एक खूबसूरत प्रेम कविता

फाल्गुनी

Webdunia
कल जब
निरंतर कोशिशों के बाद,
नहीं कर सकी
मैं तुम्हें प्यार,
तब
गुलमोहर की सिंदूरी छाँव तले
गहराती
श्यामल साँझ के
पन्नों पर
लिखी मैंने
प्रेम-कविता,
शब्दों की नाजुक कलियाँ समेट
सजाया उसे
आसमान में उड़ते
हंसों की
श्वेत-पंक्तियों के परों पर,
चाँद ने तिकोनी हँसी से
देर तक निहारा मेरे इस पागलपन को,
नन्हे सितारों ने
अपनी दूधिया रोशनी में
खूब नहलाया मेरी प्रेम कविता को,
कभी-कभी लगता है कितने अभागे हो तुम
जो ना कभी मेरे प्रेम के
विलक्षण अहसास के साक्षी होते हो
ना जान पाते हो कि
कैसे जन्म लेती है कविता।
फिर लगता है कितने भाग्यशाली हो तुम
कि मेरे साथ तुम्हें समूची साँवल‍ी कायनात प्रेम करती है,
और एक खूबसूरत प्रेम कविता जन्म लेती है
सिर्फ तुम्हारे कारण।
Show comments

इस चाइनीज सब्जी के आगे पालक भी है फैल! जानें सेहत से जुड़े 5 गजब के फायदे

आइसक्रीम खाने के बाद भूलकर भी न खाएं ये 4 चीज़ें, सेहत को हो सकता है नुकसान

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

लू लगने से आ सकता है हार्ट अटैक, जानें दिल की सेहत का कैसे रखें खयाल

जल्दी निकल जाता है बालों का रंग तो आजमाएं ये 6 बेहतरीन टिप्स

AC का मजा बन जाएगी सजा! ये टेंपरेचर दिमाग और आंखों को कर देगा डैमेज, डॉक्टरों की ये सलाह मान लीजिए

गर्मी में फलों की कूल-कूल ठंडाई बनाने के 7 सरल टिप्स

घर में नहीं घुसेगा एक भी मच्छर, पोंछे के पानी में मिला लें 5 में से कोई एक चीज

क्या कभी खाया है केले का रायता? जानें विधि

जीने की नई राह दिखाएंगे रवींद्रनाथ टैगोर के 15 अनमोल कथन