुफ्त है'। इसकी हर पंक्ति में एक सूचना है। सूचना में एक तथ्य है। इस तथ्य में समय की भयावहता है जो कवि को बहुत गहरे मथती है, परेशान करती है और इसीलिए वह ये पंक्तियाँ लिख पाता है कि-

किताबों की कीमतें होती हैं?
कितने लाख का पिकासो का एक चित्र?
परित्यक्त स्त्रियों को मिलने वाली आर्थिक मदद?
पेटेंट कराने की फीस?
कॉपीराइट की फीस?
कविता लिखने के लिए रॉयल्टी पाना?
कैसी जघन्य परंपराएँ!

इन बहुत ही सादा पंक्तियों को यदि धैर्य के साथ नहीं पढ़ा जाए तो इसमें कहीं गहरे छिपे मर्म को बाआसानी से उपेक्षित किया जा सकता है, या इसमें छिपा मर्म दिखाई न दे। लेकिन थोड़े से धैर्य और संवेदनशीलता से उस मर्म तक पहुँचा जा सकता है कि इस कवि को कविता लिखने के लिए रॉयल्टी पाने से लेकर एक परित्यक्त स्त्री को मिलने वाली आर्थिक मदद कितनी नागवार गुजरती है, कितनी असहनीय लगती है और इसीलिए वह यह कह पाने का साहस करता है कि ये कैसी जघन्य परंपराएँ हैं। इन तमाम सादा पंक्तियों से निकले मर्म के आलोक में आप अपने आसपास फैली, चलती और लगातार फैलती उन परंपराओं को देख-महसूस सकते हैं जो जघन्य से जघन्यतम हैं। और अधिकांश लोगों का इन पर ध्यान नहीं जाता है।

लेकिन एक कवि इन तमाम जघन्य परंपराओं से आहत तो होता है लेकिन उसके लिए यह कितने राहत, शांति और संतोष की बात है कि दुनिया में अब भी कुछ चीजें ऐसी हैं जो मुफ्त हैं लेकिन जिनके बिना किसी का भी अस्तित्व अधूरा और अर्थहीन भी है।

शायद ये ही चीजें हमारे जीवन को कुछ सहनीय बनाती हैं, आनंददायक बनाती हैं, कई स्तरों पर नए नए अर्थ भरती हैं और हमारे जीवन को अमूल्य भावों, छवियों, बिम्बों और उमंग-तरंग से भर देती हैं और यह भी कि ये चमाम चीजें मुफ्त हैं, महत्वपूर्ण हैं। जरा गौर कीजिए ये कवि अपनी निगाह से किन चीजों को हमारे लिए फिर अर्थवान और धड़कता हुआ बना देता है-

हवा, समुद्र, आकाशगंगा,
प्रेम, विचार, गीत और कविताएँ,
स्त्रियाँ, बच्चे और दोस्त,
सचमुच सारी महत्वपूर्ण चीजें
मुफ्त होती हैं!
... या होनी चाहिए।

कितनी मार्मिक बात है। शुक्र है कि हवा हमें अब भी हमें वहाँ ले जाती है, जहाँ सबसे सुंदर फूल खिला हुआ है, समुद्र अब भी अपना विशाल और गहरा हृदय खोले जीवन का सत्य बताता है और आकाशगंगा अब भी हमारे सपनों को आकार देती है, नया रूप देती है। कि प्रेम, विचार और कविताएँ अब भी दुनिया को बचाने के लिए जी जान से जुटे हैं और स्त्रियों, बच्चों और दोस्तों का साथ अब तक नहीं छुटा है और उनका हाथ थामे हमें अंधेरे में गीत गा रहे हैं। सचमुच सारी महत्वपूर्ण चीजें मुफ्त होती हैं,,, या होनी चाहिए। इन्हीं के होने से यह हमारी दुनिया सुंदर है।

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