Festival Posters

अभिव्यक्ति के खतरे उठाने वाली कमला दास

बेबाक और बिंदास कमला दास नहीं रही

रवींद्र व्यास
NDND
लेखिका कमला दास के निधन से वह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई जिसने ताजिंदगी स्त्री की बाहरी और आंतरिक दुनिया को, उसके प्रेम और दुःख को अपनी साहसिक अनूठी शैली में अभिव्यक्त किया। मलयालम के ही ख्यात लेखक टी वासुदेवन नायर ने उनके निधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है। कमला दास का पुणे में 75 साल की उम्र में निधन हो गया।

एक ऐसे समय में जब किसी भी महिला के लिए अपने ढंग से जीने के लिए तमाम तरह की पाबंदियाँ हों और समाज घोर पारंपरिक रहा हो और कई तरह की सामाजिक कुरीतियाँ जारी हों तब किसी भी महिला लेखिका के लिए अपने को अभिव्यक्त करना सचमुच मुश्किल भरा था।

तब तमाम तरह के जोखिम उठाकर कमला दास ने कविताएँ-कहानियाँ लिखना शुरू किया। 31 मार्च 1934 को केरल के त्रिचूर जिले में जन्मी कमला दास की बहुत ही कम उम्र में शादी हो गई थी। उस वक्त उनकी उम्र मात्र 15 साल की थी। उनकी माँ बालमणि अम्मा एक बहुत अच्छी कवयित्री थीं और उनके लेखन का कमला दास पर खासा असर पड़ा।

यही कारण है कि उन्होंने कविताएँ लिखना शुरू किया। लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण उन्हें लिखने के लिए तब तक जागना पड़ता था जब तक कि पूरा परिवार सो न जाए। परिवार के सो जाने के बाद वे रसोई घर में अपना लेखन जारी रखतीं और सुबह तक लिखती रहतीं। इससे उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ा और यही कारण है कि वे बीमार रहने लगीं।

अपने एक इंटरव्यू में कमला दास ने कहा भी था कि चूँकि वे बीमार रहती थीं लिहाजा उन्हें घर में आराम करने का ज्यादा वक्त मिलता और इस तरह लिखने के लिए भी। वे उस समय विवादों में आईं जब उन्होंने अपने आत्मकथात्मक लेखन को माय स्टोरी नाम से संग्रहित किया।

यह किताब इतनी विवादास्पद हुई और इतनी पढ़ी गई कि उसका पंद्रह विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ। इसी की बदौलत उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली। जैसा कि नाम से ही जाहिर था इस किताब में उन्होंने अपने अनुभवों को बहुत ही साफगोई और दबंगता से अभिव्यक्त किया। अपनी कविताओं की तरह उन्होंने अपने गद्य में भी स्त्री की पीड़ा और संत्रास को आवाज दी। तमाम तरह के जोखिम उठाकर उन्होंने बहुत ही खुलेपन से अपने मन की बातें लिखीं।

माय स्टोरी में उन्होंने विवाहेतर संबंधों, प्यार पाने की अपनी नाकामयाब कोशिशों औऱ पुरुषों से मिले अनुभवों को उन्होंने खुलेपन से व्यक्त किया। वे उस समय की वे शायद एकमात्र ऐसी महिला लेखिका थीं जिसने बिंदास ढंग से अपने जीवनानुभवों को साहसिक ढंग से वर्णित किया और कई विषयों पर अपनी बेबाक राय दी जिस पर लिखने से कई कतराते थे।

हिंदी में शायद मैत्रेयी पुष्पा ने ही अपनी किताब गुडि़या भीतर गुड़िया में इतने बेबाक ढंग से अपने अनुभवों को व्यक्त करने का जोखिम उठाया है। कमला दास अपनी किताब माय स्टोरी से खासी विवादित रहीं और 1999 में वे फिर विवादों में आई जब उन्होंने इस्लाम कुबूल कर लिया और कमला दास से कमला सुरैया हो गईं।

  लेखिका कमला दास के निधन से वह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई जिसने ताजिंदगी स्त्री की बाहरी और आंतरिक दुनिया को, उसके प्रेम और दुःख को अपनी साहसिक अनूठी शैली में अभिव्यक्त किया।      
उल्लेखनीय है कि शुरूआत में उन्होंने मलयालम में माधवकुट्टी के नाम से साहित्य लेखन किया। उनके रचनात्मक योगदान के कारण कमलादास को साहित्य अकादमी अवार्ड दिया गया। यह उनके कविता संग्रह कलेक्टेड पोएम् स के लिए दिया गया। फिर उन्हें केरल का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उन्हें कथा संग्रह थनुप्पा के लिए दिया गया। द सीरने किताब पर उन्हें एशियन पोएट्री अवार्ड और समर इन केलकेटा के लिए एशियन वर्ल्ड प्राइज दिया गया। कहा जाना चाहिए कि कमला दास ने अभिव्यक्त के सारे खतरे उठाकर साहित्यिक लेखन किया। यह एक मिसाल है।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Remedies for good sleep: क्या आप भी रातों को बदलते रहते हैं करवटें, जानिए अच्छी और गहरी नींद के उपाय

Chest lungs infection: फेफड़ों के संक्रमण से बचने के घरेलू उपाय

क्या मधुमक्खियों के जहर से होता है वेरीकोज का इलाज, कैसे करती है ये पद्धति काम

Fat loss: शरीर से एक्स्ट्रा फैट बर्न करने के लिए अपनाएं ये देसी ड्रिंक्स, कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा असर

Heart attack symptoms: रात में किस समय सबसे ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा? जानिए कारण

सभी देखें

नवीनतम

Money Remedy: घर के धन में होगी बढ़ोतरी, बना लो धन की पोटली और रख दो तिजोरी में

कमसिन लड़कियों की भूख, ब्रिटेन के एक राजकुमार के पतन की कहानी

लॉन्ग लाइफ और हेल्दी हार्ट के लिए रोज खाएं ये ड्राई फ्रूट, मिलेगा जबरदस्त फायदा

ये है अचानक हार्ट अटैक से बचने का 7-स्टेप फॉर्मूला, जानिए अपने दिल का ख्याल रखने के सात 'गोल्डन रूल्स'

कवि दिनकर सोनवलकर की यादें